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UP News : आवारा पशुओं को चारा न देने पर बीडीओ-डॉक्टर्स को नोटिस, ग्राम प्रधान और सचिवों के खिलाफ FIR
UP News : उत्तर प्रदेश में दोबारा सरकार गठन करने के बाद से योगी सरकार ( Yogi government ) एक्शन मोड में है। पहले कार्यकाल में गौसेवा और गौशालाओं की देखरेख को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर आई योगी सरकार का रुख इस बार सख्त है। यही वजह है कि निराश्रित पशुओं ( Stray animals ) और उनके चारे ( Cattle food ) में लापरवाही करने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जा रहा है।
दरअसल, निराश्रित पशुओं की देखरेख को लेकर योगी सरकार ने जिन मामलों में कार्रवाई की वो अमेठी ( Amethi ) में सरकारी पशुशाला के निराश्रित पशुओं को भरपेट भोजन न देने से जुड़ा है। इस मामले में ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी के खिलाफ केस दर्ज हो गया है। साथ ही दो खंड विकास अधिकारी और चार डाक्टरों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। इन लोगों पर निराश्रित पशुओं को चारा न देने और देखरखे में लापरवाही बरतने का आरोप है।
ताजा अपडेट के मुताबिक अमेठी के डीएम राकेश मिश्र के निर्देश पर नोडल अधिकारी नरेंद्र कुमार पांडेय के निरीक्षण में चंडेरिया पशुशाला की जांच की गई तो वहां गंभीर लापरवाही सामने आई। वहां 24 गोवंश को चारा देने के लिए मात्र 50 किलो भूसा था। इतने भूसे से 24 पशुओं के पेट नहीं भरा जा सकता है। जिलाधिकारी के आदेश पर डॉक्टर मेहेर सिंह ने पशु क्रूरता के मामले में चंडेरिया के ग्राम प्रधान मोहम्मद तुफैल और सेक्रेटरी दीनदयाल दुबे के खिलाफ संग्रामपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
इस मामले में लापरवाही बरतने वाले भेटुआ और भादर के खंड विकास अधिकारी संजय गुप्ता, साबिर अली, डॉ लाल रत्नाकर, डॉ राम शिरोमणि, डॉ संतोष और डॉ रमेश चंद्र को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। ड्यूटी से अनुपस्थित तीन डाक्टरों का वेतन रोका गया है।
बता दें कि योग सरकार को निराश्रित पशुओं ( Stray animals ) को लेकर सख्त आदेश है कि सरकारी पशुशालाओं में निराश्रित पशुओं के लिए चारा, पानी, छांव की भरपूर व्यवस्था हो। इसके लिए सरकार पर्याप्त बजट का आवंटन करती है। इसके बावजूद पशु खुले आसमान के नीचे धूप में खड़े रहने को विवश हैं। देखरेख के लिए चौकीदार की भी तैनाती है। व्यवस्था के लिए ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी, बीडीओ, सीडीओ, एसडीएम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पशुओं के इलाज के लिए डाक्टर भी हैं, लेकिन हर स्तर पर खामियां साफ नजर आती हैं। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी समीक्षा करते हैं। उनके अलावा कई वरिष्ठ अधिकारियों को समय-समय पर इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके बावजूद पशु बिना चारे के दम तोड़ रहे हैं।
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