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Chhawla murder rape case: चर्चित छावला कांड में ये युवा अधिवक्ता दाखिल करेंगे सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन, पहाड़ की बेटी के लिए एकजुट हुए वरिष्ठ वकील

Janjwar Desk
12 Nov 2022 8:07 PM IST
चर्चित छावला कांड में ये युवा अधिवक्ता दाखिल करेगा सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन, पहाड़ की बेटी के लिए एकजुट हुए वरिष्ठ वकील
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चर्चित छावला कांड में ये युवा अधिवक्ता दाखिल करेगा सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन, पहाड़ की बेटी के लिए एकजुट हुए वरिष्ठ वकील

Chhavla Case: दिल्ली के छावला नजफगढ़ में हैवानियत को भी शर्मिंदा कर देने वाली उत्तराखंड की बेटी के साथ हुआ दुराचार और हत्या की घटना के सजा याफ्ता दोषियों को बरी किए जाने के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल किए जाने का औपचारिक ऐलान कर दिया गया है....

Chhavla Case: दिल्ली के छावला नजफगढ़ में हैवानियत को भी शर्मिंदा कर देने वाली उत्तराखंड की बेटी के साथ हुआ दुराचार और हत्या की घटना के सजा याफ्ता दोषियों को बरी किए जाने के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल किए जाने का औपचारिक ऐलान कर दिया गया है। वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में प्रेक्टिस कर रहे कोटद्वार मूल के युवा अधिवक्ता रोहित डंडरियाल द्वारा पीड़िता के पिता की ओर से यह रिव्यू पिटिशन दायर की जाएगी।

इस पिटिशन के साथ न्यायालय के बाहर से भी पहाड़ की बेटी को इंसाफ दिलाए जाने के लिए दूसरे संगठन एडिशनल मदद दूसरे ढंग से करेंगे, जिनका मोटा-मोटा शुरुआती खाका तैयार किया गया है।

जैसा की मालूम ही है कि दिल्ली के छावला इलाके में अब से 10 साल पहले वीभत्स ढंग से दुष्कर्म करके उत्तराखंड मूल की एक युवती अनामिका (काल्पनिक नाम, न्यायालय की पूरी कार्यवाही में इसी काल्पनिक नाम का उपयोग किया गया है) की हत्या कर दी गई थी। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई के बाद इस घटना को अंजाम देने वाले तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर की गई अपील के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के इसी फैसले पर अपनी मुहर भी लगाई थी। हाई कोर्ट के बाद जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंचा तो आश्चर्यजनक ढंग से सर्वोच्च न्यायालय ने 8 नवंबर 2022 को निचली दोनो अदालतों के फैसले को 180 डिग्री घुमाते हुए पूरा फैसला पलटकर अनामिका के बाइज्जत बरी कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तराखण्ड की बेटी अनामिका के परिजनों के पैरों तले से जमीन खिसक गई थी। परिजनों को यकीन नहीं हो पा रहा था कि जिन तीन आरोपियों ने उनकी बेटी के साथ दरिंदगी की सारी हदें पार कर उसकी हत्या कर दी थी, उन दरिंदों को देश की सर्वोच्च अदालत ने बरी कर दिया।

उत्तराखंड मूल की युवती के हत्यारों को रिहा करने के आदेश के बाद से ही राज्य में आक्रोश की लहर दौड़ गई। पूरे प्रदेश में गुस्से के बीच दिल्ली स्थित उत्तराखंडियों ने आंदोलन की राह पकड़ ली थी। दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के बाहर हुए प्रदर्शन के बाद सरकार और दिल्ली पुलिस से सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में दमदार अपील करने की मांग को लेकर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में शुक्रवार शाम दिल्ली में गढ़वाल भवन से वीर चंद्र सिंह गढ़वाली चौक तक उत्तराखंड की प्रवासी संस्थाओं ने कैंडल मार्च भी निकाला। इस मामले के लगातार तूल पकड़ने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतक पीड़िता के पिता से बात कर बिटिया को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार से हर सम्भव सहयोग की बात कही।

ऐसे में अब इस मामले में अनामिका के पिता की ओर से कोटद्वार के एडवोकेट रोहित डंडरियाल सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल करेंगे। एडवोकेट रोहित डंडरियाल ने जनज्वार से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर वकीलों की एक टीम निचली अदालत और हाई कोर्ट की फाइल का अध्ययन कर रही है। जिससे यह पता चल सकेगा कि वह कौन से कानूनी बिंदु थे, जो किसी चूक के कारण सुप्रीम कोर्ट में नहीं रखे जा सके। इन्हीं बिंदुओं को ट्रेस आउट करने के बाद रिव्यू पिटिशन का आधार बनाया जायेगा।

अधिवक्ता डंडरियाल ने कहा कि हमारे देश के कानून में लचीलापन होने के कारण जरा सी भी चूक का सीधा लाभ आरोपियों को ही मिलता है। जिसके चलते दूसरा पक्ष ऐसी चूक की ताक में रहते हैं। उन्होंने बताया कि इस संवेदनशील मामले की पूरी गंभीरता के साथ स्टडी की जा रही है। पीड़िता के पिता की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में रिव्यू पिटीशन दाखिल की जाएगी।

इसके अलावा छावला हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद 8 नवंबर को ही उत्तराखण्ड की बेटी को न्याय दिलाने को लेकर दिल्ली स्थित गढ़वाल भवन में जो समीक्षा बैठक हुई, उसमें जो नाराजगी इस समय समाज और पूरे भारत में व्याप्त है, उसका उपयोग नियमो और विनियमों को ध्यान में रखते हुए करने के साथ इस संवेदनशील मामले में अन्य समुदाय की भागीदारी करने का फैसला लिया गया। बैठक में समीक्षा याचिका के पक्ष में हस्त्ताक्षर अभियान चलाने के लिए अन्य सामाजिक संगठनों की मदद लेने और स्थानीय स्तर पर कैंडल मार्च/मौन व्रत जैसी आंदोलन को फॉर्म डेवलप करने की बात हुई।

दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की अध्यक्षता में एक कोर्ट कमेटी का गठन, कोर्ट केस की प्रगति को देखने के लिए एक समीक्षा समिति का गठन, बड़ी संख्या में एक स्थान पर धरना दिए जाने जैसे पहलू भी इस बैठक के एजेंडे में शामिल रहे थे।

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