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Maharshtra की राजनीति में तूफान लाने और उद्धव को चुनौती देने वाले शिवसैनिक Eknath Shinde कौन हैं?

Janjwar Desk
22 Jun 2022 3:14 AM GMT
Maharashtra Political Crisis : एकना​थ शिंदे बोले - असली शिवसैनिक हैं, सत्ता के लिए कभी धोखा नहीं देंगे
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Maharashtra Political Crisis : एकना​थ शिंदे बोले - असली शिवसैनिक हैं, सत्ता के लिए कभी धोखा नहीं देंगे

महाराष्ट्र ( Maharashtra Politics ) की राजनीति में शिंदे को ठाकरे परिवार के बाद पार्टी में सबसे मजबूत शिवसैनिक माना जाता है। 2019 में अगर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने को राजी नहीं हुए होते तो प्रबल संभावना यही थी कि शिंदे ही सीएम बनते।

Maharashtra : महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से लेकर दिल्ली तक में सियासी हलचल मची हुई है। सियासी हलचल के केंद्र में शिवसैनिक एकनाथ शिंदे ( Eknath Shinde ) हैं। वह एमएलसी चुनाव परिणाम आने के तत्काल बाद शिवसेना ( Shiv Sena ) और महाराष्ट्र सरकार ( Uddhav Government ) को समर्थन देने वाले लगभग तीन दर्जन विधायकों के साथ गुवाहाटी फुर्र हो गए और उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) देखते रह गए। वह अब उद्धव ठाकरे के सामने भाजपा ( BJP ) के साथ चट्टान की तरह उन्हीं के विधायक को लेकर खड़े हो गए हैं। अब चर्चा इस बात की है कि आखिर एकनाथ शिंदे कौन हैं, क्या करते आये हैं, क्या है उनकी मंशा।

दअरसल, 1997 में शिंदे ( Eknath Shinde ) को शिवसेना ( Shiv Sena ) ने ठाणे नगर निगम चुनाव में पार्षद का टिकट दिया था, जिसमें उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की थी। 2001 में उन्हें ठाणे नगर निगम में सदन का नेता चुना गया और वो 2004 तक इस पद पर रहे। इसके बाद उन्होंने हार का मुंह ही नहीं देखा। पार्टी ने जहां से जिस चुनाव में खड़ा किया, शिंदे को जीत हासिल हुई। एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री हैं।

कभी ऑटो चलाते थे एकनाथ शिंदे

एकनाथ शिंदे v का जन्म 9 फरवरी 1964 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। शिंदे मराठी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। एकनाथ शिंदे ने 11वीं कक्षा तक ठाणे में ही पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद उन्होंने ऑटो चलाना शुरू कर दिया था। कुछ साल ऑटो चलाने के बाद वह शिवसेना से जुड़ गए और एक आम कार्यकर्ता के रूप में काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने हर चुनाव में जीत हासिल की।वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी माने जाते हैं।

शिवसेना से जुड़े आंदोलनों में आगे रहे हैं शिंदे

एकनाथ शिंदे ( Eknath Shinde ) ठाणे की कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से साल 2004 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे। इसके बाद साल 2004 में शिवसेना ( Shiv Sena ) के टिकट से वह पहली बार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में भी वह लगातार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। शिंदे पार्टी की तरफ से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को लेकर कई आंदोलनों में सबसे आगे रहे। वह पार्टी की कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। वो अक्टूबर, 2014 से लेकर दिसंबर, 2014 तक महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे थे। उनके बेटे श्रीकांत शिंदे फिलहाल कल्याण से शिवसेना के लोकसभा सांसद हैं।

2019 में सीएम बनते-बनते रह गए थे शिंदे

महाराष्ट्र की राजनीति में शिंदे ( Eknath Shinde ) को ठाकरे परिवार के बाद पार्टी में सबसे मजबूत शिवसैनिक माना जाता है। 2019 में अगर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने को राजी नहीं हुए होते तो प्रबल संभावना यही थी कि शिंदे ही सीएम बनते। 2019 के चुनावी नतीजे आने के बाद शिवसेना ने उन्हें विधायक दल का नेता भी घोषित कर दिया था, लेकिन सहयोगियों पार्टियों की जिद के चलते उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया गया। एनसीपी से नाराजगी की वजह भी यही है।

नाराज क्यों हैं शिंदे?

एकनाथ शिंदे पिछले काफी समय से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) और पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय राउत से नाराज हैं। पार्टी में नजरअंदाज किए जाने से दुखी शिंदे की नेतृत्व से लंबे समय से नाराजगी बनी हुई है। कहा जा रहा है कि उन्हें अपनी मर्जी से विभाग चलाने की छूट नहीं दी जा रही थी और उनके काम पर लगातार नजर रखी जा रही थी। इसके अलावा वो पार्टी में आदित्य ठाकरे के बढ़ते कद से भी आहत चल रहे थे।

भाजपा से नजदीकी बनी उद्धव से दूरी की वजह

शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ( Eknath Shinde ) पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। अब भाजपा ने फड़णवीस के साथ उनकी करीबी और शिवसेना से नाराजगी का मौका उठाते हुए सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। ताजा बगावत के बाद शिवसेना ने उन्हें प्रमुख व्हिप के पद से हटा दिया है और उनकी जगह अजय चौधरी को पद सौंपा गया है। शिवसेना शिंदे को मनाने की कोशिशों में जुटी हुई है।

क्या है पूरा मामला, जिससे महाराष्ट्र में मची है खलबली

Maharashtra Politics : दरअसल, एमएलसी चुनाव के तत्काल बाद से ही महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल होना शुरू हो गया थां एमएलसी की 10 सीटों पर चुनाव हुए, जिसके लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थें इसमें शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन ने छह उम्मीदवार उतारे थे तो बीजेपी ने पांच लेकिन, चुनाव के परिणाम आते ही अब शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार को समर्थन देने वाले करीब तीन दर्जन विधायक अचानक गायब हो गए। जिन्हें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबी और शिवसेना पुराने नेता शिंदे ( Eknath Shinde ) अपने साथ लेकर गुजरात पहुंच गए हैं।

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