Begin typing your search above and press return to search.
आंदोलन

किसान आंदोलन को स्थापित करने वाले पहले नेता की मौत

Janjwar Team
21 Sept 2017 5:24 PM IST
किसान आंदोलन को स्थापित करने वाले पहले नेता की मौत
x

भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के पहले किसान नेता घासीराम नैन लंबी बीमारी के बाद 19 सितंबर को नहीं रहे। उनके संघर्षों को बताते हुए उन्हें याद कर रहे हैं पत्रकार नवल सिंह

नरवाना के गांव लोहचब निवासी घासीराम खराद की मशीन पर काम करते-करते कब किसान आन्दोलन के अगुवा बन गए, ये ना तो घासीराम नैन को पता लगा, न ही उनके साथी किसानों को।

घासीराम नैन का एक समय में किसी आन्दोलन में अगुवा बन जाना आन्दोलन की सफलता की गारन्टी माना जाने लगा था। उनके साथी किसान नेता बताते हैं कि आपातकाल के सत्तर के दशक में उनका किसान दर्द उमड़कर सामने आया जब किसानों से उनके घर में रखा अनाज उठाया जाने लगा। इसको लेकर वो अधिकारियों से भीड़ गए।

इस संघर्ष ने उन्हें किसान अगुवा नेता के तौर पर स्थापित करना शुरू कर दिया। बेहद सादी वेशभूषा और ग्रामीण परिवेश के घासी राम नैन किसानों से किसानों की बोली में समस्या को जानने व समझने वाले नेता बन गए थे।कोई विशेष सुविधाएं नहीं, जहां आन्दोलन में किसान रहे उन्हीं के साथ हर कष्ट को सहा।

आन्दोलन, जेल यात्रा, दमन, शहादत, मद्रास में पूरे भारत से किसानों को एकजुट करके उन्होंने भारतीय किसान यूनियन की स्थापना की। इसके बाद हरियाणा प्रदेश के साथ अन्य राज्यों पंजाब, यूपी, दिल्ली और राजस्थान तक के किसान आन्दोलन में उनका दखल रहा।

हरियाणा में निसिंग, कंडेला या फिर मंडियाली, शहजादपुर समेत कहीं भी संघर्ष भूमि में घासीराम नैन किसानों के हक में खड़े हुए। उन्होंने किसानों के संघर्ष को उनके खेती के अनुसार अपनाया। विशाल भीड़ के संघर्ष में उन्हें नेतृत्व देने में घासी राम नैन को महारत हासिल होनी शुरू हो गई थी।

किसान उनके एक इशारे पर अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार रहते थे। लंबे संघषों में रास्ते जाम होते, लंगर चलता, महिलाओं की, बुर्जगों की, बच्चों की सबकी भागेदारी होती। दमन चक्र चलता, जेल यात्राएं होती, किसान मारे जाते, पर फिर बिना किसी डर के सत्ता के साथ संघर्ष करने के लिए वो फिर से काफिला तैयार कर लेते।

उनके इन्हीं कामयाब संघर्षों ने उन्हें एक किसान मसीहा के तौर पर किसानी में स्थापित कर दिया। किसान उन्हें प्रधान जी के नाम से संबोधित करते थे। बताते हैं कि चौधरी भजन लाल का चुनावी पत्र उन्होंने खुद अपने हाथों से भरा, पर किसान हितों के लिए उनसे भी भिड़ गए।

ऐसा कोई मुख्यमंत्री नहीं रहा, जिसके खिलाफ उन्होंने किसानों के हकों के लिए संघर्ष ना किया हो। आन्दोलन होते रहे, जेल यात्राएं भी होती रहीं। वर्ष 1982 में लोहारू में किसानों का आंदोलन शुरू हुआ, किसान महावीर की जान चली गई, हक मिला किसानों की जीत हुई। वर्ष 1985 में हरियाणा में बिजली मुद्दे को लेकर आंदोलन हुआ, घासीराम को जेल मिली।

हरियाणा में 1995 में कादमा के किसान आंदोलन में 4 किसान मारे गए थे, तब भजनलाल मुख्यमंत्री थे। बंसीलाल सरकार में महेंद्रगढ़ जिले मंढियाली गांव में 10 अक्टूबर 1997 को किसान आंदोलन हुआ, जिसमें 4 किसान पुलिस की गोलियों के शिकार हुए। पूर्व की कांग्रस सरकार में डेढ माह आमरण अनशन पर बैठे। सरकारों ने उन्हें दबाने के लिए देशद्रोह के मुकदमें उनके साथी किसानों सहित दर्ज किए, पर वो पथ से नहीं डिगे। लगभग डेढ साल की जेल काटी।

उनको याद करते हुए शिक्षाविद् डॉ. रणधीर सिंह कहते हैं , घासी राम नैन 1976 से किसानों के लिए संघर्ष करते रहे है, इसके बाद उन्होंने 1980 में किसानों के हकों के लिए चौ. मांगेराम मलिक के नेत्तृव में भारतीय किसान यूनियन बनाई है। 1984-85 से किसान यूनियन के प्रधान रहे हैं। प्रदेश के हर मुख्यमंत्री के खिलाफ किसानों के लिए आवाज उठाई है। चौ. भजनलाल रहे हों, चौ.भुपेन्द्र सिंह हुड्डा रहे हों, चौ.बंशी लाल रहे हों या चौ.ओमप्रकाश चौटाला रहे हों, हर समय किसी के मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंने किसानों का साथ दिया।

भारतीय किसान यूनियन के नेता व उनके करीबी साथी जिया लाल कहते हैं, घासी राम एक बहुत ही बहुत ही सख्त आदमी थे, जो फैसला ले लेते थे उससे कभी पीछे नहीं हटते थे। बात के धनी थे चाहे उसके लिए कितनी भी कुर्बानी क्यों ना देनी पड़े। वो इस देश के अन्दर आजादी के बाद सबसे ज्यादा सामाजिक जेल काट चुके हैं। उन्होंने बीसियों बार जेल यात्रा की होगी। डेढ़—डेढ़ साल तक की जेल की सजा उन्होंने किसानों के लिए सही।

Next Story

विविध