ओडिशा के 15 जिलों की 402 ग्रामसभाओं ने CAA-NPR-NRC के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव
यह पहली बार है कि एनपीआर, सीएए और एनआरसी को लेकर ग्राम सभाओं ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए ऐसा कदम उठाया है...
जनज्वार। ओडिशा के 15 जिलों की 402 ग्रामसभाओं ने राज्य सरकार से विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के कार्यान्वयन को रोकने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR-CAA-NRC) अभ्यास को बाहर निकालने का आग्रह किया है।
केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार समेत ग्यारह राज्य सरकारों ने अपने-अपने विधानसभाओं में इस तरह के प्रस्ताव पारित किए हैं, लेकिन यह पहली बार है कि एनपीआर, सीएए और प्रस्तावित एनआरसी को लेकर ग्राम सभाओं ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए ऐसा कदम उठाया है।
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गांवों में प्रस्ताव पारित होने के तुरंत बाद ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और 15 जिलों के जिला कलेक्टरों को एक ज्ञापन भेजा गया। राज्य के गंजम, गजपति, सुंदरगढ़, मलकानगिरि, कोरापुट, रायगढ़, कंधमाल, बोलंगीर, बारगढ़, क्योंझर, संबलपुर, कालाहांडी, मयूरभंज, झारसुगुड़ा और जाजपुर जिले की ग्राम सभाओं ने यह प्रस्ताव पारित किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक ओडिशा नारी समाज के कर्मी बेसरा, सुंदरगढ़ के अथकोसिया संगठन के अन्ना कुजूर, मलकानगिरी के भीष्म पंगी और गंजम जिला जिला ग्रामसभा समिति के बिजय स्वैन ने इन प्रस्तावों को पारित करने के लिए ग्राम सभाओं को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ज्ञापन में बीजू जनता दल के नेतृत्व वाली सरकार से विधानसभा में एक समान प्रस्ताव पारित करने का अनुरोध किया गया है, साथ ही अन्य राज्यों की तर्ज पर एनपीआर-सीएए-एनआरसी का विरोध किया गया है।
सीएसडी के संयोजक निकाय के वरिष्ठ सदस्य प्रदीप साहू ने इसे 'जनविरोधी' करार देते हुए कहा, 'देश के कई राज्य पहले ही एनपीआर, एनआरसी और सीएए के खिलाफ इस तरह के प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। ओडिशा सरकार और राज्य विधानसभा को भी केंद्र सरकार के प्रतिगामी फैसलों के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए।'
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संगठनों ने 18 मार्च को भुवनेश्वर में एनपीआर, सीएए और एनआरसी के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की योजना बनाई थी, लेकिन कोरोना वायरस (COVID-19) के खतरे के कारण इसे रद्द करना पड़ा था।