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समाज

दिल्ली—गाजियाबाद से हरिद्वार तक अंधभक्त उन्मादियों की भीड़ में बदली कांवड़ यात्रा

Prema Negi
30 July 2019 7:16 AM GMT
दिल्ली—गाजियाबाद से हरिद्वार तक अंधभक्त उन्मादियों की भीड़ में बदली कांवड़ यात्रा
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दिल्ली-गाजियाबाद की सड़क पर गिरे सैंकड़ों तिरंगे को रौंदते हजारों भगवाधारियों का झुंड उत्पात मचाता हरिद्वार की ओर बढ़ रहा है, इन्हें देखकर यूं लगता है कि एक राष्ट्र को रौंदता भगवा बुलडोजर हिंदूराष्ट्र के अपने गंतव्य की ओर निर्बाध बढ़ा जा रहा है। देश की सड़कों पर ये हिंदू राष्ट्र का ‘शक्ति प्रदर्शन’ है। जिसके वाहक 18-40 आयुवर्ग के बेरोजगार युवा हैं...

सुशील मानव की रिपोर्ट

‘बोल बम’ नहीं, ‘जय श्री राम’

सावन के पहले पखवारे में कांवड़ियों का ये हुजूम भले ही पिछले 10 साल में परवान चढ़ा हो पर अबकि साल का कांवड़ अपने चरित्र और उद्देश्य में पहले से बिल्कुल अलग है। पहले के कांवड़ों में जहां आपको शिव हरकारा ‘बोल बम’, ‘हर हर भोले’ और शिवभक्ति से तर कांवड़िये के मन से शिव भजन, शिव मंत्र सुनाई पड़ते थे वहीं अबकि बार कांवड़ियों के मुंह और साथ चलते बजते डीजे पर सिर्फ और सिर्फ हिंसा और उन्माद से भरा ‘जय श्री राम’ का लाउड जेहादी नारा सुनाई देगा। क्योंकि यहां न तो वो भक्तिभाव है, न श्रद्धाभाव, है तो सिर्फ उन्माद, शोर, नशा, हिंसा भाव और पागलपन है। भांग, गांजा, चरस और दारू के नशे से लबरेज़ लाखों कांवड़िये, पर उससे भी तगड़ा एक नशा- हिंदू राष्ट्र का नशा। कांवड़ियों के हाथों में, कावड़ं में और डीजे पर तिरंगे खोंसे हुए हैं। अब से पहले ये नहीं होते थे, क्योंकि कांवड़ का संबंध सिर्फ शिव और हिंदू आस्था से जुड़ा था। जाहिर है इस वर्ष की कांवड़ यात्रा शिव की आस्था से नहीं बल्कि आरएसएस के सांप्रदायिक मंसूबों से जुड़कर चल रहा है।

प्रशासन कांवड़ सेवा में लगा है

वसुंधरा चौक पर यूपी पुलिस और ट्रैफिक पुलिस कांवड़ियों को इतने समर्पित भाव से पैकेटबंद पानी और फलाहार बांट रहे हैं मानो वो राष्ट्रसेवा को समर्पित रणक्षेत्र में जाते सैनिकों की सेवा में लगे हैं। शामली के एस पी अजय कुमार का तो वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वो वर्दी पहने कांवडियों के पैर दबा रहे हैं। तो दूसरी ओर कांवड़ियों पर हेलीकाप्टर से गुलाब के फूल बरसाए जा रहे हैं।

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गांव गंदगी से सड़ रहे और सफाईकर्मी मंदिर साफ कर रहे

बारिश के बाद गांव के गांव कूड़े कचड़े सड़ने से गंदगी और दुर्गंध से व्याप्त हैं। इससे तमाम तरह के संक्रामक बीमारियों और महामारी फैलने की आशंका बढ़ गई है, लेकिन सफाईकर्मियों की ड्युटी मंदिरों में लगा दी गई है। फूलपुर, इलाहाबाद के एक गांव के ग्राम प्रधान नाम न लिखने की शर्त पर बताते हैं हमें स्पष्ट आदेश है कि गांव की सफाई के लिए नियुक्त हुए सफाईकर्मियों की ड्युटी स्थानीय मंदिरों की सफाई करने में लगाई जाए। बल्का तहसील हर स्तर के प्रशासनिक मुखिया को कांवड़ियों के सेवा में तत्पर रहने का आदेश मिला है।

कांवड़ियों के लिए वाहनविहीन कर दिए गए हैं कई राष्ट्रीय राजमार्ग

छः लेन वाले इलाहाबाद गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर शास्त्रीपुल से होकर इलाहाबाद जानेवाले तमाम परिवहन साधनों को सहसों से फाफामउ मार्ग पर डायवर्ट कर दिया गया है। अनगिनत गाड़ियों को किसी न किसी बहाने सड़के से हटा दिया गया है। जिससे स्कूल, अस्पताल, कारखाने और दफ्तर जानेवाले तमाम लोगों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कुछ गाड़ियां जो चल रही हैं वो रूट डायवर्जन के चलते ज्यादा दूरी तय करने, पुलिस को कमीशन देने का वास्ता देकर ज्यादा तिगुना-चौगुना किराया वसूल रही हैं। ये सिर्फ इलाहाबाद अकेले का हाल नहीं है। 6 लेन की राष्ट्रीय राजमार्ग 58 (NH 58) भी पूरी तरह वाहन विहीन कर दी गई है। बांस बल्ली लगाकर सड़क पार करने के लिए बनी लगभग सारी क्रांसिंग को बंद कर दिया गया है। सिर्फ एक लेन से कुछ हल्के वाहनों को आने जाने दिया जा रहा है। यही हाल पूरे देश में है।

पूरी सड़क खाली है फिर भी हो रही हैं दुर्घटनाएं। कल रविवार की दोपहर फूलपुर कोतवाली अरवासी में कांवरियों से भरी लोडर मैजिक रविवार की दोपहर अनियंत्रित होकर पलट गई। इसके नीचे दबकर दो कावड़ियों की मौत हो गई जबकि कई कांवड़िये गंभीर रूप से घायल हैं। आस पास के लोगों की मदद से वहां पहुंची पुलिस ने तत्काल सभी को शहर के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया। सभी जौनपुर जनपद के निवासी हैं।

छोटे धंधों को बंद करा दिया गया है

कई शहरों में स्कूलों को बंद करने का फरमान जारी हो चुका है। आखिर शिक्षा धर्म से ज्यादा ज़रूरी थोड़े हैं। वहीं सड़क किनारे और मुखमार्गों से थोड़ा हटकर भी खुली तमाम दुकानों, खोखों, ठेलों को बंद करवा दिया गया है। ताकि इन सड़कों के जरिए कथित‘हिंदू राष्ट्र’ की भगवा शक्ति, सामार्थ्य, हनक व उन्माद का निर्लज्ज प्रदर्शन हो सके।

साहिबाबाद के दिनेश कुमार का एनएच 58 से लगभग 500 मीटर दूर अंदर ओर लाजपत नगर की आवासीय क्षेत्र की एक लेन की सड़क पर एक खोखा लगाकार जीवन यापन का काम करते थे। दिनेश बताते हैं कि पुलिस वालों ने डंडे पीटकर 15 दिन के लिए उनकी दुकान बंद करवा दी है जबकि इस रोड पर कांवड़िये नहीं जाते हैं। यही हाल तमाम दुकानदारों का है। मीट मछली की दुकानें तो पहले ही बंद करवा दी गई हैं। अलबत्ता मुख्यमार्गों पर खुली नॉनवेज की तमाम बड़ी और ब्रांडेड महँगे रेस्टोरेंट ज्यों की त्यों खुले हुए हैं।

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स्पांसर मिलते ही हिंदू राष्ट्र का भव्य ‘परेड’ शो बन गयी कांवड़ यात्रा

कांवड़ का संबंध जब तक भक्तिभाव और धार्मिक आस्था तक था वो दीन, हीन उपेक्षित था। लेकिन स्पांसर मिलते ही कांवड़ ‘हिंदू राष्ट्र’ का भव्य परेड बन गया है। इस परेड को सरकार का पूरा संरक्षण हासिल है तभी पूरी सरकारी मशीनरी दामाद की तरह कांवड़ियों की सेवा में लगी हुई है। जौनपुर के एक छोटे से कस्बें से लेकर दिल्ली जैसे महानगर तक में कांवड़ यात्रा को स्थानीय व्यापारियों का अपार आर्थिक सहयोग मिला है। इस सहयोग में थोड़ा सत्ता का भय है, और थोड़ा नाम और पुण्य और राजसत्ता की छत्रछाया पाने की लालसा। जबकि छोटे दुकानदारों और खोखे वालों से ये व्यापारी मंडल के लोग कांवड़ और धर्म के नाम पर जबर्दस्ती उगाही करते हैं।

समाज का बदलता मनोविज्ञान

दिल्ली के लोकल ट्रेन में मिले श्रवण कुमार साहू बताते हैं कि पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान के निवासी हैं और बेरोजगार हैं। वो राजधानी दिल्ली अपने बहन के यहां घूमने आए थे। बहन के घर और पड़ोस के कई लोग कांवड़ लेकर हरिद्वार जा रहे थे तो उनके जीजा ने पैसे देकर कहा जाओ कांवड़ लेकर हरिद्वार और नीलकंठ घूम आओ और फिर वो भी कांवड़ लेकर सबके साथ निकल पड़े।

दरअसल देश में बेरोजगारी दर आजादी के बाद सबसे दयनीय स्थिति में है। पूंजीवादी आर्थिक संकट के चलते देश, समाज और उद्योग जगत आर्थिक दबाव में है। कल-कारखानों, कंपनियों में बडे पैमाने पर कर्मचारियों की छँटनी हुई है, कई सरकारी कंपनियों को बर्बाद करके निजी हाथों में बेंच दिया गया। नए रोजगार का सृजन नहीं हो पा रहा है। नई सरकार ने तमाम जनकल्याणकारी सरकारी योजनाओं को बंद कर दिया है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण चीजें प्राइवेट हाथों में सौंप दी गई है। महँगाई अपने चरम पर है। दूसरी ओर बाज़ार लगातार हिंसक विज्ञापनों के जरिए उपभोग का दबाव बना रहा है।

इससे समाज में निराशा, कुंठा और हिंसा व्याप्त है। एक निराश, हताश, कुंठाग्रस्त, बेरोजगार समाज भाववाद की ओर बढ़ता है और अपनी आस्थाएं उम्मीदें, सपनें और आत्मविश्वास भगवान में आरोपित कर देता है। आरएसएस के हिंदू राष्ट्र को ऐसा ही समाज चाहिए, चेतनाहीन, भाववादी, नशाखोर बिल्कुल अपने माकूल।

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