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भाजपा शासित राज्यों में दलितों की हत्या, बलात्कार और उत्पीड़न की घटनाएं सर्वाधिक

Janjwar Team
24 Jan 2018 10:58 AM GMT
भाजपा शासित राज्यों में दलितों की हत्या, बलात्कार और उत्पीड़न की घटनाएं सर्वाधिक
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भाजपा शासित राज्यों में दलित उत्पीड़न की घटनाएं दूसरे राज्यों के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं

पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी का तथ्यपरक विश्लेषण

राष्ट्रीय अपराध अनुसन्धान ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा हाल में जारी की गयी क्राईम इन इंडिया– 2016 रिपोर्ट से एक बात पुनः उभर कर आई है कि भाजपा शासित राज्य दलित उत्पीड़न के मामले में देश के अन्य राज्यों से काफी आगे हैं. लगभग यही स्थिति वर्ष 2015 में भी थी.

वर्तमान में भाजपा शासित राज्य गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गोवा तथा झारखण्ड हैं जिनमे दलित उत्पीड़न के अपराध दूसरे राज्यों की अपेक्षा काफी अधिक हैं. यह स्थिति मोदी जी की दलितों के बारे में दिखाई गयी सहानुभूति तथा उनके दलित प्रेम की पोल खोलती है. इनके इलावा कुछ अन्य राज्य जैसे उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, तेलन्गाना, उत्तर प्रदेश और बिहार हैं जिन में दलित उत्पीड़न के मामले राष्ट्रीय दर (प्रति एक लाख दलित आबादी पर) से ज्यादा हैं.

दलितों पर 2016 में कुल घटित अपराध: इस वर्ष यह संख्या 40,801 है जो कि वर्ष 2015 की संख्या 38,670 से 2,131 अधिक है. इस प्रकार 2016 में पिछले वर्ष की अपेक्षा 5.5% की वृद्धि हुयी है. इस वर्ष प्रति एक लाख दलित आबादी पर घटित अपराध की राष्ट्रीय दर 20.3 रही है. इन अपराधों में दलित महिलाओं के शील भंग के कुल मामले 3,172 थे जो कि दलितों पर कुल घटित अपराध का 7.7% थे. इसी प्रकार बलात्कार के कुल मामले 2,541 थे जो कि कुल अपराध का 6.2% थे. इसी प्रकार उक्त अवधि में जनजाति वर्ग के विरुद्ध 6,568 अपराध घटित हुए जो कि 2015 की अपेक्षा में 4.7 % अधिक थे.

जनजाति वर्ग की महिलाओं पर बलात्कार के 974 मामले घटित हुए जो कि उन पर घटित कुल अपराध का 14.8% हैं. उन पर शील भंग के 835 मामले हुए जो कुल अपराध का 12.7 % थे. इससे स्पष्ट है कि भाजपा राज में दलित महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं.

दलितों पर वर्ष 2016 में घटित अपराध की दृष्टि से भाजपा शासित राज्यों की स्थिति देखी जाये तो मध्य प्रदेश प्रथम स्थान पर है जिसमे 4,922 अपराध घटित हुए तथा अपराध की दर 43.4 रही जो कि राष्ट्रीय दर 20.3 से दुगनी है. इसी प्रकार राजस्थान दलित अपराध में देश में दूसरे नंबर पर है जहाँ 5,134 अपराध तथा उसकी दर 42.0 रही जो कि राष्ट्रीय दर (20.3) से दुगनी है. इसमें गोवा तीसरे स्थान पर है जहाँ अपराध दर 36.7 है. इसमें गुजरात 5वें स्थान पर है जहाँ अपराध दर 32.2 है जो कि राष्ट्रीय दर 20.3 से लगभग डेढ़ गुना है. इससे स्पष्ट है कि अधिकतर भाजपा शासित राज्यों में दलितों पर अपराध राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक हैं.

अपराध वार राज्यों की स्थिति निम्न प्रकार है:-

हत्या : उक्त अवधि में देश में दलितों की हत्या के 786 अपराध हुए तथा प्रति लाख दर 0.4 रही. इसमें गुजरात के 32 मामलों में 35 दलितों की हत्याएं हुयीं और 0.8 की दर के कारण पूरे देश में प्रथम स्थान रहा. इसके बाद मध्य प्रदेश 81, हरियाणा 34 तथा उत्तर प्रदेश 271 मामलों में 274 हत्याएं एवं 0.7 की दर के साथ दूसरे स्थान पर रहे, राजस्थान 66 मामलों में 67 हत्याएं तथा 0.5 की दर के साथ पांचवें स्थान पर रहा. इससे स्पष्ट है कि हत्या के मामले में भाजपा शासित राज्यों की स्थिति बहुत बुरी है.

हत्या का प्रयास: उक्त अवधि में पूरे देश में 732 अपराध घटित हुए तथा अपराध की प्रति लाख दर 0.4 रही. इस अपराध में राजस्थान 106 और गुजरात 35 तथा अपराध की दर 0.9 जो कि राष्ट्रीय दर की दुगनी से भी अधिक है, के साथ प्रथम स्थान पर रहे. महाराष्ट्र में 60 मामले जिसमे 71 व्यक्ति प्रभावित हुए तथा दर 0.5 रही. यह भी राष्ट्रीय दर से अधिक है. इससे स्पष्ट है अधिकतर भाजपा शासित राज्यों में दलित सुरक्षित नहीं हैं.

गंभीर चोट: इस अपराध के अंतर्गत पूरे देश में 1,070 मामले हुए जिनमें 1,148 व्यक्ति घायल हुए तथा राष्ट्रीय औसत दर 0.5 रही. इस अपराध की दर गुजरात में 1.6, बिहार में 1.5, उड़ीसा में 1.3, केरल में 1.0, मध्य प्रदेश में 0.8 रही जो कि राष्ट्रीय दर से काफी अधिक है.

दलित महिलाओं के यौन उत्पीड़न प्रयास का अपराध: उपरोक्त अवधि में पूरे देश में दलित महिलाओं के शील भंग के प्रयास के 3,172 अपराध तथा राष्ट्रीय अपराध दर 1.6 रही. इस अपराध की दर मध्य प्रदेश में 6.0, आन्ध्र प्रदेश में 3.6, महारष्ट्र में 2.7, हरियाणा में 2.0 तथा गुजरात में 1.8 रही जो कि राष्ट्रीय औसत दर 1.6 से काफी अधिक है.

यौन उत्पीड़न : इस अपराध के अंतर्गत 2016 में कुल 1,268 अपराध हुए तथा राष्ट्रीय दर 0.6 रही. इस अपराध की दर मध्य प्रदेश में 3.6, छत्तीसगढ़ में 1.1, महाराष्ट्र में 1.3, राजस्थान में 0.8, हरियाणा में 0.7 तथा गुजरात में 0.6 रही जो कि राष्ट्रीय दर 0.6 से काफी अधिक है.

बलात्कार : इस अपराध के अंतर्गत पूरे देश में 2,536 मामले हुए जिनमें 2,540 दलित महिलाएं बलात्कार का शिकार हुयीं तथा अपराध की राष्ट्रीय दर 1.3 रही. इस अपराध की दर केरल में 4.7, मध्य प्रदेश में 3.9, छत्तीसगढ़ में 2.9, राजस्थान में 2.7, हरियाणा में 1.9, गुजरात तथा महाराष्ट्र में 1.7 रही जो कि राष्ट्रीय दर 1.3 से बहुत अधिक है. इससे स्पष्ट है कि अधिकतर भाजपा शासित राज्यों में दलित महिलाएं असुरक्षित हैं. वास्तव में दलित महिलायों पर बलात्कार को दलितों का मनोबल गिराने के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

अनुसूचित जाति/जन जाति अत्याचार निवारण एक्ट के अंतर्गत अपराध : इस श्रेणी के अंतर्गत पूरे देश में 35,676 अपराध घटित हुए जिनमें 36,855 व्यक्ति पीड़ित हुए तथा अपराध की राष्ट्रीय दर 18.0 प्रति एक लाख व्यक्ति रही. इस अपराध की दर मध्य प्रदेश में 43.4, राजस्थान में 41.1, बिहार में 32.9, गुजरात में 28.4, ओड़िसा में 25.0, केरल में 23.7, उत्तर प्रदेश में 22.6 रही जो कि राष्ट्रीय दर 18.0 से बहुत अधिक है.

उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि अधिकतर भाजपा शासित राज्य दलित उत्पीड़न में दूसरे राज्यों से काफी आगे हैं. यह आंकड़े मोदी जी द्वारा दलित उत्पीड़न को ले कर दिखाई गयी हमदर्दी तथा उनके “सब का साथ, सब का विकास” के नारे की भी पोल खोलती है. हाल में कोरगांव में दलितों पर हुआ हमला भी भाजपा की करनी और कथनी के अंतर को बेपर्दा करता है.

(पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी जनमंच उत्तर प्रदेश के संयोजक हैं।)

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