लॉकडाउन से मुश्किलों भरा सफर, हजारों की संख्या में कोई घंटों पैदल चला तो कोई कई दिन रहा भूखा
पैदल जा रहे उन्नाव के बदरका निवासी अंशु, अंकित, आलोक सहित अन्य 22 की संख्या में लोग बताते हैं कि वह सभी महाराष्ट्र के कल्याड में रेडीमेड बाउंड्री वाल बनाने का काम करते हैं....
जनज्वार। कोरोना वायरस के प्रसार को देखखते हुए मोदी सरकार ने पूरे देश मे लॉकडाउन की घोषणा कर दी जिसके बाद धन्धे बन्द हो गए और लोग खाने तक का सामान लेने के लिए निकल नहीं पा रहे। खाने-पीने का सामान भी महंगा हो गया है। कोई पूछने पर कहता है कि किस तरह से गांव के लिए निकल पाए, हम ही जानते हैं। साधन मिला तो ठीक न मिला तो पैदल ही रास्ता तय करना शुरू कर दिया। मरता क्या न करता अपने गांव से आस जो जुड़ी है।
वही अब ग्रामीण क्षेत्रों के प्राइवेट नौकरी कर रहे लोगो के लिए अब मुसीबत होती जा रही है। दिल्ली हरियाणा, राजस्थान एवं अन्य प्रदेशों में हालात खराब होने के बाद लोगों के पास पैसे की कमी होने के कारण अपने-अपने गांव आने को मजबूर होना पड़ रहा है। हजारों की तादाद में लोग सैकड़ो किलोमीटर पैदल चलकर आने को मजबूर हैं। दूसरे प्रदेशों के भी यही हालात हैं।
संबंधित खबर : भाजपा नेता ने पैदल घर जा रहे मजदूरों का उड़ाया क्रूर मजाक, कहा ‘छुट्टी’ मनाने जा रहे
हरियाणा के बल्लभगढ़ से अपने पति के साथ सैकड़ो किलोमीटर पैदल का सफर तय कर औरैया जिले के विधूना नगर में पहुचीं एक महिला थकान में ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी। महिला का पति नोएडा में कैब ड्राइबर है। उसने बताया थोड़ी दूर के लिए सब्जी की गाड़ी की शरण मिली उसके बाद पैदल ही पूरा सफर तय किया है। क्या करते ट्रैन, बस और यातायात के सभी साधन बन्द हो चुके हैं।
नेशनल हाइवे-2 पर जनपद जालौन के सिरसा थाना स्थित रायपुर मड़ैया गांव निवासी रामकरण अपने बेटे और पांच अन्य सहित जयपुर से पैदल आ रहे थे। उन्होंने बताया कि वह जयपुर में पुताई का काम करते हैं। वह 24 मार्च की रात जयपुर से पैदल निकले थे, रास्ते मे किसी ढाबे या अन्य स्थान पर सो जाते थे। पुलिस भी परेशान कर रही थी, तो किसी समाजसेवी या संस्था द्वारा खाना खाने को मिल जाता था। कानपुर देहात के कुछ लोग नोएडा से जुगाड़ गाडिबपर जाते दिखे। एक गाड़ी में 10 से अधिक लोग सवार थे।
इसी तरह महाराष्ट्र से 22 मार्च को निकले कुछ लोग पैदल ही उन्नाव जा रहे थे। सभी लोग रानियां में कुछ देर के लिए विश्राम हेतू रुके थे। पैदल जा रहे उन्नाव के बदरका निवासी अंशु, अंकित, आलोक सहित अन्य 22 की संख्या में लोग बताते हैं कि वह सभी महाराष्ट्र के कल्याड में रेडीमेड बाउंड्री वाल बनाने का काम करते हैं।
कोरोना के चलते फैक्टरी बन्द हो गई। सभी अपने घर लौटने को बीते 22 मार्च से पैदल सफर कर रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र व दिल्ली से 12 कारों से 50 की संख्या में सवार होकर जा रहे लोगों को भोगनीपुर पुलिस ने कार्रवाई व जांच के लिए रोंक लिया। सभी का नाम पता दर्ज करने के बाद स्वास्थ परीक्षण के लिए सीएचसी पुखरायां ले जाया गया। ये सभी लोग प्रतापगढ़ जा रहे थे।
संबंधित खबर : लॉकडाउन से कूड़ा बीनने वाले परिवार हुए बेहाल, जब पीने का ही पानी नहीं, तो हाथ कहां से धोएं
दिल्लू से 400 किलोमीटर का सफर तय कर 2000 मजदूर अपना दर्द बताते बताते रोने लगते हैं। कई महिलाओं के पैरों में मोटे मोटे छाले पड़ चुके थे। कइयों की हालत भूख और प्यास से ऐसी हो गई कि वो रास्ते मे कई बार बेहोश हुए। सभी दिल्ली और नोएडा में मजदूरी करते हैं। इन लोगों में झांसी, ललितपुर, महोबा, बाँदा, चित्रकूट और मध्यप्रदेश के लोग थे। इन लोगों ने चार रातें सड़क पर ही बिताईं।