भाजपा अध्यक्ष बोले, बीजेपी ज्वाइन करो नहीं तो जाओगे जेल
यह बयान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने पिछले महीने दिया था, जो बहुत कम प्रचारित हुआ था। चूंकि अब दुर्गा पूजा शुरू हो चुकी है, तो देखना होगा कि कितने टीएमसी नेता जेल जाते हैं और कितने भाजपा की शरण में...
दार्जिलिंग से डाॅ. मुन्ना लाल प्रसाद
पश्चिम बंगाल के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष द्वारा हाजरा की सभा में तृणमूल कांग्रेस नेताओं के खिलाफ दिया गया यह वक्तव्य वाकई चौंकाने वाला है। बहुत सारे ऐसे सवाल खड़े होते हैं जो चिंतनीय हैं।
पिछले महीने 12 अगस्त को हाजरा में हुई एक सभा के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा तृणमूल के कई कद्दावर दिग्गज भाजपा में आयेंगे, नहीं आने वाले जेल में जायेंगे। उनका कहना था कि दुर्गा पूजा तक कई दिग्गज नेता भाजपा में आ जायेंगे। जो नहीं आयेंगे, उनका नया ठिकाना होगा जेल। दुर्गा पूजा शुरू हो चुकी है, तो देखना होगा कि कितने टीएमसी नेता जेल जाते हैं और कितने भाजपा की शरण में।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के इस बयान से ऐसा लगता है कि तृणमूल नेताओं को वह धमकी दे रहे हैं। उनके अंदर भय पैदा कर भाजपा में शामिल कराना चाहते हैं। एक तरफ भय पैदा कर रहे हैं कि जेल जाना पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर लोभ पैदा करना चाहते हैं कि भाजपा में आ जाओ, यहां तुम्हारी सुरक्षा की पूरी गारंटी है।
भय और लोभ की राजनीति करना कौन सी सैद्धांतिक एवं आदर्श राजनीति है, वह भी भाजपा जैसे दल के लिए, यह समझ से परे है। जो भाजपा अपने सिद्धांतों और आदर्शों की बात करती है, उसके प्रदेष अध्यक्ष द्वारा ऐसा बयान देना उसके खोखले आदर्शों की पोल खोलता है।
बयान यह भी सोचने को मजबूर करता है कि भाजपा एक ऐसा दल है जिसमें शामिल होकर जेल जाने से बचा जा सकता है या यह भी कह सकते हैं, उसमें ऐसे लोग हैं जिन्हें जेल में होना चाहिए, लेकिन वहां जाकर जेल में न होकर राष्ट्र की राजनीति में शामिल हो गये हैं। उनके बयान का तात्पर्य कहीं यह तो नहीं कि वह यह बताना चाहते हों जो महत्व देश में गंगा का है वही महत्व राजनीति में भाजपा का है।
जिस तरह यह मान्यता है कि गंगा स्नान से सारे पाप धूल जाते हैं उसी तरह राजनीति के क्षेत्र में भाजपा में आ जाने पर सारे कुकर्म समाप्त। अपराधी भी अगर भाजपा में शामिल हो जाय तो उन्हें पाक साफ होने का प्रमाण मिल जायेगा और वे अपराधमुक्त हो जायेंगे एवं जेल के बदले भारतीय राजनीति के ईमानदार एवं चरित्रवान नेता मान लिए जायेंगे।
भाजपा एक ऐसी पार्टी है जिसके अपने कुछ सैद्धांतिक आधार हैं। यह एक कैडर बेस पार्टी होने के कारण इसके सदस्यों, कार्यकर्ताओं एवं नेताओं की अपनी एक पार्टीगत समझ है। पार्टी के सिद्धांतों की समझ एक दिन में नहीं बनी है। पार्टी की सैद्धांतिक समझ एवं उसके कार्यक्रम एवं लक्ष्य को समझे बिना अगर कोई पार्टी में शामिल हो जाये तो अचानक उसकी समझ वैसी नहीं बन जायेगी।
दागदार लोगों के पार्टी में शामिल हो जाने से क्या पार्टी के अपने सिद्धांत रह जायेंगे? या पार्टी अपने लक्ष्य तक पहुंच पायेगी? वैसे लोग तो वही करेंगे जो अपनी पार्टी में रहकर कर रहे थे। अगर तृणमूल में रहकर गलत कर रहे हैं तो वे भाजपा में आकर कैसे सही करने लगेंगे। लेबल बदल देने से चरित्र नहीं बदल जायेगा।
दिलीप घोष और भाजपा न तो न्यायाधीश हैं और न ही न्यायालय। वे केन्द्रीय जांच ब्यूरो भी नहीं हैं, जो किसी के अपराध को प्रमाणित कर सकते हैं या निर्दोष बता सकते हैं। अपराध करने वाला तृणमूल में आकर भी अपराधी रहेगा और भाजपा में भी आकर अपराधी रहेगा। तृणमूल में रहेगा तो भी उसे जेल जाना पड़ेगा और भाजपा में भी आयेगा तो उसे जेल जाना पड़ेगा।
आखिर दिलीप घोष के पास कौन सा ऐसा करिश्माई जादू है है जिससे अपराधमुक्त करके जेल में जाने से बचा लेंगे। कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें पता है कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो उनकी या उनकी पार्टी की सरकार के इशारे पर काम कर रहा है। उन्हीं के इशारे पर किसी को अपराधी प्रमाणित कर रहा हो या अपराधमुक्त कर रहा है। उसका इस्तेमाल पार्टी हित में किया जा रहा हो। उसी का भय दिखाकर दूसरी पार्टी के नेताओं को भाजपा में शामिल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है? जैसा कि विरोधी दलों द्वारा हमेशा उस पर इस तरह के आरोप लगाये जाते रहे हैं।
ममता बनर्जी बार-बार यह कहती रहती हैं कि सीबीआई के भय से मुझे डराकर मेरी आवाज बंद नहीं की जा सकती। सीबीआई का दुरूपयोग कर हमारे नेताओं को डराया जा रहा है। उन्हें फंसाया जा रहा है।
यही कारण है कि दिलीप घोष के इस बयान को लेकर तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा है कि अब खुद अपने मुंह से भाजपा नेता यह स्वीकार कर रहे हैं कि केन्द्रीय जांच एजेंसियों का अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। दिलीप घोष धमकी दे रहे हैं कि जल्द ही तृणमूल कांग्रेस के कई दिग्गज भुवनेश्वर जेल में जायेंगे। दिलीप घोष के इस तरह के बयान से तृणमूल नेताओं को जरूर जनता के बीच अपने को निर्दोष बताने एवं जांच एजेंसियों का दुरूपयोग करने का मौका मिल गया है।
अगर इस तरह के आरोप सही हैं तो यह न तो भाजपा के हित में है और न ही देशहित में। किसी भी दल की सरकार द्वारा केन्द्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल विरोधियों और विरोध को दबाने के लिए करना लोकतंत्रीय तरीका नहीं कहा जा सकता। किसी को भी भय और लोभ दिखाकर पार्टी में शामिल करना अनैतिक काम है।
ये परंपरा भीड़तंत्र के लिए तो ठीक है, लोकतंत्र के लिए घातक। दिलीप घोष का यह बयान उस भीड़तंत्र के माध्यम से सत्ता तक पहुंचने का ही एक माध्यम कहा जा सकता है, जो लोकतंत्र के लिए घातक है। ऐसा लगता है कि बंगाल में सत्ता तक पहुंचने के लिए वे इतना व्यग्र हैं कि पार्टी को भीड़तंत्र बनाने के रास्ते पर चल पड़े हैं।