Ramnagar News: धनगढ़ी नाले में बही कार, अध्यापकों ने कार से कूदकर बचाई जान, चार घंटे थमी रही नेशनल हाइवे पर रफ्तार
Ramnagar News: धनगढ़ी नाले में बही कार, अध्यापकों ने कार से कूदकर बचाई जान, चार घंटे थमी रही नेशनल हाइवे पर रफ्तार
Ramnagar News: कुमाउं-गढ़वाल को भावर से जोड़ने वाले नेशनल हाइवे पर स्थित धनगढ़ी नाले में मंगलवार की सुबह शिक्षकों की कार उफनाए नाले में बह गई। हालांकि कार में सवार सभी शिक्षकों ने समय रहते कार से कूदकर अपनी जान बचा ली, जिससे इस बरसाती नाले पर बड़ा हादसा होने से बच गया। टल गया।
जानकारी के अनुसार पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली बरसात के चलते कुमाउं और गढ़वाल को भावर क्षेत्र से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 309 पर स्थित धनगढ़ी नाला मंगलवार की सुबह फिर एक बार उफान पर आ गया था। उफनाए नाले ने इस हाइवे पर वाहनों की रफ्तार थाम दी। लेकिन ऑल्टो कार संख्या UK 19 A 3215 सल्ट के एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने जा रहे चार शिक्षको की कार धनगढ़ी के इस नाले को पार करने के प्रयास में नाले के पानी के तेज बहाव में बहने लगी।
कार को बहता देख कार में सवार शिक्षक सुरेश चन्द्र जोशी पुत्र गौरी शंकर जोशी निवासी दुर्गापुरी रामनगर, देवकी रावत पत्नी गोपाल सिंह रावत निवासी कोटद्वार रोड रामनगर, विमला शर्मा पत्नी नन्दकिशोर शर्मा निवासी टेड़ा रोड रामनगर तथा आयूषी ग्रोवर पत्नी प्रगट सिंह निवासी गिरीताल काशीपुर ने कार से बाहर कूद लगा दी। जिन्हें मौके लोगों और पुलिस के सहयोग से तत्काल ही बाहर निकाल लिया गया। लेकिन इनकी कार पानी के तेज धार में बह गई। नाले के उफान पर आने की वजह से सुबह से ही इस हाइवे पर यातायात बाधित हो गया। नाले के दोनो तरफ सैंकड़ों लोग घंटों पानी कम होने का इंतजार करते रहे। प्रशासन की ओर से भी जेसीबी से पत्थरों को हटाने का काम किया जा रहा है।
डेढ़ साल में बनने वाले पुल का अभी तक हुआ है चालीस फीसदी काम
बता दे कि इस नाले में अब तक दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। साल दर साल इस नाले पर होने वाले हादसों को देखते हुए साल 2020 में यहां पुल निर्माण के कार्य को मंजूरी मिली थी, जिसे 18 महीने के भीतर पूरा किया जाना था, लेकिन आज पुल का कोई अता पता नहीं है। राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के प्रयासों से इस क्षेत्र में दो पुल बनने थे। धनगढ़ी में 7 करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से 150 मीटर लंबा और पनोद नाले पर 6 करोड़ 33 लाख की लागत से 90 मीटर लंबा पुल बनना था। 8 नवंबर 2020 को इन पुलों का काम शुरू होते वक्त डेढ़ साल में इनके बनने का वायदा किया गया था। लेकिन इस साल के अप्रैल में बनकर तैयार होने वाले इन पुल का मॉनिटरिंग न होने की वजह से केवल चालीस फीसदी ही काम हुआ है।
पूर्व विधायक बोले, आपदा को लेकर सरकार नहीं है गंभीर
खासे महत्त्वपूर्ण इन पुलों के निर्माण की सुस्त रफ्तार पर पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत का कहना है कि भाजपा की राज्य सरकार ने पिछले साल चुकुम, सुन्दरखाल कुनखेत तथा नैनीताल जिले में आयी हुई आपदा से कुछ नहीं सीखा है। उस आपदा के घाव अभी भी हरे है। प्रभावितों को सहायता के नाम पर बस आश्वासन मिला काम कुछ नहीं हुआ। इसके बाद भी सरकार की तरफ से ऐसे मामलों में लगातार लापरवाही की जा रही है। इस बरसात में प्रशासन किसी अप्रिय घटना के इंतज़ार में है जिससे उनकी नींद टूटे। प्रशासन अपने आप स्वतः संज्ञान लेकर अपनी तैयारी या कोई पूर्व इंतजाम नहीं करेगा। पिछले हफ़्ते ही ढेला नदी पर लगभग 9 लोगों ने जान गंवा चुके हैं। धनगढ़ी नाले पर भी हर साल जान और माल का नुक़सान क्षेत्रवासी तथा बाहर से आते हुए पर्यटकों को सहना पड़ता है। ऐसे हादसों में जान-माल के नुक़सान से क्षेत्र की नेगेटिव मार्केटिंग भी होती है। जिसका दुष्प्रभाव राज्य के पर्यटन पर पड़ता है। किन्तु राज्य सरकार के पास क्षेत्रवासियो के जान माल को बचाने का कोई समाधान नहीं है ना ही बरसात के समय इन दुर्घटनाओ को रोकने का कोई पूर्व इंतज़ाम।