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Varanasi Crime News : शिव कुमार को 2 साल पहले BHU कैंपस से उठा ले गई थी पुलिस, अब कोर्ट में बोली- वह जिंदा नहीं

Janjwar Desk
22 April 2022 6:41 AM GMT
Varanasi Crime News : शिव कुमार को 2 साल पहले BHU कैंपस से उठा ले गई थी पुलिस, कोर्ट में बोलीं- वह जिंदा नहीं
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Varanasi Crime News : शिव कुमार को 2 साल पहले BHU कैंपस से उठा ले गई थी पुलिस, कोर्ट में बोलीं- वह जिंदा नहीं

Varanasi Crime News : यह घटना तब की है जब कोरोना के चलते पहले लॉकडाउन की घोषणा की जा चुकी थी, बीएचयू के सभी छात्र अपने-अपने घरों को लौट चुके थे, मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के गांव ब्रजपुर के रहने वाले शिव बीएसएसी सेकंड ईयर के छात्र थे....

Varanasi Crime News : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 13-14 फरवरी की रात को बीएचयू (Banaras Hindu University) में बीएससी की पढ़ाई कर रहे शिव कुमार त्रिवेदी अपने कॉलेज परिसर में बैठे थे। शिव खाना खाने के बाद अपने प्राइवेट हॉस्टल से कैंपस में टहलने के लिए निकले ही थे कि कुछ देर बाद ही डायल 112 नंबर की गाड़ी आती है और उसे उठाकर ले जाती है। शिव के गायब होने के बाद पुलिस कहती रही कि हम उसे लाए ही नहीं थे लेकिन बयान से खुद को फंसता देख पुलिस बयान बदलती है कि हमने तो शिव को छोड़ दिया था। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में चला गया था। तब से लेकर अब तक इस मामले पर सुनवाई हो रही है। मामले की जांच सीबीसीआईडी (CBCID) की टीम कर रही है। अब उसी पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया है कि शिव की मौत हो चुकी है और वह अब कभी नहीं लौटेगा। इस मामले में अदालत अगली सुनवाई 14 जुलाई को करेगी।

दरअसल यह घटना तब की है जब कोरोना के चलते पहले लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा की जा चुकी थी। बीएचयू के सभी छात्र अपने-अपने घरों को लौट चुके थे। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के गांव ब्रजपुर के रहने वाले शिव बीएसएसी सेकंड ईयर के छात्र थे। शिव को आखिरी बात तब देखा गया जब बनारस की लंका थाने की पुलिस उसे 13-14 फरवरी 2020 की रात अपने साथ ले जा रही थी। इसके बाद शिव कभी नहीं दिखा। इस दौरान उसके किसान पिता प्रदीप कुमार लगातार फोन करते रहे लेकिन शिव की ओर से फोन कॉल रिसीव नहीं हुआ। इसके बाद शिव के पिता बनारस आते हैं तो उन्हें पता चलता है कि उनका बेटा कई दिन से हॉस्टल में आया ही नहीं।

हैरान करने वाली बात यह है कि जो लंका पुलिस शिव कुमार को उठाकर ले गई वहीं प्रदीप कुमार के थाने पहुंचने पर शिव की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करती है। तब तक यह पता नहीं चला था कि लंका थाने की पुलिस शिव को ले आई थी। इसके बाद उन्होंने अखबारों में विज्ञापन दिए, इश्तहार छपवाए। इसके बाद पुलिस का भेद यहीं से खुलना शुरू हो गया।

दरअसल 13 फरवरी की रात को ही एक दूसरे एमएससी के छात्र अर्जुन सिंह ने 112 नंबर पर फोन करके पुलिस को बुलाया था। उस दिन के बारे में अर्जुन ने बताया कि उस समय कॉलेज बंद था और हॉस्टल में भी बच्चे नहीं थे। मुझे लगा कि नशे की वजह से कोई छात्र यहां बैठा है। इसलिए मैंने 112 नंबर पर फोन किया। मेरे सामने ही लंका थाने की पुलिस आई और शिव को ले गई। इसका बाद मैं भी इसे भूल गया लेकिन जब मैंने कॉलेज परिसर में गुमशुदगी का पोस्टर देखा तब शिव के पिता को पूरी बात बताई। अर्जुन बताते हैं कि साथ में आए पुलिसर्मियों ने कहा था कि वे शिव को कुछ देर में छोड़ देंगे।

शिव के पिता प्रदीप बताते हैं कि अर्जुन से बात करने के बाद अगले ही दिन मैं पिर से लंका थाने गया। वहां पूरी बात बताई। पुलिसवालों ने कहा कि उन्हें नहीं पता। उन्होंने मुझे चेतगंज थाने में भेज दिया। चेतगंज थाने गया तो कहा गया कि वह उनके थाने का मामला नहीं है। आप सीर गेट चौकी में पता करें। वहां गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला हमारे यहां का नहीं है, आप कंट्रोल रूम में जाएं और पता लगाएं कि ये गाड़ी किस थाने की है और लड़के को कहां ले गई है। मैं कंट्रोल रूम गया तो वहां बताया गया कि हमें जानकारी नहीं है।

प्रदीप ने बताया कि इसके अगले दिन मैं अर्जुन को लेकर एसएसपी के पास गया। अर्जुन के मोबाइल नंबर पर 112 नंबर से आया मैसेज दिखाया। एसएसएपी ने 112 नंबर के ड्राइवर को बुलाया। पूछताछ के बाद ड्राइवर ने ही बताया कि हमने ही शिव कुमार को 13 फरवरी की रात साढ़े आठ बजे लंका पुलिस चौकी छोड़ा था।


प्रदीप आगे बताते हैं कि एसएसपी के आदेश के बाद मुझे उनके पास भेजा जाता है शिव को जिन्हें सौंपा गया था। तत्कालीन लंका थाना इंचार्ज भूषण तिवारी के सामने ड्राइवर ने कहा कि मैंने इन्हें ही सौंपा था। भारत भूषण कहते हैं कि शिव रातभर कस्टडी में बंद था। सुबह जब हमने देखा तो उसने कपड़े में बाथरूम कर दिया था। वह मानसिक रूप से बीमार था इसलिए हमने उसे छोड़ दिया। इसके बाद कहां गया हमें नहीं पता।

तत्कालीन एसएचओ भूषण तिवारी कहते हैं - तब 16 फरवरी को पीएम मोदी का दौरा था। सब उसी में व्यस्त थे। उसी समय प्रदीप कुमार त्रिवेदी थाने में गुमशुदगी लिखवाने आए थे जिसके बाद हमने जांच शुरू की और इसके जांच अधिकारी कुंवर सिंह थे। फिर बाद में लॉकडाउन लग गया। बाद में मेरा ट्रांसफर भी हो गया। अब तो मामला हाईकोर्ट में है। भारत भूषण इस समय एटीएस वाराणसी तैनात है।

इस मामले को दो साल से ज्यादा का वक्त बीच चुका है। पुलिस के मुताबिक उन्होंने शिव को कई राज्यों में ढूंढा, कई जगह तो वे प्रदीप को भी साथ ले गए लेकिन शिव तो पहले ही मर चुका था। 21 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने बताया कि 15 फरवरी 2020 को (शिव को ले जाने के दो दिन बाद) को बनारस के रामनगर में स्थित जमुना तालाब में एक शव मिला था। सीबीसीआईडी सीआईएस शाखा लखनऊ की आईपीएस सुनीता सिंह की अगुवाई में पुलिस ने उसका डीएनए टेस्ट कराया जो शिव के पिता प्रदीप त्रिवेदी से मैच कर गया। मतलब शिव की मौत हो चुकी है।

शिव कुमार बेहद गरीब घर से ताल्लुक रखते थे लेकिन वह एक मेधावी छात्र थे। नवोदय से 12वीं करने के बाद ही उसने आईआईटी की परीक्षा पास की और फिर बीएचयू में एडमिशन लिया। शिव का चोटा भाई उमाशंकर त्रिवेदी डीयू से स्नातक करने के बाद यूपीएससी की तैयारी कर रहा है।

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