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Prayagraj News: मुस्लिमों को लेकर उच्च न्यायालय की बड़ी टिप्पणी, कहा- पत्नी बच्चों का पालन नहीं कर सकते तो ना करें दूसरा निकाह

Janjwar Desk
12 Oct 2022 7:39 AM GMT
Prayagraj News: मुस्लिमों की शादी पर उच्च न्यायालय की टिप्पणी, कहा- पत्नी बच्चों का पालन नहीं कर सकते तो ना करें दूसरा निकाह
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Prayagraj News: मुस्लिमों की शादी पर उच्च न्यायालय की टिप्पणी, कहा- पत्नी बच्चों का पालन नहीं कर सकते तो ना करें दूसरा निकाह

Prayagraj News : उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High court) ने मुस्लिम युवकों की दूसरी शादी को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अपने इस फैसले में अदालत ने कहा कि अगर व्यक्ति खुद की पहली पत्नी और बच्चों का ख्याल नहीं रख पा रहा है तो उसे...

Prayagraj News : उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High court) ने मुस्लिम युवकों की दूसरी शादी को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अपने इस फैसले में अदालत ने कहा कि अगर व्यक्ति खुद की पहली पत्नी और बच्चों का ख्याल नहीं रख पा रहा है तो उसे दूसरी शादी नहीं करनी चाहिए। अदालत ने इसे पहली पत्नी के साथ पति द्वारा क्रूरता करार दिया है।

फैसले के दौरान अदालत (Court) ने कुरान की आयतों का भी जिक्र किया। कुरान (Kuran) की आयतों का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि पत्नी और बच्चों के साथ न्याय नहीं कर पाने वाले को दूसरी शादी (Second Marriage) करने की इजाजत नहीं है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक केस में फैसला सुनाते हुए कहा कि कोई भी देश और समाज सभ्य तभी हो सकता है, जब वहां महिलाओं का सम्मान होता हो। कोर्ट ने इस बात के लिए कुरान की सूरा 4 आयत 3 के हवाले से कहा कि अगर युवक पत्नी और बच्चों की देखभाल करने में सक्षम नहीं है, तो ऐसी सूरत में दूसरी शादी की इजाजत नहीं होगी।

जस्टिस एस पी केसरवानी और राजेंद्र कुमार की बेंच ने संतकबीरनगर की फैमिली कोर्ट के फैसले को सही करार देते हुए फैसला सुनाया, जहां अजीजुर्रहमान नामक शख्स ने पहली पत्नी को साथ रखने की अपील की थी। हालांकि पत्नी हमीदुन्निशा ने कहा था कि वह साथ नहीं रहना चाहती है। कोर्ट ने भी आदेश दिया कि मर्जी के खिलाफ पति के साथ रहने को लेकर आदेश नहीं दिया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि जब पहली पत्नी और बच्चों का खर्च नहीं उठा सकते तो दूसरी शादी करने से खुद ही बचना चाहिए। बगैर पत्नी की सहमति के दूसरी शादी करना क्रूरता है। अगर अदालत पहली पत्नी की मर्जी के खिलाफ पति के साथ रहने को मजबूर करती है तो यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमामय जीवन के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करना होगा।

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