Waseem Rizvi New Name: इस्लाम छोड़कर हिंदू बने वसीम रिजवी, जानें क्या रखा नया नाम?
इस्लाम को छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने वाले वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी पर फिर से इस्लाम में वापस लौटने का दबाव।
Waseem Rizvi New Name: शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी (Waseem Rizvi) ने आज इस्लाम (Islam) छोड़कर हिंदू धर्म (Hindu Religion) ग्रहण किया। रिजवी ने गाजियाबाद के डासना मंदिर (Dasna Devi Temple) में हिंदू धर्म को स्वीकार किया। इस मौके पर उन्होंने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि यह धर्मपरिवर्तन नहीं है। जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया है तो मेरी मर्जी मैं कौन सा धर्म चुनता हूं।
रिजवी ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा धर्म सनातन धर्म ही है। इस्लाम कोई धर्म नहीं है। इससे पहले आज सुबह रिजवी ने डासना देवी मंदिर में शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक कर हिंदू सनातन धर्म मे आस्था जताई। रिजवी रविवार की रात को ही डासना देवी मंदिर पहुंच गए थे।
डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती (Yati Narsinhanand Saraswati) की मौजूदगी में सुबह साढ़े दस बजे मंदिर के पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चार और अनुष्ठानों के जरिए उन्हें सनातन धर्म ग्रहण कराया। धर्म परिवर्तन के बाद रिजवी अब त्यागी बिरादरी से जुड़ गए। सैय्यद वसीम रिजवी का नया नाम अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी होगा। अब उनका गोत्र वत्स है। धर्म परिवर्तन से पहले रिजवी ने कहा था कि नरसिंहानंद गिरी महाराज ही उनका नया नाम तय करेंगे।
Former #UttarPradesh Shia Waqf Board chief #WasimRizvi has embraced Hinduism. New Name, Jitendra Narayan Singh Tyagi #wasimrizvi pic.twitter.com/z8sXQ1kiHd
— Manoj Pandey (@PManoj222) December 6, 2021
इस्लाम छोड़कर हिन्दू बनने के बाद जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी) ने कहा, "धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है, जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन सा धर्म स्वीकार करूं। सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, जितनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं, और किसी धर्म में नहीं है। इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते। हर जुमे की नमाज के बाद हमारा सिर काटने के लिए फतवे दिए जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में हमको कोई मुसलमान कहे, इससे हमको खुद शर्म आती है।"
वसीम रिजवी ने हाल ही में अपनी वसीहत सार्वजनिक की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरे मरने के बाद उन्हें दफनाया ना जाए, बल्कि हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए। साथ ही उनके शरीर को भी जलाया जाये। रिजवी ने यति नरसिम्हानंद द्वारा उनकी चिता को अग्नि देने की भी इच्छा जाहिर की थी।