Remembering Theater artist Ajit Sahni: पहली बरसी पर रंगकर्मी अजीत को किया गया याद
Remembering Theater artist Ajit Sahni: बीते साल कोविद की चपेट में आकर नगर के रंगकर्म संसार को सूना कर दिवंगत हुए रंगकर्मी अजीत साहनी की पहली बरसी पर सामाजिक संगठनों, रंगकर्मियों, दोस्तों व परिजनों ने उन्हें अपने-अपने ढंग से याद कर देशभर में कोरोना महामारी के कारण अपनो से बिछड़ गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। नगर पालिका सभागार में प्रभात ध्यानी के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के अलावा दिल्ली, उप्र से भी लोगों ने हिस्सा लेते हुए संघर्षों को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया।
अजीत के साथ जनसंघर्ष की लड़ाई में हमसफर रहे उनके साथियों ने देश में बढ़ती सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ सांस्कृतिक प्रतिरोध को बुलंद करने का संकल्प लेते हुए अजीत साहनी की गाई हुई कविताओं पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि देश में खराब अस्पतालों की व्यवस्था व सरकार के बदइंतजाम के कारण केवल अजीत साहनी ही नहीं बल्कि 40 लाख से भी अधिक देशवासियों ने अपने प्राण त्याग त्याग दिए। देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर दस्तक दे रही है। परंतु सरकार ने पिछली महामारी से कोई सबक नहीं सीखा है और न ही देश की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हुआ है। हमारी सरकार सकल घरेलू उत्पाद का स्वास्थ सेवाओं पर 2% से भी कम खर्च करती है जबकि विकसित देश 17% तक करते खर्च करते हैं। वक्ताओं ने कहा कि कोरोना के कारण बिछड़े अपने मित्रों एवं परिजनों को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सभी मिलकर सरकार पर दबाव बनाएं कि सरकार स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार घोषित कर सभी बड़े अस्पतालों का राष्ट्रीयकरण करते हुए देशवासियों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क उपलब्ध कराए जाने की गारंटी करे।
कार्यक्रम में के दौरान राजकीय इंटर कॉलेज ढेला के प्राध्यापक नवेंदु मठपाल के नेतृत्व में स्कूली बच्चों की उज्यावक दगणी (सांस्कृतिक टीम) ने कई जनगीतों की प्रस्तुति दी। महिला एकता मंच की महिलाओं ने "कारवां बढ़ता रहेगा" जनगीत के साथ लड़ाई को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में दिवंगत अजीत के तमाम सहयोगियों ने अजीत के साथ हुए अपने अनुभवों को अपने-अपने ढंग से याद करते हुए उनकी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। बेटी गार्गी ने अपने पिता को एक जिंदादिल इंसान के तौर पर याद करते हुए कहा कि परेशानियों को उनके पिता ने खुद पर हावी नहीं होने दिया। परिवार में भी वह कमांडर की तरह नहीं बल्कि एक दोस्त की तरह रहे। कभी आदेश नहीं दिया, सदा राय दी।
अजीत के दोस्त अतुल अग्रवाल ने अजीत की जिंदगी के अनसुने किस्सों को बताते हुए उनके व्यक्तित्व की सराहना की। सहयोगी रंगकर्मी रामपाल किशोर ने उन्हें सदाबहार दोस्त के तौर पर याद किया। जेएनयू से आए धर्मप्रकाश मंटो ने अजीत को एक केयरफुल इंसान के तौर पर याद किया तो उनके बचपन के दोस्त मुनीष कुमार ने किशोर उम्र के संस्मरणों में याद किया। एडवोकेट ललित मोहन पाण्डे ने दिवंगत अजीत की शुरुआती राजनैतिक पहलकदमी के किस्सों को याद किया तो रूपेश कुमार ने अपनी पहली मुलाकात को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम में नरेंद्र जीत सिंह पूर्व पार्षद हल्द्वानी, भाकपा माले राजा बहुगुणा, अरुण रौतेला, इस्लाम हुसैन, पलाश विश्वास, दीपक तिरूवा, ललित चंद्र, जनकवि तकी बाजपुरी, गौरव कुमार चतुर्वेदी, ललिता रावत, निकलेश उपाध्याय, रोहित रूहेला, डॉ. निशांत पपनै, इंद्र सिंह मनराल, पान सिंह, मुकेश कुमार, प्रकाश शर्मा, कैसर राणा, कैलाश चंदोला, मनोज लोहनी, संजय रावत, राजवीर सिंह, प्रकाश भट्ट, कपिल शर्मा, सुमन साहनी, पावेल साहनी आदि सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।