Uttarakhand News : भूकंप से हिली उत्तराखंड की धरती, 2 जिलों में महसूस किए गए झटके
Uttarakhand News : उत्तराखंड में बीती रात भूकंप के दो झटके महसूस किए गए। ये झटके टिहरी और उत्तरकाशी जिले में महसूस किए गए। भूकंप के झटकों को महसूस करने के बाद हड़कंप मच गया और लोग शोर मचाते हुए घर से बाहर निकल आए। हालांकि, भूकंप के झटकों अभी तक नुकसान की कोई सूचना नहीं है। इसके बावजूद लोगों में दहशत का माहौल है।
भूकंप के दो झटके महसूस करने के बाद उत्तरकाशी के लोगों में एक बार फिर से अक्टूबर 1999 के विनाशकारी भूकंप की यादें ताजा हो गईं और वे दहशत में आ गए।
भूकंप का पहला भूकंप झटका 12 बजकर 23 मिनट 19 सेकंड पर आया। इसकी तीव्रता 3.2 दर्ज की गई। इस भूकंप का केंद्र टिहरी जिले में जमीन के भीतर दस किलोमीटर था। इसके बाद दूसरा भूकंप दो बजकर दो मिनट 47 सेकंड पर आया। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.8 थी।
इन दो भूकंप के बीच में हिमाचल प्रदेश के चंबा में रात एक बजकर 19 मिनट 58 सेकंड में 3.6 तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र भी जमीन के भीतर दस किलोमीटर नीचे था।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के मुताबिक इसका केंद्र भी टिहरी गढ़वाल में जमीन के भीतर दस किलोमीटर था। साथ ही दोनों झटके हल्के होने से अभी तक किसी जानमाल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।
भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड संवेदनशील इलाका
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। उत्तराखंड भूकंप के अति संवेदनशील जोन पांच में आता है। इस जोन में रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों इसी जोन में आते हैं।
उत्तराखंड में आ चुके हैं 2 बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इसलिए भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता के भूकंप में हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च, 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।
भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किलोमीटर लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।