बीएचयू के 'हिंदू' और अलीगढ़ के 'मुस्लिम' को नहीं छेड़गी सरकार
केंद्र सरकार से वित्तपोषित विश्वविद्यालयों की गिनती धर्मनिरपेक्ष संस्थानों में होती है, मगर बीएचयू और एएमयू के साथ जुड़े धर्म विशेष को दर्शाने वाले शब्दों से इन संस्थानों की धर्मनिरपेक्ष छवि का अंदाजा कहीं से नहीं लगाया जा सकता...
पिछले कुछ समय से यह मांग लगातार उठ रही थी और राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी थी कि सरकार बीएचयू से हिंदू और एएमयू से मुस्लिम शब्द को हटा सकती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग —यूजीसी— ने भी इसके बाबत सरकार से सिफारिश कि थी कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदू और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से मुस्लिम शब्द को हटा देना चाहिए। मगर इस मांग को सरकार ने यह कहते हुए सिरे से नकार दिया है कि उसका इरादा न तो बीएचयू का नाम बदलने का है और न ही एएमयू का।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यूजीसी की समिति की इस मांग को यह कहते हुए दरकिनार कर दिया कि यूजीसी की एक समिति ने 'हिंदू' और 'मुस्लिम' शब्द को विश्वविद्यालयों से हटाने की सिफारिश की है जो कि उस समिति के मैंडेट का हिस्सा ही नहीं है।
गौरतलब है कि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी यूजीसी की इस सिफारिश को बेतुकी करार देते हुए खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिम शब्द का सांप्रदायिकता का कोई लेनादेना नहीं है।
दोनों संबंधित विश्वविद्यालयों में से 'हिंदू' और 'मुस्लिम' शब्द हटाने का मामला तब सामने आया था जब यूजीसी की एक समिति ने कहा था कि ये शब्द यूनिवर्सिटी का सेक्युलर चरित्र यानी धर्मनिरपेक्ष दवि को नहीं दिखाते हैं, इसलिए 'हिंदू' और 'मुस्लिम' शब्द को इनमें से हटा देना चाहिए।
वहीं इस मसले पर विपक्षी कांग्रेस से जुड़े राजनेता आनंद शर्मा ने भी यूजीसी की इस मांग को गलत ठहराया है और कहा कि पता नहीं क्यों एएमयू और बीएचयू का मामला उठाया जा रहा है।
इस मसले पर यूजीसी समिति के एक सदस्य ने कहा कि केंद्र सरकार से वित्तपोषित विश्वविद्यालयों की गिनती धर्मनिरपेक्ष संस्थानों में होती है, मगर बीएचयू और एएमयू के साथ जुड़े धर्म विशेष को दर्शाने वाले शब्दों से इन संस्थानों की धर्मनिरपेक्ष छवि का अंदाजा कहीं से नहीं लगाया जा सकता। साथ ही यह सुझाव भी दिया था कि इन्हें सिर्फ अलीगढ़ विश्वविद्यालय और काशी विश्वविद्यालयों के नाम से भविष्य में संबोधित किया जा सकता है। यह राय भी दी कि इनके नाम बजाए धर्म विशेष के इनके संस्थापकों के नाम पर रखे जाएं।
यह मामला यूजीसी की समिति ने तब उठाया था जब पिछले दिनों 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कथित अनियमितता की शिकायतों की जांच के लिए मानव संसाधन मंत्रालय के निर्देश पर 25 अप्रैल को 5 कमेटियां जांच के लिए गठित की थीं। इन्हीं में एक समिति ने विश्वविद्यालयों की धर्मनिरपेक्ष छवि को समाज के सामने रखने के लिए इनमें से धर्म विशेष को इंगित करते शब्दों को हटाने की सिफारिश सरकार के सामने रखी थी।