अबाध रूप से नदियों में किये जा रहे खनन एवं निर्माण कार्यों से आर्सेनिक, फ्लोराइड जैसे हानिकारक तत्व भूमिगत होकर पेयजल के माध्यम से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का बन रहे हैं कारण, सरकारें नहीं उठा रहीं कोई सकारात्मक कदम...
विष्णु दत्त पाण्डेय की रिपोर्ट
गोरखपुर। गंगा के अविरलता और निर्मलता को लेकर जलपुरुष राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में गोमुख से गंगासागर तक "गंगा सद्भावना यात्रा" निकाली जा रही है। यह यात्रा 30 सितंबर से शुरू हो गई है, जो 14 जनवरी तक चलेगी। इस क्रम में गोरखपुर में आज दिनांक 13 नवम्बर दिन मंगलवार को जगह—जगह यात्रा का स्वागत किया गया।
गोरखपुर के टाउनहाल स्थित गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला, तारामंडल के सभागार में 11 बजे से गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के पर्यावरणविदों, प्रबुद्धजनों एवं युवाओं ने शामिल होकर गंगा, पूर्वांचल की नदियों/ जलाशयों और पर्यावरण के विषय पर अपनी राय रखी।
यात्रा के संयोजक आज़ादी बचाओ आंदोलन के प्रणेता रामधीरज भाई ने गंगा सद्भावना यात्रा के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य गंगा की अविरलता एवं संरक्षण के लिए व्यापक जनजागरुकता के साथ क्षेत्रीय जलाशयों एवं नदियों के संरक्षण हेतु लोगो को संगठित करना है। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इन जलाशयों में फैक्टरियों, नालों का गन्दा पानी अनवरत मिलाया जा रहा है, तथा अबाध रूप से नदियों में किये जा रहे खनन एवं निर्माण कार्यों के कारण आर्सेनिक, फ्लोराइड जैसे हानिकारक तत्व भूमिगत होकर पेयजल के माध्यम से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बन रहे हैं और सरकारें इस विषय में कोई भी सकारात्मक कदम उठाती नही दिख रही हैं।
स्ववित्तपोषित शिक्षक एसोसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ चतुरानन ओझा ने कहा कि पूरे समाज को को देशी विदेशी पूजीपतियों की लूट से बचाना होगा, उनको सत्ता से बेदखल करना होगा तभी गंगा बचेगी और तभी जीवन बचेगा।
वरिष्ठ पत्रकार मनोज सिंह ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा की जनचेतना के माध्यम से हमे स्थानीय नदियों के संरक्षण पर ज़ोर देने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त समय की मांग है की देशभर में एक ऐसा व्यापक जनांदोलन हो जो नीति-नियंताओ को इस दिशा में कदम उठाने पर मजबूर कर दे।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राधेमोहन मिश्र ने स्थानीय रामगढ़ ताल के संरक्षण में युवाओं की भागीदारी का आह्वाहन किया। इसी क्रम में युवा कवि आकृति विज्ञा 'अर्पण' के मंच संचालन में सुभद्रा मणि त्रिपाठी, हर्षित मिश्र 'नमन', नाथ गोरखपुरी, विष्णु दत्त पांडेय, जूही गुप्ता ने नदी एवं पर्यवरण संरक्षण के विषय पर काव्यपाठ किया।
गोष्ठी में सिराज वाज़िह, रजनीश श्रीवास्तव, मार्कण्डेय मणि, मुमताज़ खान समेत कई प्रबुद्धजनों ने भी अपने विचार रखे।