सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को करार दिया असंवैधानिक, लगाई 6 महीने की रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा 6 महीने में इस पर सरकार कोई कानून बनाए, सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को रद्द करने से कर दिया इंकार। कहा इस महत्वपूर्ण मसले पर सरकार और संसद को लेनी होगी बदलाव की पहल और करना होगा कानून में परिवर्तन, तीन जजों की बेंच ने तीन तलाक को बताया असंवैधानिक
दिल्ली, जनज्वार। तीन तलाक पर महत्वपूर्ण सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय जजों की पीठ ने 6 महीने के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दी है।लेकिन तीन तलाक के मुद्दे पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय जजों की बेंच ने फिलहाल कोई स्थायी फैसला देने से इनकार किया है।
अदालत के इस फैसले से एकतरफा, मुंह जबानी, स्काइप और चिट्ठी लिखकर दिया जाने वाले तलाक पर पूर्ण पाबंदी लग गयी है। ऐसे प्रावधान को 1961 में ही पाकिस्तान ने खत्म कर दिया था, लेकिन भारत में यह 5 दशक बाद खत्म हो पाया है।
कानूनविदों को भी इससे अलग फैसले की कोई उम्मीद नहीं थी, क्योंकि तीन तलाक पर स्थायी रोक तबतक नहीं लगाई जा सकती जबतक संसद कोई कानून न बनाए। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि पांच जजों द्वारा इस मामले की हुई सुनवाई में तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक माना है।
सुप्रीम कोर्ट ने के 3 जजों जस्टिस जोसेफ, जस्टिस नरीमन और जस्टिस ललित ने तलाक को गैर संवैधानिक और मनमाना करार दिया और इसे खारिज कर दिया।
पांच जजों की बेंच में चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने सबसे पहले इस पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि तीन तलाक धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, इसलिए इसे एकदम से खारिज नहीं किया जा सकता।
चीफ जस्टिस ने माना कि इस मामले में महत्वपूर्ण पक्ष है संसद और सरकार, उन्हें इसपर कानून बनाना चाहिए। सरकार को कानून बनाकर इस पर एक स्पष्ट दिशा निर्देश तय करने चाहिए। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने इसके लिए केंद्र सरकार को छह महीने का समय दिया है।
जस्टिस खेहर ने कहा कि छह महीने तक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए तीन तलाक पर तत्काल रोक लगा दी है। इस अवधि के बीच में देशभर में कहीं भी तीन तलाक मान्य नहीं होगा।
अदालत का यह ऐतिहासिक और अबतक का आया सबसे महत्वपूर्ण फैसला है। इससे पहले तक मुस्लिम समुदाय की स्त्रियों को उनके पति सिर्फ तीन बार तलाक बोलकर शादी तोड़ घर और संपत्ति से बेदखल कर देते थे।