Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

जिस कांग्रेस का सफाया किया उसी से गठबंधन की फिराक में थे केजरीवाल

Janjwar Team
12 Jun 2018 9:52 AM IST
जिस कांग्रेस का सफाया किया उसी से गठबंधन की फिराक में थे केजरीवाल
x

बेंगलुरु के मंच पर विपक्षियों के बीच पहुंचे केजरीवाल को बड़ी आस थी कि दिल्ली, हरियाणा में कांग्रेस उनसे गठबंधन कर ले, लेकिन कांग्रेस ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया...

दिल्ली से स्वतंत्र कुमार की रिपोर्ट

आजकल आम आदमी पार्टी के मुखिया अपने पहले वाले तेवर में नज़र आ रहे हैं। वो न तो कांग्रेस को बक्श रहे हैं और न ही बीजेपी। दरअसल इस केजरीवाल जी के इस गुस्से की दो वजह हैं एक तो उन्हें पहले पंजाब, फिर दिल्ली के नगर निगम के चुनाव, फिर गुजरात और अब कर्नाटक में अपनी पार्टी के प्रदर्शन को देखकर अपना खोता हुआ जनाधार दिख रहा है

वहीं दूसरी और सभी विपक्षी दल मोदी के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं, जिसमें आम आदमी पार्टी को जगह नहीं मिल रही। आम आदमी पार्टी के मुखिया कर्नाटक में कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण कार्यक्रम का न्यौता पाकर फूले नहीं समा रहे थे।

कर्नाटक में एक मंच पर एकत्रित सभी विपक्षी दलों के साथ हाथ में हाथ मिलाकर केजरीवाल भी खुद को महागठबंधन का हिस्सा मान रहे थे और अंदरखाने कांग्रेस के साथ दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में गठबंधन करने जा रहे थे, लेकिन इस गुप्त गठबंधन होने से पहले इसकी पौल खुल गई और गठबंधन नहीं हो सका।

हालांकि कांग्रेस के पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के नेता इस गठबंधन के पक्ष में नहीं थे। पंजाब के एक सीनियर नेता और एक हरियाणा के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया कि पंजाब में आप का जो भी वोट बैंक था वो खो चुकी है और हरियाणा में आप का अस्तित्व कभी था ही नहीं।

रही बात दिल्ली की तो दिल्ली में भी आप अकेले के दम पर लोकसभा की एक सीट भी नही जीत सकती है। ऐसा खुद आप के नेता मानते हैं।

ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस से गठबंधन करके सिर्फ आप को ही लाभ होने जा रहा था। कांग्रेस के नेताओ को ये बात समझ आ रही है कि यदि आप के साथ गठबंधन किया तो आप दिल्ली में उनकी मदद से कई सीट जीत सकती है और पंजाब में भी अच्छा प्रदर्शन कर अपने अस्तित्व को बचाये रख सकती है। लेकिन इसके बाद जब 2020 में दिल्ली के विधानसभा चुनाव होंगे तो लोकसभा में जीती सीटों के दम पर आम आदमी पार्टी एक बार फिर अपने पक्ष में माहौल बना कर सत्ता में वापसी कर सकती है। यही वजह है कि भविष्य के खतरे को भांपते हुए कांग्रेस पीछे हट गई है और केजरीवाल जी आजकल गुस्से में हैं।

इसलिए इस फेल हुए गठबंधन से ध्यान भटकाने के लिए केजरीवाल जी एक बार फिर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आये हैं, जिससे उन्हें बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस पर भी हमला करने का मौका मिले।

केजरीवाल कभी शीला दीक्षित को चैलेंज करते हैं कि मोदी राज में एक दिन भी दिल्ली की सरकार चला कर दिखाएं और शीला दीक्षित के लिखे पुराने पत्र पब्लिक में ला रहे हैं जिसमें उन्होंने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की थी। इसी तरह बीजेपी को भी केजरीवाल जी नहीं छोड़ रहे हैं और एलजी को बीजेपी का एजेंट बताकर दिल्ली से भगाने की बात कर रहे हैं और मोदी जी को भी चुनौती दे रहे ही कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दो, फिर देखो 2019 में आपके लिए वोट मांगूंगा।

उधर कांग्रेस ने अपने तेवर साफ कर दिए हैं। 13 जून को कांग्रेस ने इफ्तार की दावत रखी है जिसमें सभी विपक्षी पार्टियों को न्यौता दिया गया है, लेकिन इस न्यौते से भी केजरीवाल और उनकी पार्टी को बाहर रखा गया है। हालांकि कभी सपा के मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश से मिलकर संजय सिंह तो कभी चन्द्रबाबू नायडू और ममता से मिलकर केजरीवाल जी ये दिखाने की कोशिश में हैं कि अभी वो गेम से बाहर नहीं हुए हैं।

लेकिन राजनीति की समझ रखने वाले लोगों का कहना है केजरीवाल की कहीं दाल नहीं गलने वाली है। वैसे राजनीति में कब क्या घट जाए कहा नहीं जा सकता, लेकिन अभी तक की घटनाओं को एक दूसरे से जोड़ें तो आप का साथ किसी को नहीं चाहिए।

Next Story

विविध