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स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों की ऐसी दुर्दशा कि मोदी से मांगी पाकिस्तान में बसने की इजाजत
स्वतंत्रता सेनानी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को वन विभाग ने अतिक्रमणकारी घोषित कर लीज पर दी गई ज़मीन खाली करने का सुना दिया है लिखित फरमान
जनज्वार। पेशावर विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उत्तराखण्ड के स्वतंत्रता सेनानी चंद्र सिंह गढ़वाली के परिवार पर बिजनौर वन प्रभाग ने अतिक्रमणकारी होने का ठप्पा लगाया है।
गौरतलब है कि तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानी को सम्मान में दी गई 10 एकड़ जमीन को वापस करने का नोटिस वन विभाग ने भेजा है। साथ ही गढ़वाली के परिवार से कई गुना लीज रेंट भी मांगा गया है। 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी द्वारा आजादी की लड़ाई के दौरान गढ़वाली की उपाधि से सुशोभित चंद्र सिंह भंडारी को संयुक्त उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने घर बनवाने के लिए बिजनौर वन प्रभाग की कोटद्वार-भाबर के गांव हल्दूखाता से सटे वन क्षेत्र में 10 एकड़ जमीन दी थी।
चूंकि इस भूमि की लीज रकम गढ़वाली के वंशज जमा नहीं कर पाए थे तो बिजनौर वन प्रभाग की ओर से गढ़वाली के वंशजों को अतिक्रमणकारी घोषित कर भूमि खाली करने के निर्देश दे दिए गए, जिसके बाद उन्होंने मोदी सरकार से अपील की है कि उन्हें पाकिस्तान में बसने की इजाजत दे दी जाए।
इस संबंध में एक पोस्ट फेसबुक पर साझा करते हुए हिमांशु बडोनी ने लिखा है, 'पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भेजनें की गुजारिश की है। दरअसल जिस देश के लोकतंत्र की खातिर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने अंग्रेजो के खिलाफ खुला सैनिक विद्रोह कर कालापानी की सजा पाई थी, उसी गढ़वाली के परिजनों को आज़ाद हिन्दुस्तान के हुक्मरानों ने अवैध अतिक्रमणकारी घोषित कर उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंचा दी है।
'जंगे आज़ादी के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सैनिक विद्रोह से लेकर जन आंदोलनों से अंग्रेज इतने बौखला गये थे कि उनकी सारी संपति जब्त कर उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया था।
'जंगे आज़ादी के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर करने वाले गढ़वाली जी के योगदान को देखते हुए सरकार द्वारा अभिभाजित उत्तर प्रदेश के दौरान कोटद्वार के हल्दुखाता में लीज पर कुछ जमीन उनके परिजनों के साथ गुजर बसर के लिए दी गई, लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद से इस लीज की ज़मीन को लेकर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को वन विभाग द्वारा लगातार परेशान किया जाता रहा है।
'लेकिन इस बार तो हद तब हो गई जब वीर गढ़वाली के परिजनों को वन विभाग ने अतिक्रमणकारी घोषित कर उन्हें यह ज़मीन खाली करने का लिखित फरमान सुना दिया। इस फरमान ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को इतना लज्जित कर दिया है कि उन्हें उस देश को छोड़कर पाकिस्तान में शरण लेने के लिए प्रधानमंत्री से गुजारिश करनी पड़ रही है, जिस देश की आज़ादी के लिए वीर गढ़वाली ने कालापानी की सजा भुगतने के साथ ही अंग्रेजो की पीड़ादायक यातनाएं सही थीं।'
गौरतलब है कि 30 अगस्त को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की दोनों बहुओं को वन विभाग करी तरफ से नोटिस जारी किया गया है। यह भी कहा गया है कि वर्ष 1989 से 2004 तक लीज रेंट का भुगतान सुनिश्चित करने के साथ ही 2005 के बाद पहले 30 सालों के लिए लीज 50 फीसदी बढ़ोतरी के साथ निर्धारित की जाएगी। गढ़वाली की दोनों बहुओं का कहना है कि उनकी आर्थिक हालत ऐसी नहीं है कि वे रकम जमा करा सकें। कई साल से लीज ट्रांसफर की मांग भी अनसुनी ही रह गई। उनके मुताबिक अगर गढ़वाली के मूल निवास दूधातोली की ही पैतृक जमीन वापस मिल जाए तो वे वहां चले जाएं, लेकिन उसका भी कहीं अता-पता नहीं है। इन हालातों में हम मोदी सरकार से गुजारिश करते हैं कि इससे बेहतर हमें पाकिस्तान जाने की इजाजत दे दें।