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Pandu Narote Profile: कौन थे पांडु नरोटे, जिनकी 51 दिन पहले हुई जेल में मौत बनी जीएन साईंबाबा और अन्य के बाइज्जत बरी होने का आधार

Janjwar Desk
14 Oct 2022 3:09 PM IST
कौन थे पांडु नरोटे, जिनकी 51 दिन पहले हुई जेल में मौत बनी जीएन साईंबाबा और अन्य के बाइज्जत बरी होने का आधार
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कौन थे पांडु नरोटे, जिनकी 51 दिन पहले हुई जेल में मौत बनी जीएन साईंबाबा और अन्य के बाइज्जत बरी होने का आधार

Pandu Narote Profile: अगर दो माह पूर्व बॉम्बे हाईकोर्ट नागपुर पीठ का यह फैसला आ गया होता तो संभवत: नरोटे की भी जान बच जाती, पर ऐसा नहीं हुआ और सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत नरोटे आज हमारे बीच नहीं हैं।


जीएन साईंबाबा की रिहाई के बाद चर्चा में आये पांडु नरोटे पर धीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट

GN saibaba acqitted maoist link case : बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को माओवादियों से संबंध रखने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत नागपुर जेल में उम्रकैद की सजा झेल रहे पांच लोगों को बरी कर दिया है। इनमें पांच साल से जेल में बंद दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीए साईंबाबा ( GN Saibaba ) सहित महेश तिर्की, हेम केश्वदत्त मिश्रा, प्रशांत राही और विजय नान तिर्की का नाम शामिल है। हाईकोर्ट ( Bombay High Court ) ने सभी तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।

यहां पर इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि इन्हीं लोगों के साथ जेल में बंद पांडु पोरा नरोटे ( Pandu pora narote ) की 51 दिन पहले जेल अधिकारियों की लापरवाही की वजह से मौत हो गई थी। अगर दो माह पूर्व बॉम्बे हाईकोर्ट नागपुर पीठ का यह फैसला आ गया होता तो संभवत: नरोटे की भी जान बच जाती, पर ऐसा नहीं हुआ और सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत नरोटे आज हमारे बीच नहीं हैं। यही वजह है कि बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा माओवादी लिंक से जुड़े यूएपीए मामले में जीएन साईबाबा सहित पांच लोगों की रिहाई के साथ सबसे ज्यादा अगर कोई चर्चा में हैं तो उस शख्स का नाम है पांडु पोरा नरोटे। माना जाता है कि नरोटे की जिस दिन जेल में मौत हुई वो दिन 1947 के बाद के भारतीय इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक था। पांडु नरोटे उस शख्स का नाम है जिसने सत्ता द्वारा लोकतांत्रिक असंतोष को कुचलने के प्रयासों के खिलाफ अभूतपूर्व योगदान दिया था।

कौन थे पांडु पोरा नरोटे

पांडु पोरा नरोटे ( Pandu Narote ) महाराष्ट्र के गढ़चिरौली सिटी से दूरदराज वाले इलाके में स्थित एक गांव के रहने वाले थे। वह और उनका परिवार आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखता है। वह बहुत ही गरीब परिवार से थे। आज भी उनका परिवार, उनकी पत्नी अपनी एक बेटी के साथ महाराष्ट्र राज्य के गढ़चिरौली से दूर अपने गांव में रह रहा है। जानकारी के मुताबिक जब पांडु नरोटे की 25 अगस्त 2022 को जेल अधिकारियों की लापरवाही से तथाकथित स्वाइल फ्लू से मौत हुई तो उनके अंतिम संस्कार के लिए परिवार वालों के पैसा व अन्य साधन भी नहीं थे। आर्थिक रूप से विपन्नता के हालात में जिंदगी जीने के बावजूद पांडु पोरा नरोटे का युवा मानवाधिकारवादी और जमीन स्तर पर सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष का सिपाही होना अपने आप में चौंकाने वाला है। वह प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद एक मिशन के लिए जीने वाले शख्स में से एक थे। संभवत: इसी वजह से जेल में समय पर इलाज के अभाव में उनकी मौत को वामपंथी विचारधारा से जुड़े लोग एक सिपाही का शहीद होने जैसा मानते हैं।

मौत राजनीतिक कैदी का गला घोटने जैसा

दरअसल, माओवादियों से संबंध रखने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार पांडु नरोटे की स्वाइन फ्लू की वजह से नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मौत हुई थी। उनकी मृत्यु प्रोटो-फासीवाद साजिश के खिलाफ एक राजनीतिक कैदी का गला घोंटने जैसा था। वह मुख्यधारा से कटे गरीब, दलित और शोषितों के लिए एक शीर्ष स्तर के झिलमिलाते सितारे में से थे। मृत्यु के समय वह 35 साल के थे।

वसंत ने की थी उच्च स्तरीय जांच की मांग

जीएन साईंबाबा ( GN Saibaba ) की पत्नी वसंत कुमारी का आरोप है कि नरोटे की मृत्यु जेल अधिकारियों की लापरवाही का परिणाम है। जेल अधिकारियों ने उनके स्वास्थ्य के बारे में कभी सही जानकारी नहीं दी, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई। वसंत कुमारी ने उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में उनके मौत की न्यायिक जांच की मांग भी की थी। उन्होंने हाईकोर्ट से की अपील में कहा था कि नरोटे की मौत के दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वसंता कुमारी ने उनकी मौत के बाद साईंबाबा के स्वास्थ्य को लेकर भी गंभीर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि साईंबाबा भी जेल में स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। वह अक्सर अपने जेल के अपने सेल में बेहोश हो जाते हैं। वह हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (हृदय की समस्या), उच्च रक्तचाप, पैरापलेजिया, रीढ़ की किफोस्कोलियोसिस, तीव्र अग्नाशयशोथ और पित्ताशय की पथरी से पीड़ित हैं, उन्होंने दावा किया था कि सीटी स्कैन रिपोर्ट ने मस्तिष्क में एक पुटी का भी संकेत दिया है। इसके बावजूद जेल अधिकारी उनके स्वास्थ्य को गंभीरता से नहीं लेते हैं।

डीआईजी जेल ने माना नरोटे की तबीयत नहीं थी ठीक

वहीं नरोटे की मौत के बाद नागपुर जेल की डीआईजी स्वाति साठे ने कहा था कि उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। उन्हें 20 अगस्त को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 25 अगस्त की शाम को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

पहली बार 2013 में हुए थे गिरफ्तार

पीपी नरोटे को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईंबाबा और तीन अन्य के साथ गिरफ्तार किया गया था, जब गढ़चिरौली की एक जिला अदालत ने उन्हें मार्च 2017 में माओवादी गतिविधियों को सहायता और उकसाने के लिए यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। नरोटे को सबसे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने अगस्त 2013 में गढ़चिरौली जिले के अहेरी में आदिवासी जिले में वामपंथी चरमपंथी आंदोलन में उनकी कथित भूमिका के लिए दो अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद गढ़चिरौली पुलिस ने मई 2014 में साईंबाबा को प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) का सदस्य होने, रसद प्रदान करने और समूह के लिए भर्तियों में मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। नरोटे 2013 से ही नागपुर सेंट्रल जेल में थे। पांडु नरोटे, साईबाबा और चार अन्य को मार्च 2017 में यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

चिट्ठी लिख लोगों ने की थी सीजेआई से इस बात की मांग

यही वजह है कि नागपुर जेल में 51 दिन पहले नरोटे की मौत के बाद से जीएन साईंबाबा सहित के स्वास्थ्य और खतरे को लेकर उनके परिजन समेत विचारधारा से जुड़े लोग चिंता जाहिर करने लगे थे। साईबाबा की पत्नी वसंत कुमारी ने कई बार बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ से उनकी रिहाई के लिए अनुरोध कर चुकी हैं। 14 अक्टूबर को साईबाबा सहित अन्य की रिहाई उनकी मौत का ही परिणाम माना जा रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई एक याचिका के हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा था उनकी उम्रकैद की सजा मौत की सजा में बदल गई है। इन घटनाओं का परिणाम है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने जीएन साईंबाबा सहित पांच लोगों को जेल से बाइज्जत बरी कर दिया।

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