5 हजार गरीब महिलाओं का अवैध ढंग से निकाला गर्भाशय, सरकार ने किया सदन में स्वीकार
महिला मजदूरों के शोषण की यह चरम स्थिति जमींदारी और अंग्रेज शासन के दौरान थी या नहीं पता नहीं, मगर आज के समय के महाराष्ट्र में हजारों महिलाओं का गर्भाशय निकाले जाने का यह बहुत बड़ा सच उभरकर सामने आया है जिसको विधानसभा में स्वीकार किया गया है...
जनज्वार। महाराष्ट्र के बीड जनपद में पिछले तीन साल में 25 से 30 साल के बीच की 4,605 महिलाओं के गर्भाशय निकाले जाने का एक हैरतंगेज मामला सामने आया है और इस बात की जानकारी खुद महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार 18 जून को विधान परिषद में दी।
इस मामले की जांच रिपोर्ट के मुताबिक इन हजारों जवान महिलाओं के गर्भाशय सिर्फ इसलिए निकाल दिये गए, ताकि गन्ना कटाई के दौरान माहवारी आने से काम बाधित न हो और न ही वे गर्भ धारण कर पायें।
मीडिया मे आ रही खबरों के मुताबिक बीड जनपद में 99 प्राइवेट अस्पतालों में 2016-17 से 2018-19 के बीच 25 से 30 वर्ष के बीच की 4605 महिलाओं की अज्ञानता का लाभ उठाकर उनका गर्भाशय निकाला गया, ताकि वह गर्भ धारण न कर पायें और गन्ना कटाई का काम बाधित न हो।
स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने विधान परिषद में हजारों महिलाओं के गर्भाशय निकाले जाने की जानकारी देते हुए कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति बीड जिले में गर्भाशय निकालने के मामलों की निष्पक्ष जांच करेगी।
इस मामले की जांच करने वाले पैनल में मुख्य सचिव की अगुवाई में 3 गाइनोकोलॉजिस्ट और कुछ महिला विधायक शामिल होंगी। समिति को दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है।
हजारों मजदूर महिलाओं के गर्भाशय धोखे से निकाले जाने का मामला इसी वर्ष अप्रैल में तब सामने आया, जब कुछ अखबारों में छपी खबरों के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसके बाद बीड के सिविल सर्जन की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित कर मामले की जांच की गई थी, उसी में यह सामने आया कि यहां के तकरीबन 99 प्राइवेट अस्पतालों में पिछले तीन सालों के दौरान 4605 महिलाओं के गर्भाशय बिना बताये निकाल दिये गये हैं।
शिवसेना विधायक नीलम गोर्हे ने विधान परिषद में इस मुद्दे को खतरनाक बताते हुए कहा कि बीड जनपद में गन्ने के खेत में काम करने वाली औरतों के गर्भाशय साजिशन प्राइवेट अस्पतालों में निकाल लिए गए, ताकि माहवारी के चलते उनके काम में ढिलाई न आए और जुर्माना न भरना पड़े। गौरतलब है कि बीते तीन साल में बीड जिले में 4,605 महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए हैं।
बीड जनपद के सिविल सर्जन की अध्यक्षता में गठित समिति के मुताबिक गर्भाशय निकालने के ऑपरेशन 2016-17 से 2018-19 के बीच 99 प्राइवेट अस्पतालों में किए गए। रिपोर्ट के मुताबिक जिन महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए हैं, उनमें से कई गन्ने के खेतों में काम करने वाली मजदूर नहीं हैं। हजारों महिलाओं का गर्भाशय निकाले जाने की घटना सामने आने के बाद से महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी चिकित्सकों को आदेश दिया है कि वे अनावश्यक रूप से किसी भी महिला का गर्भाशय न निकालें। राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस साल अप्रैल में यह मामला मीडिया के जरिये सामने आने के बाद राज्य के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
शिवसेना विधायक नीलम गोर्हे ने कहा 'कितना अजीब है कि प्राइवेट डॉक्टर्स ने इतनी बड़ी संख्या में और हल्की सी बीमारी में भी महिलाओं का गर्भाशय उनके शरीर से अलग कर दिया। हैरत तो यह है कि जिन महिलाओं के गर्भाशय निकाले गऐ वे सभी गन्ना मजदूर हैं। यह जरूर कोई साजिश है।'
नीलम गोर्हे ने यह भी आशंका जताई है कि कॉन्ट्रेक्टर और डॉक्टरों की मिलीभगत से हजारों महिलाओं से मां बनने का अधिकार छीन लिया गया। इसके पीछे वजह महिलाओं को उनके पीरियड के चलते और गर्भवती महिलाओं को छुट्टी देना शामिल है। जब मजदूर महिलाओं का गर्भाशय ही निकाल दिया जायेगा तो न उन्हें माहवारी आयेगी और न ही वे गर्भ धारण कर पायेंगी, जिससे गन्ना कटाई का काम बाधित नहीं होगा।
स्वार्थ में अंधे होकर इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं को साजिशन मां न बन पाने का जुर्म किया गया है, जिसके लिए दोषियों को कतई नहीं बख्शा जाना चाहिए।