Uttrakhand Flood News : अल्मोड़ा जिले में खत्म हुआ पेट्रोल-डीज़ल, लोगों में मचा हाहाकार
Uttrakhand Flood News : राज्य में तीन दिन की भारी बारिश से मौत का तांडव देखकर सहमे लोगों के सामने अब रोजमर्रा की जरूरतों की किल्लत दूसरी बड़ी दुश्वारी बनकर सामने आ गई है। पर्वतीय क्षेत्रों में जगह-जगह हुए भूस्खलन के बाद बन्द पड़ी सड़कों की वजह से मैदानी क्षेत्रों से होने वाली सप्लाई टूटने से पर्वतीय जिलों में जरूरत की चीजों के लिए हाहाकार मच गया है। अतिवृष्टि से हुए नुकसान का असर आम जनजीवन में दिखने लगा है। हालांकि मौसम साफ होने की वजह से पहाड़ों की दहशतजदा आबादी ने अपनी जान की सलामती के लिए राहत की सांस ली है। लेकिन सड़कों के बंद हो जाने के कारण पेट्रोल-डीजल, खाद्य पदार्थों की आपूर्ति ठप हो गई है। राज्य के सभी पर्वतीय जनपदों के कमोबेश यही हाल हैं।
अल्मोड़ा जिले के अधिकांश पेट्रोल पंपों में पेट्रोल डीजल खत्म हो गया है। जिस वजह से उन्होंने 'डीज़ल-पेट्रोल नहीं है' कि तख्तियां पेट्रोल पंप्स पर लगा दी हैं। गुरुवार को स्थानीय लोगों के साथ पर्यटक भी यहां पेट्रोल नहीं मिलने से परेशान रहे। पेट्रोलियम पदार्थों की दिक्कतों की वजह से निजी वाहन व टैक्सी वालों को अपने वाहन खड़े करने पड़े हैं। पेट्रोल पंप्स के रिजर्व कोटे से सरकारी काम-काज के वाहनों को ही पेट्रोल मिल पा रहा है। बाकी लोगों को कहीं भी पेट्रोल मुहैया नहीं हो रहा है।
इस जिले को जोड़ने वाला मुख्य हाईवे खैरना-भवाली बंद है। यह सड़क अल्मोड़ा की लाईफ लाइन कहलाती है। जिस वजह से इस सड़क का यातायात थमते ही अल्मोड़ा जिले की ज़िंदगी भी थम गई है। हालांकि प्रशासन फिलहाल वैकल्पिक मार्गों से आवागमन शुरू करने की जद्दोजहद में लगा है।
लेकिन फिलहाल टैंकर ट्रक और अन्य बड़े वाहनों का सीधे अल्मोड़ा पहुंचना संभव नहीं है। जिला पूर्ति अधिकारी दिव्या पांडे ने बताया कि सड़क बंद होने की वजह से अभी परेशानी है। जल्द ही पेट्रोल डीजल की किल्लत दूर की जाएगी। जिले में 22 पम्प है। सभी में किल्लत बनी हुई है।
इधर सड़कों के बंद होने का असर सब्जियों की उपलब्धता पर भी पड़ा है। आलू, गोबी, प्याज, टमाटर सहित बाहर से आने वाली सब्जियों की उपलब्धता प्रभावित हुई है। इनके दाम भी बढ़ने लगे हैं। सभी दुकानों पर सब्जियों के दामों में जबरदस्त उछाल देखने को मिलने लगा है।
कुल मिलाकर तीन दिन की आफत की बारिश के बाद पहाड़ों की जीवनरेखा मानी जाने वाली सड़कों के बन्द होने की वजह से पर्वतीय आबादी मुसीबतों का सामना कर रही है। शहरों और सड़कों के आस-पास की आबादी को अपनी जिंदगी सामान्य हालात में आने में थोड़ा इंतज़ार करना पड़गा, लेकिन दुर्गम स्थानों पर जनजीवन सामान्य होने में अभी लंबा समय लग सकता है।