पत्थलगड़ी मामले में हजारों लोगों पर दर्ज राजद्रोह का मुकदमा होगा वापस, हेमंत सोरेन की घोषणा
जनज्वार ने अपनी विशेष रिपोर्ट में किया था खुलासा कि पत्थलगढ़ी मामले में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 30 हजार लोगों के साथ 37 मोटरसाइकिलों पर भी किया था राजद्रोह का मुकदमा दर्ज...
जनज्वार, रांची। आज 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही हेमंत सोरेन ने पूववर्ती रघुबर दास सरकार द्वारा पत्थलगड़ी मामले में हजारों लोगों पर दर्ज देशद्रोह का मुकदमा वापस लेने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेन ने झारखंड मंत्रालय पहुंचकर पहली कैबिनेट की बैठक में पत्थलगड़ी आंदोलन में देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे हजारों लोगों को राहत देने का काम किया है। जब उन्होंने यह बड़ी घोषणा की तब इसमें मंत्री आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव और सत्यानंद भोक्ता भी मौजूद थे।
इस दौरान विधायकों को शपथ दिलाने के लिए प्रोटेम स्पीकर के रूप में स्टीफन मरांडी का चयन किया गया, वहीं 6 जनवरी से 8 जनवरी तक झारखंड विधानसभा का सत्र चलने की बात की भी घोषणा की गयी।
झारखंड चुनाव की रिपोर्टिंग के दौरान पहली बार जनज्वार ने ही यह बात उठायी थी और खुलासा किया था कि पत्थलगड़ी मामले में 30 हजार लोगों पर राजद्रोह का मामला दर्ज है। यह भी बात उजागर की इनमें 37 मोटरसाइकिलों पर भी पूर्ववर्ती रघुबर दास सरकार द्वारा मुकदमा दर्ज किया गया था।
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जनज्वार ने यह बात प्रमुखता से उजागर की थी कि झारखंड के खूंटी जिले के इलाकों में बीते साल 2018 पत्थलगढ़ी आंदोलन चला था। इस आंदोलन के बाद से करीब 30 हजार आदिवासियों के खिलाफ राजद्रोह के मामले दर्ज हैं। इसके अलावा रांची के आसपास के इलाकों में 20 लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। वहीं इस मामले में झारखंड पुलिस ने 37 मोटरसाइकिलों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है।
इतना ही नहीं खूंटी के थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 341, 342, 323, 324, 325, 109, 1114, 124 (A), 153 (A), 295 (A), 186, 353, 290, 307, 120 (B) और आर्म्स एक्ट के तहत 2500-300 ‘अज्ञात’ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
पत्थलगढ़ी मामले में जनज्वार से हुई विशेष बातचीत में राजद्रोह का मुकदमा झेल रही पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता अलोका कुजूर ने कहा था कि जो लोग सरकार के खिलाफ लिख और बोल रहे थे उन्हें भाजपा सरकार ने निशाना बनाया। इनमें 80 फीसदी आदिवासी हैं। आदिवासियों को इसलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि जो जल जंगल जमीन के सवाल वो उठाते हैं, उस पर उनका मुंह बंद हो जाए।