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राजनीति

83 पूर्व नौकरशाहों ने मांगा मुख्यमंत्री योगी से इस्तीफा, कहा बुलंदशहर हिंसा को नहीं लिया सीरियसली

Prema Negi
20 Dec 2018 9:11 AM GMT
83 पूर्व नौकरशाहों ने मांगा मुख्यमंत्री योगी से इस्तीफा, कहा बुलंदशहर हिंसा को नहीं लिया सीरियसली
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पूर्व नौकरशाहों का खत सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल, लिखा एक पुलिस इंस्पेक्टर की भीड़ द्वारा निर्ममता से हत्या किया जाना बहुत दर्दनाक, इससे राज्य की कानून व्यवस्था पर खड़े होते हैं कई तरह के सवाल...

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट

जनज्वार। बुलंदशहर हिंसा की जांच प्रक्रिया से नाराज 83 पूर्व नौकरशाहों का कहना है कि पुलिस बुलंदशहर में हिंसा फैलाने के आरोपियों के बजाय गोकशी के आरोपियों को पकड़ने में जुटी है, जबकि हिंसा के नामजद आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

इन पूर्व नौकरशाहों का कहना है कि सरकार और खुद मुख्यमंत्री ने इसे सांप्रदायिक एजेंडे के तहत फैलाई गई हिंसा माना था और इस बारे में काफी विस्तार से चर्चा हुई थी। पूर्व अधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगा है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री ने बुलंदशहर हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया था। इस मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और हिंसा से जुड़े पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगने वाले पूर्व नौकरशाहों में बृजेश कुमार, अदिति मेहता, सुनील मित्रा जैसे बड़े अफसर शामिल हैं। अफसरों ने आरोप लगाया कि बुलंदशहर हिंसा को राजनीतिक रंग दिया गया है। ये खुला खत सोशल मीडिया पर इन दिनों वायरल हो रहा है। पूर्व नौकरशाहों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले भी कई मसलों पर खुला खत लिखा है। बुलंदशहर हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि एक पुलिस वाले की भीड़ द्वारा हत्या किया जाना बहुत दर्दनाक है, इससे राज्य की कानून व्यवस्था पर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं।

पूर्व नौकरशाहों का ये खत तब सामने आया है, जब बुलंदशहर हिंसा की जांच एसआईटी ने पूरी कर ली है। जांच में खुलासा हुआ है कि हिंसा से पहले गोकशी हुई थी। इस आरोप में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। पूर्व नौकरशाहों ने आरोप लगाया कि बुलंदशहर हिंसा को राजनीतिक रंग दिया गया है।

पुलिस की प्राथमिकता में गोकशी की जाँच पहले

गौरतलब है कि बुलंदशहर हिंसा की जांच-पड़ताल में जुटी पुलिस ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि सबसे पहले यह पता लगाया जाएगा कि आखिर वहां गोकशी किसने की, फिर वे लोग इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के मामले की जांच करेंगे।

बुलंदशहर के एएसपी रईस अख्तर ने कहा था कि फिलहाल हमारा पूरा जोर यह पता लगाने में है कि आखिर वहां गोवध किसने किया। आखिरकार, वहां गोवध ही हुआ था। उसके बाद लोगों ने प्रदर्शन किया था, जिसमें सुबोध की हत्या हो गई थी। हमारा मानना है कि एक बार मामला हल हो जाएगा, तो उससे सुबोध की हत्या के मामले में भी कई चीजें सामने आएंगी। अभी हमारी प्राथमिकता गोकशी करने वालों को दबोचना है, जबकि हत्या और दंगा भड़काने वाला मामला दूसरे नंबर पर है।

उन्होंने यह भी कहा था कि हम अभी किसी संगठन का नाम तो नहीं बता सकते, मगर इतना जरूर स्पष्ट है कि इंस्पेक्टर की हत्या के ज्यादातर आरोपी गोरक्षा से जुड़ी गतिविधियों में शामिल थे। हम आगे की गिरफ्तारियों के बाद ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं, मगर अभी गायों के हत्यारों का पता लगाना, हमारी पहली प्राथमिकता है।

दो एफआईआर

इस मामले में सबसे पहले 3 दिसम्बर 2018 को योगेश राज ने 7 नामज़द मुसलमानों के विरुद्ध केस क्राइम नंबर 582 दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि योगेश राज, शिखर कुमार और सौरभ जब सुबह 9 बजे जंगल में गए तो देखा कि उक्त 7 नामज़द मुसलमान गाय काट रहे थे। अब एक नई एफआईआर केस क्राइम नंबर 584 सामने आई है, जिसका शिकायतकर्ता जितेंद्र है। उसके अनुसार उसने खेत में अज्ञात लोगों द्वारा काटी गई गायों के अवशेषों को देखा है, जो 2 दिन पुराने हैं। ये एफआईआर 4 दिसम्बर 2018 को दर्ज कराई गई है। पुलिस ने अभी 3 मुस्लिमों (नदीम, रईस, काला) को गिरफ्तार किया है, जो स्याना नगर के रहने वाले हैं। उन पर आरोप है कि वो शिकारी हैं।

असली मुल्ज़िम कौन

अब सवाल है कि क्या ये शिकारी ही असली मुल्ज़िम हैं जिन्होंने गाय या नीलगायों का वध किया या फिर वो 7 असल मुल्ज़िम हैं, जिनको योगेश राज की एफआईआर में नामज़द किया गया है और खुद योगेश राज ने अपने दोस्तों के साथ चश्मदीद बताया है।

पुलिस का पूरी तरह यू-टर्न

बुलंदशहर में गोकशी के मामले में यूपी पुलिस ने पूरी तरह यू-टर्न ले लिया है। पुलिस ने पहले जिन चार लोगों सर्फ़ुद्दीन, नन्हे, साजिद और आसिफ़ को गिरफ़्तार किया था, अब 17 दिन बाद पुलिस उन्हें निर्दोष बता रही है। इतना ही नहीं, अब पुलिस इनकी रिहाई के लिए कोर्ट भी जाएगी। पुलिस के मुताबिक़ 18 दिसंबर को जो तीन लोग नदीम, रईस और काला गिरफ़्तार किए गए हैं, वो असली गुनहगार हैं।

हालांकि हिंसा मामले में मुख्य आरोपी योगेश राज ने जो एफआईआर दर्ज कराई थी, उनमें इन तीनों का नाम नहीं है। पुलिस ने कहा है कि ये आरोपी पहले गायों को मारते थे और उसके बाद उसका मांस आपस में बांट लेते थे।

बुलंदशहर की घटना एक साजिश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बुलंदशहर की घटना एक साजिश है। साजिश का पर्दाफाश हो चुका है। यह साजिश वही लोग कर रहे हैं, जिन लोगों ने प्रदेश में जहरीली शराब बनाकर लोगों को मारने का काम किया था। षडयंत्र कायर करते हैं। आमने सामने चुनौती नहीं करते हैं। निर्दोश नागरिकों को अपनी साजिश का शिकार बनाना चाहते हैं। लेकिन इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। कानून का राज होगा। जो लोग दंगा कराना चाहते थे, उनके मंसूबे ध्वस्त हुए हैं। सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है।

गोकशी की खबर के बाद हिंसा

पिछले 3 दिसंबर, 2018 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोकशी की खबर के बाद हिंसा फैल गई थी। इस दौरान भीड़ ने बुलंदशहर की स्याना पुलिस चौकी पर हमला किया था, इसी में पुलिसकर्मी सुबोध कुमार सिंह की मौत हो गई थी। इस हिंसा में एक अन्य युवा की भी मौत हुई थी। इस घटना पर पुलिस ने 27 लोगों के खिलाफ नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। पुलिस अब तक 20 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है जबकि हत्या का मुख्य आरोपी बजरंग दल का नेता योगेश राज अभी भी फरार चल रहा है

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