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ब्रिक्स में आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की पहली बड़ी जीत
ब्रिक्स देशों ने मोदी के सुझाव को माना महत्वपूर्ण, चीनी राष्ट्रपति से कल होगी प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय वार्ता, पहली बार है जब ब्रिक्स के देश पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों के खिलाफ हुए हैं लामबंद
चीन के शियामन ब्रिक्स सम्मेलन से जय प्रकाश पांडे की रिपोर्ट
चीन, शियामन। ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणा पत्र में आतंकवाद का मुद्दा शामिल हो गया है। लंबे समय से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे भारत की यह कूटनीतिक मोर्चे पर बड़ी जीत है।
ब्रिक्स ने लश्कर ए तैएबा, जैश ए मोहम्मद, तालिबान और अल कायदा सहित अन्य आतंकी संगठनों की निंदा की। सदस्य देशों ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। घोषणा पत्र में आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सहयोग विकसित करने की आवश्यकता जताई गयी।
पिछले साल गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भी भारत ने आतंकवाद का मुद्दा मजबूती से उठाया था। यह सम्मेलन उरी आतंकी हमले के महीने भर बाद हुआ था। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद को जिम्मेदार ठहराया था, पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर अलग- थलग करने के लिए अभियान चलाया था। ब्रिक्स सम्मेलन में भारत को इस मसले पर एकराय बनाने में कामयाबी भी मिली थी।
हालांकि इस बार सम्मेलन से पूर्व में चीन ने भारत से ब्रिक्स में आतंकवाद का मुद्दा न उठाने की बात कहकर दबाव बनाने का प्रयास किया था। भारत ने आतंकवाद दुनिया के लिए खतरा बताकर इसके खिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता जताई थी।
इससे पूर्व सम्मेलन के प्लेनरी सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स देशों के बीच विकास को बढ़ावा देने के लिए मजबूत साझेदारी का आह्वान किया। कहा कि पांच देश दुनिया की स्थिरता के लिए योगदान कर सकते हैं। मोदी ने अक्षय ऊर्जा और मजबूत आर्थिक संबंधों के बारे में बात की ।
उन्होंने कहा कि विकास के लिए सस्ती, विश्वसनीय और स्थाई ऊर्जा महत्वपूर्ण है। अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के साथ मिलकर काम करना चाहिए। मोदी ने सीमापार आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया। कहा कि सुरक्षा का मुद्दा बेहद अहम है और सभी देशों को शांति के लिए सहयोग करना होगा।
सम्मेलन के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ तेल और प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में व्यापार और निवेश बढ़ाने को लेकर बात की, जबकि मंगलवार को मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग से द्विपक्षीय बैठक होने वाली है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग ने ब्रिक्स को वैश्विक शासन व्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने संरक्षणवाद को नकारते हुए धनी और विकासशील देशों के बीच की खाई को पाटने के लिए नई ऊर्जा का संचार किया। शी ने कहा कि चीन आर्थिक, तकनीकी सहयोग और ब्रिक्स देशों के बीच आदान-प्रदान के लिए करीब 76 मिलियन डालर देगा। इसके अलावा नए विकास बैंक की परियोजनाओं के लिए 4 मिलियन डॉलर की मदद करेगा।
ब्राजील के राष्ट्रपति मिशेल टेमेर, साउथ अफ्रिका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।