Begin typing your search above and press return to search.
आंदोलन

क्या बैकफुट पर है गोरखा आंदोलन!

Janjwar Team
18 Aug 2017 4:17 AM IST
क्या बैकफुट पर है गोरखा आंदोलन!
x

मगर मोर्चा प्रमुख गुरूंग ने दिलाया गोरखाओं को भरोसा, किसी भी कीमत पर लेकर रहेंगे गोरखालैंड

दार्जिलिंग। ममता सरकार ने गोरखालैंड के समर्थन में हो रहे बेमियादी बंद और आंदोलन को तोड़ने के लिए गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। मोर्चा को तोड़ने की शुरूआत उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर मोर्चा प्रमुख बिमल गुरूंग पर हमला कर की है।

ममता सरकार के इशारे पर गोजमुमो प्रमुख बिमल गुरूंग के निजी स्कूल पर पुलिस कब्जा कर पुलिस ने सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए हैं। ममता पुलिस की इस कार्रवाई से आंदोलनकारियों में भय व्याप्त होने के बजाय सरकार के खिलाफ और भी गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इतना ही नहीं ममता के इशारे पर पुलिस ने आंदोलनकारियों ही नहीं उनके समर्थकों को भी गिरफ्तार करने की कार्रवाई में तेजी ला दी है।

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस लगातार प्रचारित कर रही है कि गोजजुमो अपने बिछाए जाल में खुद फंस गया है। मोर्चा नेताओं को अब यह डर है कि अगर दो महीने चला आंदोलन बेनतीजा रहा तो उसके खिलाफ जनाक्रोश पनप सकता है। तृणमूल कांग्रेस यह सब आरोप इसलिए जड़ रही है क्योंकि उसे लगता है कि आंदोलन में नरमी आ गयी है। युवा मोर्चा की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल से पीछे हटने का वह इसका कारण बता रही है।

हालांकि मोर्चा प्रमुख बिमल गुरूंग की बातों से ऐसा आभास कतई नहीं होता कि आंदोलन कमजोर पड़ा है। बिमल गुरूंग कहते हैं कि यह अंतिम लड़ाई है और इसे हमें किसी भी कीमत पर जीतना है, फिर चाहे हमें एक ही वक्त का खाना क्यों न खाना पड़े।

स्वतंत्रता दिवस पर मोर्चा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए बिमल गुरूंग ने सरकार को चेताते हुए कहा कि मैं जेल नहीं जंगल जाना पसंद करूंगा और गोरखालैंड आंदोलन को जंगल से ही नेतृत्व प्रदान करूंगा। ममता सरकार पर आक्रमण करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा 63 दिन से चल रहा आंदोलन तो मात्र एक ट्रैलर है, आप देखते जाइए आगे—आगे क्या होता है। यह बेमियादी बंद 6-7 महीने तक भी चल सकता है।

मोर्चा के लोगों और समर्थकों में आंदोलन के पक्ष में विश्वास कायम करते हुए उन्होंने कहा कि वे ममता सरकार को षड्यंत्र में कामयाब नहीं होने देंगे। हम किसी भी कीमत पर पहाड़ के लोगों का विश्वास नहीं तोड़ सकते, फिर इसके लिए चाहे कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। गोरखाओं के सम्मान की रक्षा के लिए हमें जो भी कदम उठाना पड़े उठाएंगे।

गौरतलब है कि पहाड़ में पृथक गोरखालैंड के लिए अलग—अलग संगठनों की एक समिति गोरखालैंड आंदोलन समन्वय समिति बनी थी, जो अलग राज्य के मुद्दे पर अपनी मांगों को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने गयी थी। मगर गृहमंत्री ने उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया, उल्टा अनशनकारियों का अनशन इस शर्त पर जरूर तुड़वा लिया कि अनशन तोड़ने के बाद ही वे इस मुद्दे पर बात करेंगे। इससे समिति के अंदर के मतभेद खुलकर मीडिया के सामने आए हैं। मोर्चा विरोधी आंदोलनकारी संगठन जाप और गोर्खालीग ने इस मुद्दे पर मोर्चा को घेरना शुरू कर दिया है, तो क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का रुख भी अनशन वापसी पर निराशाजनक रहा।

हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ गोरखा नेताओं की बैठक के बाद जन आंदोलन बैकफुट पर आ गया है, लेकिन गोजमुमो प्रमुख बिमल गुरंग लगातार प्रदर्शनकारियों का जोश बढ़ाने में लगे हुए हैं।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध