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अखिलेश ने PM मोदी के दावों की खोल दी पोल, कहा- सपा सरकार में तीन चौथाई बन चुकी थी सरयू नहर परियोजना
Saryu Nahar Project launch Live: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शनिवार को सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के उदघाटन से कुछ घंटे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया है कि यह योजना सपा सरकार के समय में ही तीन चौथाई बन चुकी थी. यादव ने शनिवार सुबह किये गये एक ट्वीट में दावा किया, "सपा के समय तीन चौथाई बन चुकी 'सरयू राष्ट्रीय परियोजना' के शेष बचे काम को पूर्ण करने में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने पांच साल लगा दिए. 2022 में फिर सपा का नया युग आएगा… विकास की नहरों से प्रदेश लहलहाएगा.''
मोदी ने कहा था कि आज से करीब 50 वर्ष पहले सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना पर कार्य शुरू हुआ था। जब इस परियोजना पर कार्य शुरू हुआ था, तब इसकी लागत 100 करोड़ रुपये से भी कम थी। आज यह लगभग 10,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद परियोजना पूरी हुई है। सरयू नहर परियोजना में जितना काम 5 दशक में हो पाया था, उससे ज्यादा काम हमने 5 साल से पहले करके दिखाया है। यही डबल इंजन की सरकार है। यही डबल इंजन की सरकार के काम की रफ्तार है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (SP Chief Akhilesh Yadav) ने दावा किया है कि यह योजना सपा सरकार के समय में ही तीन चौथाई बन चुकी थी। अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार सुबह किये गये एक ट्वीट में दावा किया, "सपा के समय तीन चौथाई बन चुकी 'सरयू राष्ट्रीय परियोजना' के शेष बचे काम को पूर्ण करने में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने पांच साल लगा दिए। 2022 में फिर सपा का नया युग आएगा… विकास की नहरों से प्रदेश लहलहाएगा।" प्रधानमंत्री मोदी बलरामपुर में शनिवार को दोपहर लगभग एक बजे सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का उद्घाटन करेंगे।
क्या है सरयू नहर परियोजना
इस परियोजना के तहत पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को आपस में जोड़ा गया है. इस पर अभी तक कुल 9800 करोड़ रुपये का खर्च हो चुका है. बड़ी नदी के पानी को छोटी नदियों तक पहुंचाने के लिए बैराज बनाए गए हैं. इनसे पांच नहरें निकाली गयी हैं. इन नहरों से बहराइच, श्रावस्ती, गोण्डा, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, महराजगंज और गोरखपुर के 29 लाख किसानों को सिंचाई पहले से बेहतर मिल सकेगी.
पूरा होने में कैसे लगे 43 साल
1978 में परियोजना की नींव पड़ी थी. तब इसे लेफ्ट बैंक घाघरा कैनाल नाम दिया गया था. गोण्डा और बहराइच जिलों के लिए इसे तैयार किया जाना था, लेकिन 1982 में इसमें सात और जिले जोड़ दिए गए. तब से लेकर 2017 तक इसके काम में सुस्ती ही रही. जमीन अधिग्रहण, पैसे की कमी, दूसरे विभागों की एनओसी जैसे उलझनों में मामला लटका रहा लेकिन, योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद परियोजना ने रफ्तार पकड़ी. सिंचाई विभाग के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि सीएम हर महीने इसकी समीक्षा करते रहे हैं. इसकी वजह से रास्ते में आने वाली रुकावटें दूर हुईं. पैसे समय पर मिलता गया और परियोजना कम्प्लीट हो गई. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस परियोजना पर 1978 से 2017 तक 5189 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि 2017 से लेकर अब तक 4613 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं.