आसाराम को अदालत ने दिया बलात्कारी करार हुई उम्रकैद की सजा, अन्य दो को 20-20 साल का कारावास
बलात्कार और बच्चों के साथ यौन हिंसा मामले में आरोपी आसाराम को अदालत ने दोषी करार दिया, आसाराम को उम्रकैद के साथ बाकी दो दोषियों हॉस्टल वॉर्डन शिल्पी और हॉस्टल डायरेक्टर शरतचंद्र को 20-20 साल की सजा
जोधपुर केंद्रीय कारागार परिसर में सुनाई गई सजा में जज थे मधुसूदन शर्मा
बीजेपी के विधायक मंत्री मिलते रहे आसाराम से, कांग्रेस के सलमान खुर्शीद, भाजपा के सुब्रमन्यम स्वामी रहे हैं इसके वकील, रामजेठमलानी तक रह चुके हैं इस अपराधी के वकील
नाबालिग से बलात्कार मामले में आज हो रही है कोर्ट में सुनवाई, मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पूरे शहर में धारा 144 लागू, छावनी में तब्दील हो गया है जोधपुर
पुलिस है चप्पे चप्पे पर तैनात, अनहोनी की आशंका से करा दिया गया है आसाराम का जोधपुर आश्रम खाली, हर आने जाने वाले की पुलिस ले रही तलाशी
आसाराम मामले की सबसे जरूरी बात
आसाराम 2013 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की 16 वर्षीय लड़की का अपने जोधपुर के आश्रम में यौन उत्पीड़न करने और धमकाने के आरोप में गिरफ्तार हुए। राजस्थान पुलिस द्वारा गिरफ्तारी कांग्रेस के शासन में 1 सिंतबर 2013 में इंदौर से हुई, जब वहां अशोक कुमार गहलोत की सरकार थी।
आसाराम पर मानव तस्करी, बलात्कार, बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा का आरोप
इन अपराधों में 10 साल से आजीवन कारावास की हो सकती है सजा
जनज्वार। नाबालिग लड़की से रेप के आरोप में जोधपुर जेल में सजा काट रहे आसाराम पर आज फैसला सुनाया जाना है। पिछले पांच सालों के दौरान आसाराम रेप केस में 12 बार जमानत की दरख्वास्त कर चुके हैं, जो खारिज की जा चुकी हैं।
गौरतलब है कि उनकी तरफ से देश के ख्यात वकील राम जेठमलानी, सलमान खुर्शीद और सुब्रमण्यम स्वामी आसाराम की तरफ से पैरवी कर चुके हैं, मगर आरोप इतने संगीन और पुख्ता थे कि किसी भी कोर्ट में आसाराम को जमानत नहीं दी गई।
कानून विशेषज्ञ कहते हैं पीड़िता के बयान और अन्य साक्ष्यों के कारण आसाराम का जेल से निकलना टेढ़ी खीर होगा। इस मसले पर पीड़ित नाबालिग लड़की ने 27 दिन की लंबी जिरह में 94 पेज के बयान दर्ज कराए थे। 12 बार दी गई जमानत याचिका में से 6 को तो ट्रायल कोर्ट ने ही रद्द कर दिया था, जबकि 3 राजस्थान हाईकोर्ट और 3 सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की थीं।
घटनाक्रम के मुताबिक जिस नाबालिग की शिकायत के बाद आसाराम जेल की सलाखों के पीछे है उसने आरोप लगाया था कि 15 और 16 अगस्त 2013 की देर रात जोधपुर के एक फार्म हाउस में कथित संत आसाराम ने इलाज के बहाने उसका बलात्कार किया था। पीड़ित बच्ची द्वारा दिल्ली के कमलानगर थाने में 19 अगस्त 2013 को एफआईआर दर्ज कराई गई। तब आसाराम पर ज़ीरो नंबर की एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसे जोधपुर ट्रांसफर कर दिया गया था।
नाबालिग से बलात्कार मामले में पुलिस ने आसाराम के खिलाफ आईपीसी की धारा 342, 376, 354-ए, 506, 509/34, जेजे एक्ट 23 व 26 और पोक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत मामला दर्ज किया था। केस दर्ज होने के 12 दिन बाद 31 अगस्त 2013 को मध्य प्रदेश के इंदौर से आसाराम को गिरफ्तार किया गया और जोधपुर सेशन कोर्ट में आसाराम के खिलाफ केस चला। तमाम सबूत और बयान आसाराम के खिलाफ जाने के बाद कोर्ट ने आसाराम को जेल में डाल दिया।
देश में अति चर्चित रहे इस मामले में दर्ज आरोप पत्र में 58 गवाह पेश किये गए, जबकि अभियोजन पक्ष की तरफ से 44 गवाहों ने गवाही दी। पुलिस ने 11 अप्रैल 2014 से 21 अप्रैल 2014 के दौरान पीड़िता के बयान दर्ज किए और 4 अक्टूबर 2016 को आसाराम का बयान दर्ज किया गया।
पुलिस चार्जशीट में आसाराम को नाबालिग छात्रा को समर्पित करवा कर यौन शोषण करने का आरोपी माना है। इस मामले में उसे 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।