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उत्तराखंड

Haridwar News: वाह ! बस हादसे के मृतकों के नाम ही काट दिए मुआवजे के चेक, फजीहत के बाद लिए वापस, बीरोखाल बस दुर्घटना का मामला

Janjwar Desk
29 Oct 2022 12:38 PM GMT
Haridwar News: वाह ! बस हादसे के मृतकों के नाम ही काट दिए मुआवजे के चेक, फजीहत के बाद लिए वापस, बीरोखाल बस दुर्घटना का मामला
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Haridwar News: वाह ! बस हादसे के मृतकों के नाम ही काट दिए मुआवजे के चेक, फजीहत के बाद लिए वापस, बीरोखाल बस दुर्घटना का मामला

Uttarakhand Pauri Bus Accident: इसी महीने की 4 तारीख को पौड़ी जिले में बारात की बस दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले में प्रशासन ने हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के नाम ही मुआवजे के चेक काटकर मृतकाश्रितों को पकड़ा दिए।

Uttarakhand Pauri Bus Accident: इसी महीने की 4 तारीख को पौड़ी जिले में बारात की बस दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले में प्रशासन ने हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के नाम ही मुआवजे के चेक काटकर मृतकाश्रितों को पकड़ा दिए। हालांकि मामला तूल पकड़ते ही तहसील से भेजे गए कर्मचारी की मदद से प्रशासन ने सारे चेक रिकवर कर लिए। जिन्हें संशोधित करके दुबारा वितरित किया जाएगा। इस प्रशासनिक चूक पर अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है।

मालूम हो कि अक्टूबर की शुरुआत में ही 4 तारीख को हरिद्वार से पौड़ी जिले के बीरोखाल स्थित कांडा मल्ला गांव के लिए निकली बारात की एक बस सिमड़ी के पास हादसे का शिकार हो गई थी। इस दुर्घटना में 34 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 19 लोग बुरी तरह से जख्मी हुए थे। हादसे के फौरन बाद सरकार की तरफ से मुआवजे का ऐलान किया गया था।

इधर अभी इस बस हादसे के घायलों को बेहतर इलाज न मिलने की खबरें चल ही रही थी कि अधिकारियों की लापरवाही और असंवेदनशीलता का एक और मामला उजागर हो गया। अधिकारियों ने मृतकों के मृतकाश्रितों को दिए जाने वाले मुआवजे के चेक आश्रितों के नाम काटने की बजाए मृतकों के नाम ही चेक काटकर बांट दिए। 12 मृतक आश्रितों को एक-एक लाख के दो-दो चेक गांव में कैंप लगाकर बांटे गए थे। यह चेक जब मृतकाश्रितों के हाथ में आए तो चेक पर अपने मृतक परिजन का नाम देखकर वह सकते में आ गए। हालांकि अपनी गलती का एहसास होते ही तहसील से एक कर्मचारी को भेजकर सभी लोगों से चेक वापस ले लिए गए। ग्रामीणों को बताया गया कि टाइपिंग मिस्टेक को संशोधित करने के बाद उन्हें दोबारा से चेक दिए जाएंगे। इस मामले में जब प्रशासन का पक्ष जानने के लिए एसडीएम पूरण सिंह राणा और तहसीलदार दयाराम को कई बार फोन किया गया दोनों ही अधिकारियों ने रिसीव नहीं किया।

घायलों के इलाज में भी हो रही है कोताही

एक तरफ जहां इस बस हादसे के मृतकों के प्रति प्रशासन की संवेदना का यह हाल है तो दूसरी तरफ इसी बस हादसे के घायलों को भी समुचित इलाज न मिलने के आरोप हैं। घायलों के परिजनों का आरोप है कि इलाज कर रहे डॉक्टर्स भी घायलों के प्रति उपेक्षित रवैया अपना रहे हैं। परिजन मीडिया को अपनी आपबीती बता रहे हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति ने अमर उजाला को भेजे एक वॉट्सऐप मैसेज में ऋषिकेश के एम्स में भर्ती अपनी भांजी के इलाज में कोताही का आरोप लगाया है। 'भांजी कोमा में है और एम्स में इलाज नहीं मिल रहा', इस मैसेज से ही घायलों को मिलने वाले इलाज की गंभीरता समझी जा सकती है।

बस हादसे में गंभीर घायलों के इलाज में कोताही का यह पूरा सच सामने लाने वाले इस व्यक्ति का कहना है कि बहुत सिफारिश के बावजूद एम्स में सही इलाज नहीं मिल पा रहा है। मेरी भांजी अंजलि (18 वर्ष) बस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई थी। भांजी के पिता की दुर्घटना में मृत्यु हो गई और भाई भी घायल हुआ। भांजी एम्स में भर्ती है और कोमा में है। बहुत सिफारिश के बावजूद एम्स में सही इलाज नहीं मिल पा रहा है। परिजन के मुताबिक पहले तो दवाइयां वहीं से दी जा रही थीं, अब दवाइयां भी बाहर से लिखी जा रही हैं। दवाइयां महंगी हैं और अकेली होने के कारण दवाइयां लाने में दीदी को बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्होंने सवाल किया कि जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस बस दुर्घटना के घायलों का सारा इलाज सरकारी खर्चे पर कराने की घोषणा कर चुके हैं तो डॉक्टर बाहर से दवाइयां लाने के लिए क्यों कह रहे हैं ?

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