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समाज

हरियाणा में बाजार से खरीदकर लाई गईं 1 लाख 30 हजार बहुएं, सर्वे में खुलासा

Prema Negi
1 Dec 2019 7:46 AM GMT
हरियाणा में बाजार से खरीदकर लाई गईं 1 लाख 30 हजार बहुएं, सर्वे में खुलासा
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खरीदी हुई दुल्हनों से वंशबेल बढ़ाता हरियाणा, संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा अलग होने के बावजूद हरियाणा के करीब डेढ़ लाख परिवारों का घर रोशन किए हुए हैं ये मोल की बहुएं....

चंडीगढ़ से शिखा शर्मा

जनज्वार, चंडीगढ़। बैंग्लुरू के बाद दूसरे आईटी हब के रूप में प्रसिद्ध गुरुग्राम की 66 वर्षीय भतेरी देवी और हरियाणा के हार्ट के नाम से प्रसिद्ध जींद जिले की 32 वर्षीय नीतू की कहानी एक समान है। एक को वर्षों पहले संपत्ति विवाद सुलझाने के लिए पश्चिम बंगाल से बीस हजार रुपए में खरीदकर हरियाणा लाया गया था और दूसरी को दो माह पहले एक नौजवान ने एक लाख 60 हजार रूपए में खरीदकर लाया है। अब दोनों का घर हरियाणा है और अंतिम समय तक यहीं रहेंगी।

ह बॉलीवुड की किसी मसाला फिल्म की कहानी नहीं बल्कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान चलाकर बेटियों को कोख में मारने का कलंक धोने में जुटे हरियाणा की एक और कड़वी सच्चाई है। जहां इस समय पिछले तकरीबन 39 सालों में एक लाख तीस हजार परिवार ऐसे हैं, जिनमें दुल्हनें पड़ोसी राज्यों से खरीदकर लाई गई हैं। वर्षों पहले शुरू हुई दुल्हन खरीद की परंपरा आज भी जारी है।

file photo

बेटियों को नई पहचान दिलाने के लिए सक्रिय संस्था 'सेल्फी विद डॉटर' द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार हरियाणा में 1 लाख 30 हजार के करीब ऐसे परिवार हैं, जहां दूसरे प्रदेशों से बहुएं लाई गई हैं। इनमें 90 फीसदी खरीदकर लाई गई हैं। संस्था द्वारा जुलाई 2017 जुलाई 2019 तक दिल्ली, पंजाब व हरियाणा के कई विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा करवाए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि यह महिलाएं संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा अलग होने के बावजूद करीब डेढ़ लाख परिवारों का घर रोशन किए हुए हैं। दूसरे प्रदेशों से लाई जाने वाली बहुओं को सम्मान दिलाने के लिए संस्था ने परदेशी बहु-म्हारी शान अभियान शुरू किया है जिससे मोल की बहू, भगोड़ी बहुओं का कलंक इन पर से हटाया जा सके।

सेल्फी विद डॉटर फांउडेशन के संचालक तथा सर्वे का आयोजन करने वाले सुनील जागलान के अनुसार दशकों पहले शुरू हुई यह परंपरा आज भी जारी है। इन्हें गावों में मोल की बहुएं कहा जाता है। सर्वे के अनुसार हरियाणा में सबसे पहले गुरुग्राम व रेवाड़ी क्षेत्र में इस परंपरा की शुरूआत हुई। इसके बाद रोहतक, जींद, सोनीपत, हिसार, कैथल, झज्जर, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र में मोल की लाई गई बहुओं का प्रतिशत दक्षिण हरियाणा के बाद आता है।

शुरूवाती दौर में बंगाल से बहुएं आती थी, लेकिन अब बिहार, उतर प्रदेश, नोर्थ ईस्ट के असम, मध्य प्रदेश, उतर प्रदेश, कर्नाटक, उतराखंड से भी बहुएं हरियाणा में लाई जाने लगी हैं। संस्था द्वारा जो सर्वे कराया गया है, उसमें 1980 के बाद मोल की दुल्हन लाने वाले परिवार शामिल हैं।

मेवात में भी पिछले एक दशक में मोल की बहु का प्रतिशत अब बढ़ रहा है। बताया गया है कि जाट, यादव, ब्राह्मण समुदाय में यह संख्या ज़्यादा पाई जाती है। इस सर्वे में लेडी इरविन कालेज दिल्ली, हिन्दू कालेज नार्थ दिल्ली, हरियाणा के कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय तथा पंजाब के कुछ विश्वविद्यालयों के करीब 125 छात्र-छात्राएं शामिल रहे। इन विधार्थियों ने बाकायदा प्रोजेक्ट बनाकर इस पर काम किया। इसके अलावा संस्था द्वारा सोशल मिडिया पर मिशन पॉसिबल अभियान चलाकर इन बहुओं की जानकारी जुटाई गई। हरियाणा के हर जिले से यह आंकड़े जुटाए गए।

अंतरजातीय शादियों को भी मिल रहा बढ़ावा

सेल्फी विद डॉटर फांउडेशन के संचालक और पूर्व सरपंच सुनील जागलान के अनुसार 'इन शादियों का एक नया पहलू है कि इनमें से ज्यादातर शादियां अंतरजातीय हैं और दूसरे राज्यों से दलित लड़कियों की शादियां हरियाणा की बड़़ी संख्या स्वर्णों अथवा अगड़ों में हो रही हैं। अनजाने में ही सही यह शादियां जाति प्रथा को तोड़ने में महत्वपूर्ण काम कर रही है। उन्होंने बताया कि कई बार दूसरे प्रदेशों से बहुएं लाने को लेकर लोग धोखे को शिकार हो जाते हैं। शादी के नाम पर उनको ठगा जाता है और उनसे मोटी रकम वसूल कर ली जाती है। इन शादियों का पंजीकरण बेहद जरूरी है। मैरिज रजिस्ट्रेशन करके उसे आधार कार्ड से जोड़ा जाए, ताकि कोई व्यक्ति धोखे को शिकार न हो सके।'

चुनावी मुद्दा बन चुका है बहू दो-वोट लो

गौरतलब है कि सुनील जागलान द्वारा हरियाणा में 2014 के लोकसभा चुनावों में अविवाहित पुरुष संगठन बनाकर बहू दो-वोट लो नामक अभियान शुरू किया था, जिसका मकसद था कि उम्मीदवार समझ पाए कि बिगड़े हुए लिंगानुपात के कारण यहां के अविवाहित युवा विभिन्न कारणों से दूसरे प्रदेशों से बहुएं अपनी जमीन बेचकर ला रहे हैं। यह मुद्दा देश ही नहीं विदेशों स्तर काफी प्रचलित हुआ था। इसके अलावा जींद जिले के ही कुंवारे लड़कों ने 2014 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर ‘रांडा यूनियन’ (कुंवारे लडक़ों की यूनियन) भी बनाई थी। इससे पहले पूर्व कृषि मंत्री ओपी धनखड़ का भी एक बयान इस संबंध में वायरल हुआ था।

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