बंगाल : ममता सरकार ने शुभेंदु के सांसद पिता शिशिर अधिकारी को पद से हटाया, कहा - 'बीमार हो गए हैं'
ममता बनर्जी के साथ शुभेंदु अधिकारी व उनके पिता शिशिर अधिकारी का फाइल फोटो।
जनज्वार। पश्चिम बंगाल की राजनीति में विधानसभा चुनाव को लेकर हर दिन नए उलट-फेर हो रहे हैं। बंगाल की राजनीति में प्रभावी हैसियत रखने वाले शुभेंदु अधिकारी के तृणमूल छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में जाने के बाद उनके सांसद पिता शिशिर अधिकारी को तृणमूल चीफ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सजा दी है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने शिशिर अधिकारी को दीघा शंकरपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद से हटा दिया है। राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में जारी एक अधिसूचना के अनुसार, इस पर पर शिशिर अधिकारी की जगह विधायक अखिल गिरि की नियुक्ति की गयी है।
अखिल गिरि की पहचान शिशिर अधिकारी व उनके परिवार के एक विरोधी नेता की छवि तृणमूल कांग्रेस के अंदर रही है। यानी राज्य सरकार ने ऐसा कदम उठाकर एक तरह से बुजुर्ग नेता शिशिर अधिकारी को यह संकेत दे दिया है कि पार्टी से उनके बेटों के दो जाने के बाद अब उनके रिश्ते भी तृणमूल से पूर्व की तरह नहीं रहे। 79 वर्षीय शिशिर अधिकारी पूर्वी मेदिनीपुर से पार्टी के सांसद हैं।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने शिशिर अधिकारी को पद से हटाये जाने के बाद कहा है कि शिशिर दा एक अनुभवी नेता है और शायद अस्वस्थ हैं, हमें उस समय पीड़ा हुई जब उन्होंने अपने बेटों शुभेंदु अधिकारी और सौमेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई शब्द नहीं बोला, जो भाजपा में जाने के बाद लगातार तृणमूल कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं। वहीं, शिशिर अधिकारी ने इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वे जो चाहें कर सकते हैं, मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है।
मालूम हो शुभेंदु अधिकारी ने पिछले महीने गृहमंत्री अमित शाह की एक रैली के दौरान भाजपा की सदस्यता ले ली और उसके बाद अपने भाई सौमेंदु को भी पार्टी मे ंशामिल करवाया जिन्हें कांथी नगरपालिका के प्रशासक पद से ममता सरकार ने हटा दिया था।
पूरा अधिकारी परिवार अबतक तृणमूल कांग्रेस की राजनीति करता रहा है, लेकिन परिवार के मुख्य राजनीतिक चेहरे शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में जाने के बाद अन्य सदस्यों के भी भगवा खेमे में जाने की संभावना बढ गयी है।
उधर, तृणमूल नेता व राज्य सरकार के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने दावा किया है कि भाजपा के सात सांसद तृणमूल कांग्रेस के संपर्क में हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि तृणमूल से भाजपा में गए विधायकों में दो-चार को छोड़ सभी वापस लौटना चाहते हैं।