Bharti Ghotala : CM धामी के OSD की पत्नी को भी मिली थी नौकरी, विधानसभा सचिवालय भर्ती घोटाले की जांच के लिए कमेटी गठित, विस सचिव भेजे गए छुट्टी पर

Dehradun News: मुख्यमंत्री के OSD की पत्नी को भी मिली थी नौकरी, विधानसभा सचिवालय भर्ती घोटाले की जांच के लिए कमेटी गठित, विस सचिव भेजे गए छुट्टी पर
Dehradun News, Dehradun Samachar। उत्तराखंड राज्य की सरकारी नौकरियों की भर्ती सीरीज के घोटाले में सत्ता शीर्ष पर बैठे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक का दामन दागदार हो रहा है। उनके ओएसडी की पत्नी का नाम भी सरकारी नौकरी पाने वालों की सूची में शामिल है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री धामी के पीआरओ से लेकर मंत्रियों के पीआरओ और रिश्तेदारों तक को यह नौकरियां खुले हाथों से बांटी गई हैं। बिना परीक्षा के हुई इस भर्ती के किस्से बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के गुस्से की वजह बने हुए हैं। युवा अपने भविष्य पर लगे इस प्रश्नचिन्ह से सकते में हैं।
बता दे कि उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में हुई भर्तियां भाई भतीजावाद की ऐसी भेंट चढ़ी कि इसमें रसूखदारों और उनके बेहद करीबियों ने खासा फायदा उठाया। विधानसभा में बिना परीक्षा के बंटी नौकरियों की रेवड़ी का हिस्सा लेने वालों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ओएसडी स्टॉफ विनोद धामी, ओएसडी सत्यपाल रावत से लेकर पीआरओ नंदन बिष्ट तक की पत्नियां विधानसभा में नौकरी पर लगवाई गई हैं। मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के पीआरओ की पत्नी और रिश्तेदार को भी नौकरी दी गई है। मदन कौशिक के एक पीआरओ आलोक शर्मा की पत्नी मीनाक्षी शर्मा ने विधानसभा में नौकरी पाई है तो दूसरे की पत्नी को भी विधानसभा में नौकरी मिल गई। सतपाल महाराज के पीआरओ राजन रावत, रेखा आर्य के पीआरओ और भाजपा संगठन महामंत्री के करीबी गौरव गर्ग को भी विधानसभा में नौकरी मिली है।
अपने सीधे और सरल स्वभाव की ब्रांडिंग कराने वाले महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भतीजी हो या गांधवादी नेता गोविंद सिंह कुंजवाल का पूरा कुनबा, सबने इस लूट में अपना योगदान दिया था। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने तो छाती ठोककर इस बात को भी कबूला कि भर्ती में न सिर्फ उनके बल्कि मंत्रियों और रसूखदार लोगों के रिश्तेदार की नौकरियां विधानसभा में दी गयी। उत्तराखंड में पहले से ही उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में पेपर लीक का मामला, वन आरक्षी परीक्षा में घपला, न्यायिक सेवा में कनिष्ठ सहायक परीक्षा घपला, सचिवालय रक्षक परीक्षा घपला और 2015 में उत्तराखंड पुलिस में दारोगा भर्ती के मामले की जांच के साथ ही 2021 में 72 लोगों की विधानसभा में हुई इन नियुक्तियों का मामला सामने आने से विधानसभा में हुई बैक डोर भर्तियों पर बवाल मचा हुआ है।
भर्ती घोटाले की जांच के लिए स्पीकर ने बनाई कमेटी
उत्तराखंड विधानसभा बैक डोर भर्ती मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। विदेश से लौटी विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने अब तक हुई भर्तियों की जांच कराने की घोषणा करते हुए कमेटी गठित कर दी है। इसके साथ ही विस सचिव को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है। कमेटी को एक माह के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का वक्त दिया गया है।
विदेश से लौटने के बाद शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने पत्रकार वार्ता के दौरान इस निर्णय की जानकारी साझा करते हुए बताया कि की । इस दौरान उन्होंने कहा कि बैक डोर भर्ती मामले में पहले 2012 से 2022 तक की नियुक्तियों की जांच होगी। इस जांच के लिए एक महीने का समय निर्धाति किया गया है। इसके साथ ही विधानसभा सचिव को एक महीने के अवकाश पर भेज दिया गया है। रितु खंडूरी ने कहा कि इन घोटालों से विधानसभा की गरिमा गिरी है। जांच के लिए तीन सदस्य कमेटी गठित की गई है। तीन सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष दिलीप कुमार कोठिया होंगे। सुरेंद्र सिंह रावत और अविनेन्द्र सिंह नयाल इसके सदस्य होंगे। इस जांच के बाद राज्य बनने के बाद से सभी भर्तियों की जांच भी की जाएगी।











