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उत्तर प्रदेश

पूर्वांचल का सबसे बड़ा डॉन जिसका आशीर्वाद देता है चुनाव में जीत की गारंटी, कभी दाऊद भी था इसका शिष्य

Janjwar Desk
19 March 2021 4:34 AM GMT
पूर्वांचल का सबसे बड़ा डॉन जिसका आशीर्वाद देता है चुनाव में जीत की गारंटी, कभी दाऊद भी था इसका शिष्य
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यूपी के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद तक कोई भी सुभाष ठाकुर से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता। मुन्ना बजरंगी भी सुभाष ठाकुर का चरणगोह था। बताया जाता है कि किसी भी चुनाव में उसका दखल बहुत रहता है, खासकर पूर्वांचल की बात करें तो वहां की कई सीटों पर सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा का सीधा प्रभाव होता है....

जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। यूपी के पूर्वांचल में बाहुबलियों का बोलबाला रहा है। चाहे सियासत हो या फिर ठेकेदारी, हर जगह बाहुबली किसी ना किसी तरह से शामिल हैं। वैसे तो पूर्वांचल में कई माफिया गैंगस्टर रहे हैं, लेकिन सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा को यूपी का सबसे बड़ा माफिया डॉन कहा जाता है। मोस्ट वॉन्टेड दाऊद इब्राहिम से जान को खतरा बताने वाले माफिया डॉन सुभाष ठाकुर ने बनारस कोर्ट से खुद को बुलेट प्रूफ जैकेट दिए जाने के लिए गुहार लगाई थी। वह इस वक्त फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसके खिलाफ दर्जनों संगीन मामले चल रहे हैं। कई मामलों में उसे दोषी करार दिया जा चुका है।

यूपी के माफियाओं की सूची में सुभाष ठाकुर का नाम सबसे पहले आता है। अब लोग उसे बाबा जी के नाम से जानते हैं। दोषी करार दिए जाने के बाद वो उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसने लंबी दाढ़ी रख ली है। उसका हुलिया बाबाओं जैसा हो गया है। बताया जाता है कि आज भी जेल में सुभाष ठाकुर दरबार लगाता है। उसका कारोबार यूपी से लेकर मुम्बई तक फैला हुआ है।

यूपी के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद तक कोई भी सुभाष ठाकुर से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता। मुन्ना बजरंगी भी सुभाष ठाकुर का चरणगोह था। बताया जाता है कि किसी भी चुनाव में उसका दखल बहुत रहता है, खासकर पूर्वांचल की बात करें तो वहां की कई सीटों पर सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा का सीधा प्रभाव होता है। सूत्रों के मुताबिक इलाके के कई नेता सुभाष ठाकुर से जीत का आर्शीवाद आकर लेते हैं।

ऐसे डॉन बना सुभाष ठाकुर

सुभाष ने अपराध की दुनिया में उस वक्त कदम रखा था, जब वो मुम्बई रहने के लिए पहुंचा, वहीं से सुभाष ठाकुर की एंट्री जुर्म की दुनिया में हुई। इसके बाद सुभाष ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो एक के बाद एक ताबड़तोड़ वारदात को अंजाम देता जा रहा था। इसी वजह से जुर्म की काली दुनिया में सुभाष ठाकुर के नाम का दबदबा भी बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा था। अब मुंबई में भी लोग सुभाष ठाकुर के नाम से कांपने लगे थे। वो बिल्डरों और बड़े कारोबारियों पर शिकंजा कसता जा रहा था।

शिष्य के रूप में आया था दाऊद

यही वो वक्त था, जब मुम्बई पुलिस के एक कांस्टेबल का बेटा दाऊद इब्राहिम अपराध जगत में कदम रखता है। जैसे हर काम के लिए गुरु की ज़रूरत होती है, वैसे ही दाऊद को भी किसी उस्ताद की ज़रूरत थी। जिसके चलते वो सुभाष ठाकुर के दरबार में जा पहुंचा। वहीं दाऊद इब्राहिम ने जरायम की दुनिया पाठ पढ़ा। जुर्म करने के तरीके सीखे। इसी के बाद वो एक कुख्यात गैंगस्टर बन गया और फिर मुंबई का सबसे बड़ा माफिया डॉन।

दुश्मन बन गया शिष्य

जरायम की दुनिया जुड़े लोग जानते थे कि सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा ही दुनिया के कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का गुरू है। लेकिन कुछ सालों बाद ही दोनों के रिश्ते खत्म हो गए। दरअसल, जब मुम्बई में 1992 के ब्लास्ट हुए थे तभी सुभाष ठाकुर और दाऊद इब्राहिम अलग हो गए थे। इसके बाद सुभाष ठाकुर ने दाऊद के दुश्मन बन चुके माफिया सरगना छोटा राजन के साथ हाथ मिला लिया था। डी गैंग से अलग हो जाने के बाद से ही सुभाष ठाकुर को अपने शिष्य दाऊद इब्राहिम से जान का खतरा हो गया था। जब सुभाष ठाकुर पकड़ा गया तो उसने कानून से जान की हिफाजत के लिए गुहार लगाई। साल 2017 में भी उसने यूपी की बनारस कोर्ट में एक याचिका दायर कर बुलेट प्रूफ जैकेट और सुरक्षा की मांग की थी। पूर्वांचल में सुभाष ठाकुर ने ही जुर्म की दुनिया से निकलकर सियासत में कदम रखने वाले बृजेश सिंह को सहारा दिया। सुभाष ठाकुर के साथ आने से बृजेश सिंह को बहुत फायदा हुआ, दोनों मिलकर काम करने लगे।

दाऊद के बहनोई की हत्या का बदला

जब सुभाष ठाकुर, छोटा राजन और दाऊद के साथ मिलकर मुम्बई में काम कर रहे थे, तो उनकी दुश्मनी अरूण गवली गिरोह के साथ थी। इसी दौरान गवली ने दाऊद को गहरा जख्म दिया। उसके शूटरों ने 26 जुलाई 1992 को मुम्बई के नागपाड़ा के अरब गली में दाऊद इब्राहिम के बहनोई इस्माइल पारकर का मर्डर कर दिया था। इस हत्याकांड में पहली बार एके-47 और 9 एमएम पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था। इस हत्या ने दाऊद को हिलाकर रख दिया था। इस कत्ल का बदला लेने के लिए दाऊद ने सुभाष ठाकुर और छोटा राजन को लगाया था। इन दोनों की टीम ने 12 सितम्बर 1992 को मुम्बई के जेजे अस्पताल में गवली के शूटर शैलेश की हत्या कर दी थी।

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