UP : कक्षा 9 की किताब में ब्लंडर मिस्टेक, यूपी बोर्ड ने झाड़ा पल्ला, प्रकाशक पर फोड़ा ठीकरा, अहम सवाल - छात्रों का क्या होगा?
यूपी : कक्षा 9 की किताब में ब्लंडर मिस्टेक, यूपी बोर्ड ने झाड़ा पल्ला, प्रकाशक पर फोड़ा ठीकरा, अहम सवाल - छात्रों का क्या होगा?
UP : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ( Uttar Pradesh Board of Secondary Education ) की ओर से यूपी बोर्ड ( UP Boad ) 9वीं कक्षा के लिए प्रकाशित पुस्तक में ब्लंडर मिस्टेक ( Blunder mistakes ) का खुलासा हुआ है। दरअसल, 9वीं कक्षा की किताब में साहित्यकार श्रीराम ( Pt. Shriram sharma ) की जीवनी शामिल है। उनकी जीवनी में गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ( Pandit Shriram Sharma Acharya ) का चित्र प्रकाशित कर दिया गया है। मामला सामने आने के बाद से जिम्मेदार अधिकारी झेंप मिटाने के लिए प्रकाशक पर इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं। इस स्तर पर हुई बड़ी चूक अधिकारी अपना अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। लेखक प्रकाशक की गलती बता रहे हैं जबकि बोर्ड इस गलती का ठीकरा प्रकाशक पर फोड़ रहा है।
बता दें कि यूपी बोर्ड ( UP Boad ) कक्षा 9 की हिंदी की पुस्तक अग्रवाल ग्रुप आफ पब्लिकेशंस की ओर से प्रकाशित की गई है। इस किताब के पांचवें चैप्टर में स्मृति कॉलम में पंडित श्रीराम शर्मा की जीवनी प्रकाशित की गई है। इसमें साहित्यकार का पूरा परिचय दिया गया है। उनकी आजीविका को पत्रकारिता और लेखन बताया गया है। प्रश्न संख्या 55 प्रकाशित चैप्टर 5 में सबसे ऊपर ही गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का आशीर्वाद देने वाली मुद्रा में चित्र प्रकाशित किया गया है। यही नहीं, इसमें जन्मतिथि और जन्मस्थान भी गलत लिखा गया है। चित्र और जीवनी एक दूसरे से मेल नहीं खा रहे हैं।
इस मामले में गायत्री परिवार से जुड़े लोगों का कहना है कि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने कभी पत्रकारिता अपने जीवन में किया ही नहीं। शुरू से ही उनका रुझान अध्यात्म से रहा है और अध्यात्म के क्षेत्र में ही उन्होंने अपना पूरा जीवन बिताया है।
ये है पूरा मामला
यूपी बोर्ड ( UP Boad ) कक्षा 9 की हिंदी की किताब में जो पाठ दिया गया है उसका शीर्षक पंडित श्रीराम शर्मा लिखा है। जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि पंडित श्रीराम शर्मा मैनपुरी निवासी हैं और वह एक साहित्यकार हैं। जीवन परिचय में श्रीराम शर्मा का जो जन्म स्थान दिया गया है वह शिकोहाबाद तहसील के गांव किरधरा है। उनके पिता एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं। इस हिसाब से फोटो पंडित श्रीराम शर्मा का होना चाहिए लेकिन जो फोटो प्रकाशित है वह गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का है। यानि लेख पंडित श्रीराम शर्मा का और फोटो पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का है, जो गलत है। अब इस बात को लेकर यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों के बीच भूचाल की स्थिति है। ऐसा इसलिए कि यह एक बड़ी भूल है।
पुस्तक के लेखक डॉ. राम प्रभाकर का कहना है कि यह लेख तो मैंने लिखा है लेकिन चित्र कैसे गलती से पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का लग गया है इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। यूपी बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ला का कहना है कि इसमें बोर्ड की कोई गलती नहीं है। यह प्रकाशक की भूल है जिसे सुधारने को कहा गया है।
अहम सवाल
यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद ( Uttar Pradesh Board of Secondary Education ), लेखक और प्रकाशक में से भूल चाहे किसी की भी क्यों न हो, इससे नुकसान तो चुका है। साथ ही ये प्रशासनिक लापरवाही को भी दर्शाता है। अहम सवाल ये है कि जिन छात्रों तक ये पुस्तक पहुंच गई और वो पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य को ही साहित्यकार श्रीराम शर्मा समझेंगे, उसका क्या होगा? इसमें छात्रों की गलती नहीं है, लेकिन इसका नुकसान छात्रों को उठाना पड़ सकता है।