Wheat Price Rise in India : महंगाई हमारी थाली से रोटी छीनने को भी कैसे है तैयार? जानिए कैसे ब्रेड और बिस्किट की भी हो सकती है किल्लत?
Wheat Price Rise in India : महंगाई हमारी थाली से रोटी छीनने को भी कैसे है तैयार? जानिए कैसे ब्रेड और बिस्किट की भी हो सकती है किल्लत?
Wheat Price Rise in India : आपकी थाली के रोटी पर भी महंगाई आफत बनकर बरसने (Wheat Price Rise in India) वाली हैं। क्योंकि जो हालात बनते दिख रहे हैं उसके अनुसार देश में आने वाले दिनों में ब्रेड, बिस्किट और आटे की कीमतों में बड़ा उछाल (Wheat Price Rise in India) देखने को मिल सकता है। ऐसे में देश में आने वाला समय संकटों से भरा हो सकता है। देश के कुछ हिस्सों में अभी से ही गेहूं और आटा अपने अब तक के उच्चतम दर पर बिकने (Wheat Price Rise in India) लगा है। इसका एक कारण यह बताया जा रहा है कि चूंकि रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण विदेशों में भारत के गेहूं की मांग बढ़ गयी है, ऐसे में गेहूं का अधिक निर्यात होने से देश में इसकी उपलब्धता प्रभावित हो रही है।
सरकार ने अब तक ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) का नहीं किया है ऐलान
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले महीने से ब्रेड, बिस्किट, रोटी और परांठे की कीमतें बढ़ (Wheat Price Rise in India) सकती हैं। दरअसल सरकार ने इस साल अभी तक गेहूं के लिए ओपर मार्केट सेल स्कीम का एलान नहीं किया है। आटा, ब्रेड और बिस्किट बनाने वाली कंपनियों को डर है कि अगर ओएमएसस के जरिए गेहूं किी बिक्री नहीं होती है तो, इससे बाजार में कीमतें काफी तेजी से बढ़ सकती है और गेहूं का सीजन नहीं होने के चलते इसकी किल्लत भी देखने को मिल सकती है। आपको बता दें कि ओएमएसएस स्कीम के जरिए सरकार खुले बाजार में अनाज की सप्लाई और कीमतों को नियंत्रित करती है। कीमतों में बढ़ोतरी का असर जून में देखने को मिल सकता है, जब स्कूल-कॉलेजों के खुलने और मॉनसून सीजन के आगमन के चलते पारंपरिक रूप से इन वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है।
OMSS से बाजार में गेहूं की कीमतें रहती हैं नियंत्रित
फूड कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक एफसीआई समय-समय पर ओएमएसएस स्कीम के जरिए गेहूं बेचती है, ताकि बाजार में इस अनाज की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चि की जा सके यह बिक्री खासतौर से उस सीजन में की जाती है, जब बाजार में गेहूं की आवक घट जाती है। इस स्क्रीम का फायदा यह होता है कि इससे खुले बाजार में गेहूं की किल्लत नहीं होती है और इसकी कीमत नियंत्रित रहती है।
बाजार में गेहूं कि स्थिति के आधार पर, कंपनियों की एफसीआई से गेहूं कि सालाना खरीद कुछ क्विंटल से 70-80 लाख टन तक हो सकती है। भारत में पिछले तीन साल से गेहूं का सरप्लस उत्पादन हो रहा है, ऐसे में एफसीआई अपने पास पड़े अतिरिक्त गेहूं को निकालने के लिए डिस्काउंट और माल ढुलाई पर कुछ छूट भी देती है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बाजार मुल्य पर करनी होगी सौ फीसदी गेहूं की खरीद
रिपोर्ट के अनुसार, घरेलु गेहूं प्रसंस्करण उद्योगों ने साल 2021-22 में सरकार से 70 लाख टन की गेहूं खरीद की थी। इस साल अगर सारकार ओएमएसएस नीति को जारी नहीं रखने का फैसला करती है, तो इंडस्ट्री का अपनी जरूरत का सौ फीसदी गेहूं खुले बाजार से खरीदना पड़ेगा जो उनके लिए महंगा (Wheat Price Rise in India) सौदा साबित हो सकता है।
मिलरों को इस साल एफसीआई पर निर्भर नहीं रहने को कहा गया है
इस बारे में अंग्रेसी समाचारपत्र इकनॉमिक टाम्स ने एक पुराने मिलर से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार ने इस साल हमें एफसीआई पर निर्भर नहीं रहने को कहा है क्यों इस साल वे निजी व्यापारियों को गेहूं बेचने को लेकर पक्का नहीं हैं। आटा मिलिंग उद्योग ने हाल ही में फूड मिनिस्ट्री को एक पत्र लिखकर इस आगामी संकट के बारे में चेतावनी दी है। इस पत्र में कहा गया है कि यह साफ है कि सरकार के पास साल की दूसरी छमाही में ओएमएसएस के जरिए बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए शायद ही कोई गेहूं बचेगा। राज्य सरकारों को उनकी अपनी कल्याणकारी योजनाओं के लिए गेहूं की सप्लाई भी रोक दी गयी है, जो आने वाले संकट (Wheat Price Rise in India) की ओर इशारा कर रहा प्रतीत होता है।
गेहूं से बने उत्पादों की कीमतों में आ सकती है उछाल
इस पत्र में आगे यह भी कहा गया है कि उद्योग को यह आशंका है कि वह भविष्य में वाजिब दाम पर आटे की सप्लाई करने में सक्षम नहीं रहेगी। इसके चलते मिलिंग इंडस्ट्री और ब्रेड-बिस्किट इंडस्ट्री के लिए अनिश्चित स्थिति (Wheat Price Rise in India) हो सकती है। मुंबई के आटा मिलर और एक्सपोर्ट अजय गोयल ने इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा है कि ओएमएसएस खुले बाजार में गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार के पास उपलब्ध इकलौता तरीका है। इसका प्रयोग कर सरकार बाजार में हस्तक्षेप करती है।