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राष्ट्रीय

उत्तराखण्ड की धामी सरकार पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर धर्म विशेष की धार्मिक संरचनाओं को निशाना बनाने का बड़ा आरोप

Janjwar Desk
16 May 2023 7:14 PM IST
उत्तराखण्ड की धामी सरकार पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर धर्म विशेष की धार्मिक संरचनाओं को निशाना बनाने का बड़ा आरोप
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file photo

वन प्रशासन पर सांप्रदायिकता मानसिकता से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन संविधान के अनुरूप नहीं, बल्कि भाजपा सरकार के टूल के रूप में काम कर रहा है, कार्बेट टाइगर रिजर्व और कालागढ़ टाइगर रिजर्व में एक दर्जन धार्मिक संरचनाएं हैं, जिनमें से 9 संरचनाएं तोड़ी गई हैं, जो कि सभी मजारें हैं...

Ramnagar news : उत्तराखंड की धामी सरकार द्वारा एक धर्म विशेष की धार्मिक संरचनाओं ध्वस्त किए जाने के मामले को लेकर विभिन्न संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन अमित ग्वासीकोटी, तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य तथा रामनगर वन प्रभाग की एसडीओ पूनम सैंथल से मुलाकात की तथा अतिक्रमण हटाए जाने के नाम पर एक धर्म विशेष की धार्मिक संरचनाओं को निशाना बनाए जाने की कार्रवाई को संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन करार देते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने और पारदर्शिता का अनुपालन करने की मांग की।

समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी ने साझा बयान जारी कर वन प्रशासन पर सांप्रदायिकता मानसिकता से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन संविधान के अनुरूप नहीं, बल्कि भाजपा सरकार के टूल के रूप में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कार्बेट टाइगर रिजर्व और कालागढ़ टाइगर रिजर्व में एक दर्जन धार्मिक संरचनाएं हैं, जिनमें से 9 संरचनाएं तोड़ी गई हैं, जो कि सभी मजारें हैं।

तराई पश्चिमी वन प्रभाग द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि तराई पश्चिमी वन प्रभाग में दो दर्जन मंदिर, 14 मजारें व 2 गुरुद्वारे हैं, परंतु अतिक्रमण के नाम पर मात्र मजारों को ही वहां से हटाया गया है। वन गुर्जरों ने वन अधिकार कानून 2006 के अंतर्गत निजी एवं सामुदायिक दावे समाज कल्याण विभाग के समक्ष प्रस्तुत किए हुए हैं जिसको लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाई गई है कि जिन लोगों ने वनाधिकार के दावे डाले हुए हैं उनको न हटाया जाए। इसके बावजूद भी वन गुर्जरों के सामुदायिक दावों के अंतर्गत आने वाली मजार को भी हटा दिया गया है।

प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से पारदर्शिता का अनुपालन करने की मांग की है तथा कहा है कि वन भूमि पर जो भी चिन्हित अतिक्रमण है उसको सार्वजनिक किया जाए तथा देश के संविधान में दर्ज समानता का अधिकार जिसमें कहा गया है कि कानून के समक्ष किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, लिंग, भाषा, क्षेत्र को लेकर भेदभाव नहीं किया जाएगा, इसका अनुपालन किया जाए।

प्रतिनिधि मंडल में प्रभात ध्यानी, मुनीष कुमार, खुर्शीद आलम, सलमान सलमानी, टीके खान, मुजाहिद ओवेसी व केशन शर्मा आदि शामिल थे।

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