Begin typing your search above and press return to search.
जनज्वार विशेष

सरकारी संरक्षण में हर मिनट में उजाड़ दिया जाता है 1 हेक्टेयर वन क्षेत्र

Prema Negi
5 July 2019 5:58 PM IST
सरकारी संरक्षण में हर मिनट में उजाड़ दिया जाता है 1 हेक्टेयर वन क्षेत्र
x

अंधाधुंध कटान के कारण 48 वर्षों में जीवों की संख्या हुई 69 प्रतिशत कम, प्रजातियों का विलुप्तीकरण मानव जाति के लिए जलवायु परिवर्तन से भी बड़ा खतरा

प्रति मिनट काटा जा रहा है फुटबाल के मैदान जितना वन क्षेत्र, पिछले कुछ वर्षों तक वर्षावनों को सुरक्षित रखने के प्रयासों में आयी थी तेजी, मगर अब खेती, पशुपालन और उद्योगों को स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी संरक्षण में काटे जा रहे हैं जंगल...

महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट

तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन से निपटने का सबसे आसान तरीका है, जंगलों का क्षेत्र बढ़ाना। वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में पेड़ बड़े सहायक हैं। पर आबादी के बढ़ते बोझ और कृषि के क्षेत्र में विस्तार के बाद वन सिकुड़ रहे हैं और नए वन लगाने की जगह ख़त्म हो रही है।

जुरिच स्थित क्रोथर लैबोरेट्रीज के वैज्ञानिकों ने जीन फ़्रन्कोइस बस्फिन के नेतृत्व में पूरी दुनिया के मानचित्र का अध्ययन करने के बाद आबादी और कृषि के क्षेत्रों को हटाकर बताया है कि पृथ्वी पर 4.4 अरब हेक्टेयर क्षेत्र में आसानी से वन लगाए जा सकते हैं, इनमें से वर्तमान में 2.8 हेक्टेयर क्षेत्र में वन है। इसका सीधा सा मतलब है कि अभी 1.6 अरब हेक्टेयर में वन लगाए जा सकते हैं, जिसमें से 0.9 अरब हेक्टेयर में मानव का दखल नहीं रहेगा।

ह क्षेत्र लगभग अमेरिका के क्षेत्रफल के बराबर है। यदि 1.6 अरब हेक्टेयर में वन लगाए गए तब जब ये बड़े होंगे, इनसे 205 अरब टन कार्बन का अवशोषण होगा, जबकि वर्तमान में कुल कार्बन उत्सर्जन 300 अरब टन है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि यदि वनों का क्षेत्र बढ़ता है तब कुल कार्बन उत्सर्जन में से दो-तिहाई का अवशोषण इनमें हो जाएगा।

19 मई को नेचर में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार पिछले 35 वर्षों में वन क्षेत्र में 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। यह एक चौंकाने वाला तथ्य है क्योंकि माना जाता है कि वनक्षेत्र लगातार कम होते जा रहे है। पर इसमें यह भी बताया गया है कि उष्णकटिबंधीय वन सिलसिलेवार तरीके से काटे जा रहे हैं और नए वन ऐसे क्षेत्रों में पनपने लगे लगे हैं, जहां बहुत ठण्ड के कारण पहले पेड़ नहीं लगते थे। हिमालय के क्षेत्रों में भी वनों का क्षेत्र पहले से अधिक ऊंचाई पर खिसकने लगा है।

ष्णकटिबंधीय अमेज़न के वर्षा वनों को पृथ्वी का फेफड़ा कहा जाता है और इनमें दुनिया की 10 प्रतिशत से अधिक प्रजातियाँ मिलती हैं। पिछले वर्ष ब्राज़ील में नयी सरकार के गठन के बाद यहां वर्षा वनों के कटाने की दर में बहुत तेजी आयी है। नए राष्ट्रपति की सोच भी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जैसी है, जो समझते हैं कि पूरी प्रकृति मानव उपभोग के लिए बनी है।

हाल में उपग्रह के चित्रों से पता चला है कि मई के महीने में वर्षा वनों के कटाने की दर एक हेक्टेयर प्रति मिनट रही है। यानी प्रति मिनट में लगभग एक फुटबाल के मैदान जितना वन काटा जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों तक वर्षावनों को सुरक्षित रखने के प्रयासों में तेजी आयी थी, पर अब खेती, पशुपालन और उद्योगों को स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर ये वन काटे जा रहे हैं और इसे सरकारी संरक्षण प्राप्त है।

Next Story

विविध