लखनऊ घंटाघर में महिलाओं ने CAA के मंच पर बांधा दुपट्टा, कहा कोरोना संक्रमण के खत्म होने तक चलेगा सांकेतिक धरना
पिछले 2 महीनों से भी ज्यादा वक्त से CAA के खिलाफ धरने पर बैठी महिलायें बोलीं, हम धरनास्थल से जा रहे हैं विरोध बन्द नहीं कर रहे हैं, बस विरोध का तरीका बदल रहे हैं, प्रशासन उनके सांकेतिक धरने में सहयोग करे..
जनज्वार, लखनऊ। देश में कोरोना की भयावहता के बीच लखनऊ घंटाघर की महिलाओं ने भी धरने को सांकेतिक कर दिया है। धरनारत महिलाओं ने मंच पर दुपट्टा बांधकर सांकेतिक धरने का ऐलान करते हुए कहा कि कोरोना का संक्रमण खत्म होने के बाद हम फिर से धरना शुरू करेंगे। फिलहाल हम संविधान बचाने की और कोरोना भगाने की दोहरी लड़ाई लड़ेंगे।
घंटाघर/उजरियांव की महिलाओं ने प्रशासन को पत्र लिखकर यह ऐलान किया कि हम सिर्फ धरनास्थल से जा रहे हैं, विरोध बन्द नहीं कर रहे। बस विरोध का तरीका बदल रहे हैं। हम हर विपत्ति में देश के साथ हैं इसलिए सरकार भी लोकतांत्रिक आवाजों को ना दबाये।
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गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के खिलाफ पिछले 67 दिनों से घंटाघर/उजरियांव लखनऊ पर चल रहे महिलाओं के आंदोलन ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए शहीद भगत सिंह को याद करते हुए अपने-अपने दुपट्टे और सामान यथास्थिति छोड़कर साफ किया कि धरने को सांकेतिक विरोध के रूप जारी रखेंगी।
धरनास्थल पर इस तरह चप्पल रखकर महिलाओं ने CAA के खिलाफ सांकेतिक धरने का किया ऐलान
एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अज़रा, उरूसा राणा, सना, शहर फातिमा, अरसी खान, सना हाशमी, नज़मा हाशमी और नुजहत ने कहा कि उनके लिखे पत्र पर पुलिस कमिश्नर ने आश्वासन दिया है कि इस आपदा के खत्म होते ही हम लोकतांत्रिक विरोध जारी रखेंगे। कोरोना के प्रकोप को देखते हुए घंटाघर समेत पूरे देश में CAA आंदोलन के दौरान गिरफ्तार लोगों को तत्काल रिहा किया जाए।
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धरनारत महिलाओं ने सांकेतिक धरने का ऐलान करते हुए कहा, हम हर लड़ाई में देश के साथ खड़े हैं। चाहे वो लड़ाई संविधान को बचाने की हो या कोरोना को भगाने की। महिलाओं ने शहीद दिवस पर भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को याद करते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों ने ये मुल्क़ अपने खून से सींचा है।
प्रशासन को लिखा धरनारत महिलाओं ने CAA के खिलाफ सांकेतिक धरने का ऐलान करने वाला पत्र
यहां न जाने कितनी रानी लक्ष्मीबाई, झलकारीबाई, फातिमा, सावित्री फुले, बी अम्मा, बेगम हज़रत महल ने इस देश के लिए अपना खून दिया है। हमने इंकलाब उन्हीं से सीखा है और आज उनके दिखाए रास्ते पर चलते हुए हम अपने दुपट्टे घंटाघर/उजरियांव धरनास्थल पर छोड़कर जा रहे हैं। देश से जब कोरोना का संकट खत्म हो जायेगा वापस आयेंगे और इस गैरसंवैधानिक नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लड़ाई फिर से सड़क पर ही लड़ी जायेगी।
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महिलाओं ने प्रशासन से सांकेतिक विरोध में सहयोग की अपील करते हुए चेतावनी भी दी है यदि उनके सांकेतिक विरोध से छेड़छाड़ की गयी तो वो उससे ज़्यादा तादाद में आयेंगी। महिलाओं ने एक पत्र प्रशासन को भी दिया है जिसमें साफ लिखा है कि हम धरनास्थल से जा रहे हैं, विरोध बन्द नहीं कर रहे हैं। बस विरोध का तरीका बदल रहे हैं। प्रशासन उनके सांकेतिक धरने में सहयोग करे।