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उत्तर प्रदेश

अंतिम संस्कार के लिए ठेले पर ले गया पिता का शव, लॉकडाउन के चलते बेटे को नहीं मिला कोई वाहन

Janjwar Team
1 April 2020 4:30 AM GMT
अंतिम संस्कार के लिए ठेले पर ले गया पिता का शव, लॉकडाउन के चलते बेटे को नहीं मिला कोई वाहन
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उत्तर प्रदेश के बस्ती में बेटे को ठेले पर पिता का शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाते जिसने देखा, वह रो पड़ा। लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते कंधा देने की बात छोड़िए अंतिम यात्रा तक में कोई शामिल होने नहीं पहुंचा...

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में सोमवार 30 मार्च को 85 वर्षीय पूर्णमासी की मौत हो गई थी। बुजुर्ग पूर्णमासी की मौत तब हुई जब मौजूदा समय देश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से लॉकडाउन चल रहा है। पूर्णमासी को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए जब कोई वाहन उपलब्ध नहीं हुआ तब उनके शव को एक ठेले में लादकर श्मशान ले जाया गया।

पूर्णमासी के बेटे को इस बात का डर था कि कहीं उनके पिता की अर्थी में ज्यादा लोग साथ निकले तो पुलिस कोई कार्रवाई न कर दे। इसका ध्यान रखते हुए मृतक के बेटे को यह कदम उठाना पड़ा। जनपद बस्ती के कोतवाली इलाके के पिकौरा दत्तूराय मोहल्ले में एक बेटे द्वारा शव को बिना कंधा दिए, ठेले पर रखकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ा।

दाह संस्कार करके लौटे मृतक के बेटे श्यामलाल ने बताया कि सुबह घर से फोन आया कि पिता पूर्णमासी की लंबी बीमारी के बाद मौत हो चुकी है। यह सुनकर जब घर पहुंचे तो वहां मोहल्ले के लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के कारण अंतिम संस्कार के लिए पहले पुलिस से पूछना पड़ेगा। थाने जाने पर बताया गया कि एसडीएम की परमिशन के बाद लाश का अंतिम संस्कार कर सकते हैं।

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थाने की पुलिस ने इस बात की भी हिदायत दी कि लाश को किसी वाहन पर रखकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ेगा। अगर वाहन की व्यवस्था नहीं है तो एक मीटर की दूरी बनाकर शव का अंतिम संस्कार करने ले जा सकते हैं। श्यामलाल ने बताया कि वह चार पहिया वाहन की व्यवस्था नहीं कर पाए। इस वजह से शव को ठेले पर रखकर सिर्फ 3 लोगों को साथ अंतिम संस्कार के लिए ले गए। हालांकि कुछ देर बाद जानकारी पाकर मोहल्ले के लोग भी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए श्मशान पहुंच गए।

रअसल कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन ने सबको संकट में डाल दिया है। संक्रमण से बचाव को शारीरिक दूरी बनाए रखने हेतु डाक्टरों की सलाह में लोग एक दूसरे का दुख दर्द भूल गए हैं। सोमवार को शहर में दिल झकझोरने वाला नजारा दिखा। एक बेटे को ठेले पर पिता का शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाते जिसने देखा, वह रो पड़ा। कंधा देने की बात छोड़िए अंतिम यात्रा तक में कोई शामिल होने नहीं पहुंचा। पूरी शव यात्रा में मात्र तीन ही लोग थे जबकि कंधा देने के लिए चार लोगों की जरूरत होती है।

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टरा मूड़घाट रोड पर तीन व्यक्ति एक शव को अंतिम संस्कार के लिए ठेले पर ले जाते दिखे। बस्ती शहर के पिकौरा दत्तूराय मोहल्ले में रहने वाले बुजुर्ग पूर्णमासी की लंबी बीमारी के बाद रविवार की रात मृत्यु हो गई। लाकडाउन के कारण रिश्तेदार मौके पर नहीं आ सके। इतना ही नहीं पुलिस के डर से मोहल्ले के लोग उनकी शव यात्रा में शामिल होने से बचते रहे। और तो और शव ले जाने के लिए कोई वाहन तक नहीं मिला। ऐसे में परिवार के सदस्य पूर्णमासी के शव को ठेले पर ही लादकर मूड़घाट स्थित शमशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए ले गए।

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