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SIT के गुनाहगारों ने किया महामहिम का स्वागत, धार्मिक स्थल से करोड़ों रूपये के गबन का आरोपी है रमाकांत गोस्वामी
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार, लखनऊ/मथुरा। अब इसे नौकरशाही (Bureaucracy) की चूक कहें या लापरवाही अथवा मिलीभगत आप अपने-अपने मुताबिक अंदाजा लगाते रहिएगा। फिलहाल तो मथुरा गईं युपी की राज्यपाल का एसआईटी (SIT) के गुनाहगारों द्वारा स्वागत करने से मथुरा (Mathura) से लखनऊ (Lucknow) तक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। राज्यपाल (Governor) का स्वागतकर्ता धार्मिक स्थल से करोड़ों रूपये के गबन का मुख्य आरोपी और एसआईटी की जांच में अपराधी है। लेकिन यह बात महामहिम और उनके कार्यक्रम संयोजकों से क्यों छिपाई गई यह चर्चा का विषय है। साथ ही पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा करने वाली बात है।
दरअसल उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल दो दिन के प्रवास पर मथुरा पहुँची थीं। प्रवास के दौरान वह पहले दिन साध्वी ऋतम्भरा के वात्सल्य ग्राम गईं तथा दूसरे दिन उनका गिरिराज गोवर्धन जी की पूजा अर्चना व परिक्रमा का कार्यक्रम रहा। मंदिर पर शासन व प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में महामहिम से मंदिर रिसीबर रमाकांत गोस्वामी, मैनेजर मनु ऋषि ने पूजा अर्चना कराई और स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस घटनाक्रम के बाद चखचख शुरू हो गई। इसका कारण रहे मंदिर रिसीबर और मैनेजर। रिसीबर और मैनेजर सहित कई अन्य लोगों के खिलाफ एसआईटी थाना लखनऊ में करोड़ों के गबन का मुकदमा दर्ज है, जो खुद एसआईटी ने दर्ज किया है।
गौरतलब है कि साल 2020 के सितंबर महीने में एसआईटी ने रमाकांत गोस्वामी पुत्र राजाबाबा, मनु ऋषि पुत्र बैकुण्ठ नाथ शर्मा, संतोष कुमार पुत्र शंकर लाल, रामकृष्ण शर्मा पुत्र कृष्ण चंद्र शर्मा, राधा किशल पुत्र विजेंद्र सिंह, विवेक शर्मा पुत्र महेंद्र कुमार शर्मा, सिद्धश्री शर्मा पत्नी महेंद्र कुमार शर्मा, पिन्टू सैनी पुत्र गोपाल प्रसाद, लट्टू सैनी पुत्र गोपाल प्रसाद, बिहारी लाल सैनी पुत्र गोपाल प्रसाद, कमलेश पत्नी पिंटू सैनी, कोकन बाबू मिश्रा पुत्र सुरेश चंद्र सहित अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा संख्या 10/2020 की धारा 408/409/420/423/B 120-B की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया था।
नामजद दर्ज इस मुकदमे में कहा गया है कि रमाकांत गोस्वामी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 11 करोड़ रूपये का गबन किया है। इस बात की पुष्टि करते हुए एसआईटी ने यह भी कहा है कि आगे गहन जांच की आवश्यकता है। इस मामले पर संज्ञान लेकर शासन ने एसआईटी को रिपोर्ट दर्ज करने की अनुमति दी थी, जिसके बाद मुकदमा दर्ज किया गया था। एसआईटी थाने में दर्ज मुकदमे के बवजूद भी आरोपी रमाकांत गोस्वामी सितंबर 2020 से आजाद घूम रहा है। रमाकांत गोस्वामी ना सिर्फ आजाद घूम रहा है, बल्कि अपने रसूख की दम पर राज्यपाल जैसे लोगों के साथ फोटो भी खिंचवा रहा है।
ऐसा अक्सर देखा जाता है कि कोई भी विवादित व्यक्ति किसी नेता अफसर विधायक यहाँ तक की सत्ता में बैठे मंत्रियों संत्रियो के साथ फोटो खिंचवाते हैं। अपराधी क्रिमिनल को साथ गलबहियां तक डालते देखे जाते हैं। इसी कारण जरायम को सत्ता और सत्ता को जरायम का पर्याय माना जाता रहा है। कार्यपालिका सत्ता पर बैठे शासन की गुलाम तो रहती ही आई है। कोई स्थानीय विधायक, सांसद नेता अथवा पार्टी कार्यकर्ता अपने जिले और छेत्र के विवादित वयक्ति की भली भांति जानकारी रखता है। आखिर वही तो उसे मंच तक पहुँचाने में मदद करता है। उच्च नेता से पूछने पर वह कहता है वह उसे नहीं जानते या पार्टी के साधारण कार्यकर्ता की हैसियत से उसने फोटो खिंचवा ली होगी। कोई कांड में फोटो सामने आने पर इनका जवाब होता है कि राजनैतिक साजिश है।
बावजूद इसके यहाँ तो बिल्कुल सब साफ है। सितंबर 2020 से अब तक पूरे पाँच महीने का समय हो चुका है। 11 करोड़ के आरोपी को एसआईटी ढ़ूंढ़ नहीं पा रही है। अब जब सामने दिख तक गया है तो क्या पता मृगमरीचिका के पानी की तरह लग दिख रहा हो। मामला बड़ा है और महामहिम के साथ फोटोशेसन के बाद मथुरा से लखनऊ तक सुगबुगाहटों का दौर शुरू हो गया है।