अखलाक हत्याकांड में शामिल सिर्फ तीन आरोपियों की जमानत शेष रह गई है। सुनवाई की अगली तारीख 9 अगस्त है। जिस तरह एक के बाद एक आरोपी को जमानत मिल रही है, उससे साफ है कि जो जेल में हैं उन्हें भी जल्द ही जमानत मिल जाएगी...
दादरी। बीफ रखने के आरोप में मारे गए बिसाहड़ा के अखलाक हत्याकांड में शामिल दो आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से 31 जुलाई को जमानत दे दी है। आरोपियों में से एक विशाल बीजेपी नेता संजय राणा का बेटा है। विशाल अखलाक हत्याकांड में मुख्य आरोपी है।
गौरतलब है कि अब अखलाक हत्याकांड में शामिल सिर्फ तीन आरोपियों की जमानत ही शेष रह गई है। सुनवाई की अगली तारीख 9 अगस्त है। जिस तरह इस मामले में एक के बाद एक आरोपी को जमानत मिल रही है, उससे साफ है कि जो तीन अभी जेल में हैं उन्हें भी जल्द ही जमानत मिल जाएगी।
गौरतलब है कि 28 सितंबर 2015 को सिर्फ गाय का मांस घर में होने का शक होने पर ही दादरी के बिसाहड़ा के रहने वाले अखलाक की बुरी तरह पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
पुलिस ने इस मामले में बिसाहड़ा गांव के 3 नाबालिग लड़कों समेत 18 लोगों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में सबसे पहले तीनों नाबालिगों की पिछले साल ही जमानत हो चुकी थी, तो एक आरोपी रवि की जेल में रहने के दौरान ही संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी थी। सवाल उसकी मौत के बाद भी उठे थे। जब रवि को अस्पताल से घर लाया गया तो हिंदू संगठनों के लोगों ने उसके शव को तिरंगे में लपेटकर सम्मानित किया था। सवाल तब भी उठा था कि दंगे और अख़लाक़ के हत्या के आरोपी रवि को तिरंगे से आखिर क्यों सम्मानित किया गया। यह कानून का समय है या धार्मिक उन्माद का।
इस मामले में ध्यान देने वाली बात यह भी है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद ही आरोपियों को जमानत मिलने का सिलसिला शुरू हो चुका था। बीजेपी नेता संजय राणा के पुत्र विशाल और दूसरे आरोपी हरिओम की बेल भी इसी कड़ी का हिस्सा है।
गौरतलब है कि बिसाहड़ा के अखलाक मर्डर केस ने देश की सियासत में भूचाल लाने का काम किया था। मुख्य साजिशकर्ता के बतौर नामजद बीजेपी नेता संजय सिंह राणा के बेटे विशाल राणा की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें जेल से रिहा किये जाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने विशाल राणा की जमानत इस केस से जुड़े कुछ दूसरे आरोपियों को पहले ही राहत मिलने और उसकी कोई क्रिमिनल हिस्ट्री न होने के आधार पर मंजूर की है।
अखलाक मर्डर केस मामले में गठित जस्टिस प्रत्यूष कुमार की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि जमानत पाने के लिए विशाल को ट्रायल कोर्ट में पर्सनल बॉन्ड और दो श्योरिटीज दाखिल करानी होंगी। याचिकाकर्ता विशाल राणा की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई कि उसके खिलाफ अखलाक हत्याकांड में प्रत्यक्ष तौर पर किसी तरह का कोई सबूत नहीं मिला है और और लोगों को मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 52 वर्षीय अखलाक की हत्या के लिए उकसाने का जो आरोप उस पर लगा है, वह एकदम बेबुनियाद और गलत है।