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सुप्रीम कोर्ट ने दिये पटाखा कंपनियों की CBI जांच के आदेश, ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल है जारी
ग्रीन पटाखों का लेबल लगाकर अंदर प्रतिबंधित रसायन वाले पटाखे बाजार में कैसे बिक रहे हैं? इस संबंध में शिवकाशी जिले की 6 कंपनियों की शिकायत भी की गई...
जेपी सिंह की टिप्पणी
ग्रीन पटाखों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए तमिलनाडु स्थित शिवकाशी की पटाखा निर्माण कंपनियों द्वारा पटाखों में प्रतिबंधित बेरियम नाइट्रेट के इस्तेमाल के आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। उच्चतम न्यायालय में प्रदूषण की वजह पटाखों और आतिशबाजी को बताते हुए इनके नियंत्रित इस्तेमाल का आदेश दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई से 6 हफ्ते में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। यह आदेश चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की खंडपीठ ने अर्जुन गोपाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है।
हालांकि सुनवाई के दौरान पटाखा कंपनियों ने प्रदूषणकारी प्रतिबंधित रसायन बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल नहीं किए जाने की दुहाई दी है, लेकिनआरोप है कि अभी भी बाजार में बेरियम नाइट्रेट से बने पटाखे और आतिशबाजी धड़ल्ले से बिक रही है। उच्चतम न्यायालय इस मामले की सुनवाई 8 हफ्ते बाद करेगा।
मंगलवार 3 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील ने पीठ को बताया कि उच्चतम न्यायालय के रोक लगाने के बावजूद अभी भी बाजार में बेरियम नाइट्रेट से बने पटाखे बिक रहे हैं। हालांकि कम्पनियों ने इससे इनकार किया कि बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल अभी भी हो रहा है, लेकिन याचिकाकर्ता का कहना था कि ग्रीन पटाखों का लेबल लगाकर अंदर प्रतिबंधित रसायन वाले पटाखे बाजार में कैसे बिक रहे हैं? इस संबंध में शिवकाशी जिले की 6 कंपनियों की शिकायत भी की गई। इस पर पीठ ने सीबीआई की चेन्नई शाखा के ज्वाइंट डायरेक्टर को जांच कर 6 हफ्ते में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।
अप्रैल 19 में भारत सरकार के उपक्रम पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) ने उच्चतम न्यायालय में बताया था कि पटाखा निर्माताओं की मदद से सीएसआईआर-एनइइआरआई की एक संयुक्त प्रयोगशाला द्वारा ग्रीन पटाखों के निर्माण के लिए परीक्षण किया गया है और कुछ नए फॉर्मूले तैयार हुए हैं जो देश में ध्वनि और वायु प्रदूषण स्तर को कम कर सकते हैं। उच्चतम न्यायालय ने इस फार्मूले पर अपनी मुहर लगा दी थी।
हालांकि पीईएसओ ने स्पष्ट किया था कि एनइइआरआई ग्रीन पटाखों में बेरियम नाइट्रेट का उपयोग करने के पक्ष में नहीं है। उच्चतम न्यायालय में दायर अपने हलफनामे में पीईएसओ ने कहा था कि सीएसआईआर-एनइइआरआई द्वारा ग्रीन पटाखों के लिए कुछ फार्मूलों पर परीक्षण किया गया है। शिवाकाशी और उसके आसपास स्थित आतिशबाजी निर्माण कारखानों ने भी इसका अवलोकन, सामग्री विश्लेषण / मूल्यांकन किया है और ऐसा लगता है कि इनके निर्माण से पीएम 2.5 में कम से कम 25-30 प्रतिशत सुधार होगा और ये ग्रीन पटाखे सार्वजनिक हित में सभी हितधारकों के हित में होंगे।
पीईएसओ ने कहा कि एनइइआरआई ने 5 मार्च 2019 को विभिन्न विशेषज्ञ निकायों की एक संयुक्त बैठक में स्पष्ट किया था कि यह बेरियम के पक्ष में नहीं है क्योंकि इसे पहले ही उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके अलावा पीईएसओ ने कहा था कि यह तय किया गया है कि एक बार अंतिम मानक तैयार कर लिए जाएंगे को निर्माताओं को ग्रीन पटाखों के निर्माण के लिए एनइइआरआई या किसी भी प्रमाणित लैब से प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 12 मार्च 2019 को कहा था कि देशभर में पटाखों पर प्रतिबंध लगाना संभव नहीं है। जस्टिस एस ए बोबड़े और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने टिप्पणी की थी कि लोग पटाखों पर बैन के पीछे क्यों पड़े हैं, जबकि ऐसा लगता है कि वाहनों द्वारा ज्यादा वायु प्रदूषण होता है। पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो पटाखों और वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर एक तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में दाखिल करे।
सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता को कहा था कि अदालत पटाखे और इसकी इकाइयों को बंद करके बेरोजगारी पैदा नहीं कर सकती। प्रदूषण का स्तर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होता है और पूरे देश में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए पूरे देश में समान मानदंड लागू नहीं किए जा सकते। जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा था कि यदि पटाखा व्यापार वैध है और उनके पास एक वैध लाइसेंस है तो अदालत इस पर कैसे प्रतिबंध लगा सकती है? क्या अदालत ने कभी भी अनुच्छेद 19 के तहत जीने के अधिकार के दृष्टिकोण से पटाखों पर प्रतिबंध के मुद्दे का परीक्षण किया है?
उन्होंने कहा था कि अन्य देशों की तुलना में भारत में पटाखे जोर-शोर से चल रहे हैं और इसलिए अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को देश के भीतर समान रूप से लागू नहीं किया जा सकता। वहीं केंद्र के वकील आत्माराम नाडकर्णी ने उच्चतम न्यायालय को बताया था कि अब तक पीईएसओ और एनइइआरआई ने ग्रीन पटाखों का फॉर्मूला फाइनल नहीं किया है, क्योंकि पटाखों में खतरनाक रसायन बेरियम नाइट्रेट के इस्तेमाल पर रोक है। ग्रीन पटाखों के लिए प्रयोग जारी हैं।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 23 अक्तूबर 2018 को देश भर में दिवाली के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए पटाखों की बिक्री और पटाखे चलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था।हालांकि उच्चतम न्यायालय ने इसके लिए कई दिशा निर्देश भी जारी किए और पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी।
पीठ ने ये फैसला सुनाते हुए केंद्र के हलफनामे को मंजूर करते हुए कहा था कि कम शोर और प्रदूषण वाले सुधार वाली क्वॉलिटी के पटाखों की बिक्री व निर्माण हो, राख और धूल 20 फीसदी तक कम हो। इनका मानक पीईएसओ की विशेषज्ञ टीम तय करेगी, ताकि पटाखों में चारकोल और बारूदी रसायन की मात्रा को पैरोटेक्नीक से तय करने के बाद ही मंज़ूरी दी जाएगी। पीठ ने कहा था कि दिल्ली और एनसीआर में जो पटाखे बनाए जा चुके हैं और शर्तों के मुताबिक नहीं हैं, उन्हें बेचने की इजाजत नहीं होगी।