Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

संघ की सुन ली मोदी सरकार ने, अब भीख मांगना नहीं रहा अपराध

Prema Negi
15 July 2019 6:15 AM GMT
संघ की सुन ली मोदी सरकार ने, अब भीख मांगना नहीं रहा अपराध
x

केंद्रीय कैबिनेट ने विधेयक में से उस प्रावधान को भी हटा दिया है जिसके तहत ट्रांसजेंडर को अपने समुदाय का होने की मान्यता पाने के लिए अनिवार्य रूप से पेश हेाना होता था जिला स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष...

जनज्वार। पिछले दिनों दिये गये आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार का वह बयान मीडिया की सुर्खियां बना था जिसमें उन्होंने कहा था कि भीख मांगना भी एक तरह का रोजगार है। लगता है संघ की यह बात मोदी सरकार ने सुन ली है तभी तो भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है, फिर चाहे वो ट्रांसजेंडर्स का भीख मांगना ही क्यों न हो।

मोदी सरकार द्वारा ट्रांसजेंडर्स द्वारा भीख मांगने को आपराधिक गतिविधि बताने वाले ‘ट्रांसजेंडर्स पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) विधेयक, 2019 के प्रावधान को हटा दिया है, जिसे केंद्रीय कैबिनेट ने 10 जुलाई को मंजूरी दी। इसे अब जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा। विधेयक में से केंद्रीय कैबिनेट ने उस प्रावधान को भी हटा दिया है जिसके तहत ट्रांसजेंडर को अपने समुदाय का होने की मान्यता पाने के लिए जिला स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष पेश होना अनिवार्य होता था।

गौरतलब है कि इससे पहले विधेयक के अध्याय 8 के प्रावधान 19 में कहा गया था कि सरकार द्वारा तय अनिवार्य सेवाओं के अलावा ट्रांसजेंडर को भीख मांगने या जबरन कोई काम करने के लिए मजबूर करने वालों को कम से कम छह महीने की जेल हो सकती है, जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है।

हालांकि पिछले साल अगस्त महीने में ही दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि भीख मांगने वालों को दंडित करने का प्रावधान असंवैधानिक है, जिसे रद्द कर दिया जाना चाहिए।

सी साल फरवरी में संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार का यह बयान मीडिया में वायरल हो गया था कि भीख मांगना भी देश के 20 करोड़ लोगों का रोजगार है। जिन्हें किसी ने रोजगार नहीं दिया, उन लोगों को धर्म में रोजगार मिलता है। जिस परिवार में पांच पैसे की कमाई भी न हो, उस परिवार का विकलांग या दूसरे सदस्य धार्मिक स्थलों में भीख मांगकर परिवार का गुजारा करता है, तो यह भी बहुत बड़ा काम है। यानी किसी रोजगार से कम नहीं है।'

दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल भीख मांगने वालों को दंडित करने के प्रावधान को असंवैधानिक करार देने के साथ ही टिप्पणी की थी कि भीख मांगने को अपराध बनाने वाले ‘बॉम्बे भीख रोकथाम कानून’ के प्रावधान संवैधानिक जांच में टिक नहीं सकते। साथ ही कोर्ट ने इस कानून की कुल 25 धाराओं को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘लोग सड़कों पर इसलिए भीख नहीं मांगते कि ऐसा करने की उनकी इच्छा है, बल्कि इसलिए मांगते हैं, क्योंकि ये उनकी जरूरत है। भीख मांगना जीने के लिए उनका अंतिम उपाय है, उनके पास जीवित रहने का कोई अन्य साधन नहीं है। उस देश में भीख मांगना अपराध कैसे हो सकता है जहां सरकार भोजन या नौकरियां प्रदान करने में असमर्थ है।

file photo

दिल्ली हाईकोर्ट की इस बात पर अब केंद्र ने भी मुहर लगा दी है कि सरकार लोगों की भोजन और रोजगार की जरूरत को पूरा करने में असमर्थ है।

मोदी की केंद्रीय कैबिनेट द्वारा 10 जुलाई को भीख को अपराध की श्रेणी से बाहर निकालने के विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद राजनीतिक विश्लेषकों ने चुटकी लेनी शुरू कर दी है कि अब भारत में अधिकतर लोग रोजगाररत कहलायेंगे, क्योंकि इस तरह 20 करोड़ भिखारी और सड़कों पर भीख मांगने वाले ट्रांसजेडर्स भी नौकरीशुदा कहलायेंगे।

Next Story

विविध