Dehradun News: 13 के पहाड़े पर भड़कने वाले शिक्षा मंत्री ने भी भर्तियों की गंगा लगाई थी क्या डुबकी? सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है 8 लोगों की लिस्ट
Dehradun News: 13 के पहाड़े पर भड़कने वाले शिक्षा मंत्री ने भी भर्तियों की गंगा लगाई थी क्या डुबकी? सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है आठ लोगों की लिस्ट
Dehradun News: अपने शिक्षा मंत्री रहने के दौरान एक रिपोर्टर द्वारा 13 का पहाड़ा सुनाने की बात पर भड़कने वाले पूर्व शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय इन दिनों सोशल मीडिया पर एक बार फिर चर्चा में हैं। हालिया विधानसभा चुनाव में खटीमा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर हारने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बारे में चुनाव के दौरान कथित तौर पर एक टिप्पणी करने की वजह से नई सरकार की कैबिनेट से ड्रॉप आउट हुए पाण्डेय पर सोशल मीडिया में अपने रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी दिए जाने का इल्जाम लग रहा है। सोशल मीडिया पर जो पत्र अरविन्द पाण्डेय के बारे में वायरल हो रहा है, उसकी पुष्टि जनज्वार नहीं करता, लेकिन यदि तत्कालीन शिक्षा मंत्री पाण्डेय द्वारा इन लोगों को नियम विरुद्ध सरकारी नौकरी दी गई है तो विवादों के लिए जाने जाने वाले पाण्डेय के खिलाफ यह एक गंभीर मामला है।
उत्तराखंड युवा की तरफ से वायरल पत्र के मुताबिक पूर्व मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने अपने कार्यकाल में रहते हुए बिहार निवासी अपने एक चचेरे भाई सुनील पाण्डे को रुड़की इंटर कॉलेज में तो दूसरे चचेरे भाई सोनू पाण्डे को हरिद्वार इंटर कॉलेज में और तीसरे चचेरे भाई जयकिशन पाण्डे को जसपुर आदित्यझा इंटर कॉलेज में नौकरी पर रखवाया। तीन भतीजों उज्जवल पाण्डे (पंचायती राज कार्यालय में निदेशक पद पर) तथा रितिक पाण्डे को पौड़ी इंटर कॉलेज और राजू पाण्डे को गुलरभोज इंटर कॉलेज उधमसिंहनगर में नौकरी पर लगवाया।
बिहार निवासी एक भांजे धर्मेंद्र पाण्डे को बालिका इंटर कॉलेज बहादराबाद तो दामाद संतोष पाण्डे को हरिद्वार के ही संस्कृत विद्यालय में नौकरी दिए जाने का इल्जाम लगाया जा रहा है। धड़ल्ले से वायरल हो रहे इस पत्र यह भी दावा किया गया है कि इन लोगों के द्वारा 2017 से 2021 तक बनाए गए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरियां प्राप्त की गई हैं। पत्र में यह सारी नौकरियां पूर्व शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय के द्वारा लगवाने का दावा करते हुए कहा गया है कि मंत्री की शपथ लेने के बाद उन्होंने अपने रिश्तेदारों को बिहार राज्य से बुलाकर फर्जी दस्तावेज बनाकर उनकी नौकरियां लगवायी गई है।
कुछ और भी अन्य लोग हैं जिन्हें बिहार राज्य से बुलाकर सीधे विभिन्न विभागो में तैनाती कराई गई है। इन लोगों को पंचायती राज विभाग तथा शिक्षा विभाग में गलत तरीके से ठेके भी दिलाने का आरोप पाण्डेय पर चस्पा करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से उत्तराखण्ड का युवा की ओर से ऐसे लोगों की सीबीआई जांच की भी मांग की गई है।
यहां बता दे कि भारतीय जनता पार्टी के तेज-तर्रार गदरपुर निवासी नेता इन दिनों भाजपा पार्टी के विधायक हैं। बीती सरकार में वह शिक्षा मंत्री थे। विधानसभा चुनाव में पाण्डेय का एक कथित ऑडियो टेप वायरल हुआ था। जिसमें खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री धामी पर टिप्पणी की गई थी। मुख्यमंत्री यह चुनाव हार गए थे। लेकिन आलाकमान ने उन्हें इस पराजय के बाद भी मुख्यमंत्री बनाया था। धामी कैबिनेट में पाण्डेय के रिपीट न होने को उसी कथित टेप को वजह माना गया था।
13 के पहाड़े पर कुछ इस तरह भड़के थे शिक्षा मंत्री पाण्डेय
अपने कार्यकाल में शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय देहरादून में एक रिपोर्टर द्वारा तेरह का पहाड़ा सुनाए जाने की बात कहने पर बुरी तरह भड़क गए थे। देहरादून में शिक्षा मंत्री अरविंड पाण्डेय से तेरह का पहाड़ा सुनने की फ़रमाइश करने वाले टीवी रिपोर्टर अस्करी जाफ़री के मुताबिक कुछ ही दिन पहले अरविन्द पाण्डेय का स्कूल में इंस्पेक्शन करते हुए महिला शिक्षक से गणित का फ़ॉर्मूला पूछने का वीडियो वायरल हुआ था। महिला शिक्षक ने सही जवाब दिया था तब भी शिक्षा मंत्री ने उन्हें डांट लगाई थी और खुद ग़लत फ़ार्मूला बताया था। इसीलिए उन्होंने मंत्री से तेरह का पहाड़ा पूछा। उनका इरादा मंत्री की छवि ख़राब करने या टीआरपी बटोरने का कतई नहीं था।
अपने कार्यकाल में अंकगणित को भी सिर के बल खड़ा कर दिया था पाण्डेय ने
बतौर शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय अपने कार्यकाल में अपने ही ईजाद किए गए फार्मूले के तहत पूरी अंकगणित को ही ऐसे सिर के बल खड़ा करने का कारनामा कर चुके हैं, जिसने अच्छे-खासे गणितज्ञों को हैरान कर दिया था। किस्सा कुछ इस तरह था कि शिक्षा मंत्री पाण्डेय देहरादून के थानों इंटर कॉलेज में निरीक्षण करने पहुंचे विद्यालय में पढ़ा रही एक शिक्षिका से ही बुरी तरह उलझ पड़े। एक सवाल का सही जवाब मिलने के बाद भी अपने गलत जवाब को मंत्री सही साबित करते रहे। मंत्री का कहना था कि माइनस प्लस माइनस प्लस होता है। जबकि तमाम गणितज्ञों ने इसे गलत बताते हुए कहा था कि मंत्री के फार्मूले से चला जाए तो पूरी अंकगणित को ही सिर के बल खड़ा करना पड़ेगा।