Begin typing your search above and press return to search.
समाज

गुजरात सरकार की तरफ से दिए जा रहे अनाज और दाल में मिल रहे कंकड़ पत्थर, मचा हड़कंप

Janjwar Team
5 April 2020 1:20 PM IST
गुजरात सरकार की तरफ से दिए जा रहे अनाज और दाल में मिल रहे कंकड़ पत्थर, मचा हड़कंप
x

लॉकडाउन के बीच गुजरात में सरकार की तरफ से दिए जा रहे अनाज और दाल में मिल रहे कंकड़ पत्थर, जनता ने सारे सरकारी दावों की पोल खोली, सिर्फ गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को ही अनाज मिलेगा, कच्छ समेत कई जनपदों में हल्की गुणवत्ता की सामग्री दिए जाने से लोग नाराज...

कच्छ से दत्तेश भवसार की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। देशव्यापी लॉकडाउन के चलते लोगों को खाने-पीने की वस्तुओं की किल्लत हो रही है। वहीं गुजरात में जनता के लिए मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने बहुत बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो कीं लेकिन सरकारी राशन की दुकानों पर मिल रहे अनाज और दालों में कंकड़ पत्थर निकलने की कई शिकायतें आनी शुरू हो गईं हैं।

रकार की तरफ से दी जाने वाली सहायता में हल्की गुणवत्ता के सामान का प्रयोग होने से लोगों में नाराजगी और रोष देखा जा रहा है। 1 अप्रैल से मिलने वाले अनाज और दालों में पूरे गुजरात में कई जगह शिकायतें पाई गईं। कच्छ जनपद में सरकार की तरफ से दिए जाने वाले अनाज और दालों में भी शिकायतें मिली जिसके चलते जिला विकास अधिकारी ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। यह दाल कहां से आई है और क्यों यह चूक हुई है, इसकी तफ्तीश के बाद आगे की कार्यवाही के आदेश दिए गए हैं।

संबंधित खबर : गुजरात में गौमूत्र की बिक्री में आई तेजी, कोरोना से बचने के लिए रोजाना 6,000 लीटर गौमूत्र सेवन कर रहे लोग

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने गुजरात में किसी को भी अनाज की कमी नहीं होगी ऐसी बड़ी-बड़ी घोषणाएं की हैं, परंतु सरकारी राशन की दुकान पर सिर्फ गरीबी रेखा के नीचे यानी बीपीएल कार्ड धारकों को ही अनाज दिया जा रहा है। एपीएल में (NFSA) श्रेणी वाले राशन कार्डधारकों को राशन उपलब्ध कराया जाएगा परंतु जिन्होंने पिछले महीने राशन लिया होगा उनके ही कार्ड में राशन मिलेगा।

NFSA श्रेणी के अधिकतर राशन कार्डधारकों ने अगर पिछले माह राशन नहीं लिया तो उन लोगों को तहसीलदार के पास से दाखिला लेकर राशन की दुकान वालों को देना होगा। उसके बाद ही उनको राशन मिल पाएगा। जबकि तहसीलदार कचहरी में सारा कार्य 15 तारीख तक बंद है। यानी मुख्यमंत्री जो घोषणाएं करते हैं उस घोषणा के अनुरुप काम नहीं होता।

से ही एक कार्डधारक से हमने बात की। मितेश गोस्वामी बताते हैं कि उनको राशन की दुकान वाले ने तहसीलदार अपना राशन कार्ड पंजीकृत करवाने को कहा, परंतु तहसीलदार कचहरी में फिलहाल कोई कार्य नहीं हो रहा। इस मामले में हमने अन्य और पुरवठा तहसीलदार की कचहरी से संपर्क किया, तब उनके पास भी कोई जानकारी नहीं थी।

मितेश गोस्वामी बताते हैं कि कई ऐसे बीपीएल कार्डधारक हैं जिनके लाखों-करोड़ों के मकान हैं। परंतु हकीकत में जिन को राशन की जरूरत है उन लोगों तक सुविधा पहुंच ही नहीं पा रही। पिछले कई वर्षों में गुजरात सरकार ने बीपीएल राशन कार्ड बनाना बंद ही कर दिया है ताकि 'ना हो बस और ना बजे बांसुरी'। इस प्रकार सरकार की ओर से की जाने वाली घोषणाओं का लाभ सामान्य लोगों तक नहीं पहुंच पाता है।

लोग कोरोना से तो बच जाएं लेकिन गुजरात के कई हिस्सों में ऐसे सड़े हुए अनाज और दालों का वितरण होने से बच पाएंगे मुश्किल लगता है। लॉकडाउन की स्थिति में रोज कमाने वाले और खाने वालों की आमदनी बंद हो चुकी है। इसलिए उनको 2 जून की रोटी का जुगाड़ करना भी बहुत ही मुश्किल हो चुका है। ऐसे में सरकार की ओर से दिए जाने वाले ऐसे अनाज व दालों से लोग अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। यहां पर 'हाथी के दांत खाने के एक और दिखाने के दूसरे' जैसी स्थिति बनी हुई है।

खबर : कोरोना हॉरर : संदिग्ध मुस्लिम युवक LNJP अस्पताल की छत से कूदा

से ही हालातों में कच्छ जिले की कई तहसील-कचहरियों में लोगों की तरफ से बहुत हल्ला मचाया गया जिससे उन लोगों की समस्याओं का समाधान हुआ, परंतु पूरे जिले में हजारों लोग ऐसे हैं जिनको सरकारी राशन की दुकानों से राशन नहीं मिल पा रहा है। वह सारे लोग स्वयंसेवी संस्थाओं पर आश्रित हैं और संस्थाएं ऐसे लोगों को सहायता पहुंचा रही है।

हालांकि सरकार की तरफ से ऐसे लोगों के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया। करोना वायरस से बचने के लिए लॉकडाउन का कदम उठाया गया परंतु इस स्थिति में लोग भुखमरी से ना मरे इसका अभी तक कोई इंतजाम हुआ हो ऐसा गुजरात में कहीं पर भी नहीं दिख रहा।

Next Story

विविध