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UP : अगर किसी की बेटी प्रेमी के साथ जाती है तो मैं उसके मां-बाप को जेल में डालना चाहूंगा - यूपी पुलिस का अधिकारी
UP : पुलिस वालों का काम होता है फरियादी को समस्या से राहत दिलाना। कहने का मतलब यह है कि समस्या समाधान का भरसक प्रयास करना। इसके उलट यूपी पुलिस में रामपुर में पोस्टेड एसपी ने पब्लिक कार्यक्रम में सार्वजनिक तौर पर ऐसा बयान देने से परहेज तक नहीं करते। उन्होंने कहा कि अगर किसी की बेटी प्रेमी के साथ भाग जाए और उसके माता पिता शिकायत दर्ज कराने आयें तो मैं उनको जेल भेजना पसंद करूंगा। पुलिस की वर्दी पहनकर इस तरह का बयान देने वाले पुलिस अधीक्षक को आप क्या कहेंगे।
यूपी पुलिस रामपुर के पुलिस अधीक्षक से संबंधित यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। खास बात यह है अधीक्षक महोदय परेशान हैं, अब वो क्या करें, इसका जवाब क्या दें? थक हारकर उन्होंने वीडियो का जवाब देते हुए अपने बयान के लिए माफी मांगी है।
दरअसल, यह वीडियो एक पब्लिक कार्यक्रम से जुड़ा है। इस वीडिया में साफ दिख रहा है कि रामपुर पुलिस अधीक्षक वर्दी पहनकर गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। वह बच्चों के माता—पिता को उपदेश देते हुए कहते हैं कि हमारे सामने एक दो केस हर रोज ऐसा आता है जिसमें फलां की लड़की फलां के साथ चली गई। अभी ऐसा ही एक केस मिला, जिसको लेकर सिविल लाइन थाने में तमशा खड़ा हो गया।
यह मसला हिंदू-मुस्लिम से जुड़ा है। एक लडका-लड़की एक-दूसरे के साथ चली गई। इस तरह की घटना पर पुलिस क्या करे? आप लोग देख्यिे अपने परिवार में कि ऐसा क्यों हो रहा है। मैं, तो उन मां बाप को जेल भेजना चाहूंगा जो ये शिकायत लेकर थाने आएंगे कि मेरी लड़की किसी के साथ चली गई है। मैं, पूछना चाहता हूं कि बच्चों को पैदा कर किसके भरोसो छोड़ दिया। अगर अच्छा लगे तो ये भी सुन लीजिए कि एक दो बच्चे काफी होते हैं। ताकि अच्छी परवरिश हो सके। फौज खड़ी करने से कुछ नहीं होगा। न तालीम दे पाओगे न भला कर पाओगे। धर्म से उठकर ये बात कह रहा हूं। यह बात सब पर लागू होती है। अगर धर्म आड़े आता हो तो कृपया उन बच्चों को स्कूल भेजें जो पंचर लगाते नजर आते हैं और पढ़ने नहीं जा रहे। मेरी चुनौती है, धर्म के ठेकेदारों को कि उनके हाथ में कलम देने का कोई रास्ता निकालें। नहीं तो वो कट्टा लेकर निकल जाते हैं और मेरा काम बढ़ जाता है।
वीडियो वायरल होते ही होश में आये पुलिए अधीक्षक
संजय त्रिपाठी नाम के ट्विटर यूजर ने इसे साझा करते हुए पुलिध अधीक्षक महोदय पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि वर्दी पहनी है तो कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं मिल जाता है भाईसाहब!!! कौन मां-बाप चाहेंगे कि उनकी बेटी घर से भाग जाए? अगर किसी परिवार के साथ ऐसी दुखद घटना हो भी जाती है तो उसकी मदद करने या तकलीफ कम करने के बजाए आप उसे जेल भेज देंगे? आपके शब्द आपकी कार्यशैली की गवाही दे रहे हैं।
एक अन्य ट्विटर यूजर रवि पांडेय कहते हैं पुलिस अधीक्षक नेता बनने में लगे तो इसके जवाब में उबैदुर रहमान कहते हैं कि पुलिस अधीक्षक के शब्द गलत हो सकते हैं पर उनके भाव को समझिये सर।
बच्चों को जाने अनजाने में न होने दें उपेक्षित
चौंकाने वाली बात यह है कि रामपुर में पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात उक्त अधिकारी ने सोशल मीडिया पर खुद की किरकिरी होते देख अब सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि मेरी मंशा केवल इतना है कि जाने अनजाने में बच्चे उपेक्षित हो जाते हैं। उनमें अच्छे संस्कार डालने की जरूरत है। अगर किसी को मेरी बातों से ठेस लगी हो तो मैं माफी चाहूंगा।