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राष्ट्रव्यापी बंद से कोरोना का कुछ नहीं हुआ, अर्थव्यवस्था जरूर तबाह हो गयी : उद्योगपति बजाज

Nirmal kant
4 Jun 2020 7:56 PM IST
राष्ट्रव्यापी बंद से कोरोना का कुछ नहीं हुआ, अर्थव्यवस्था जरूर तबाह हो गयी : उद्योगपति बजाज
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राष्ट्रव्यापी बंद के अर्थव्यवस्था एवं संक्रमण पर पड़े प्रभाव और इसके खुलने पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बोलते हुए उद्योगपति राजीव बजाज ने जापान और स्वीडन का जिक्र किया, जिन्होंने अपना व्यवसाय बंद नहीं किया, लेकिन क्लस्टर नियंत्रण पद्धति का प्रचार करने की कोशिश की...

जनज्वार। उद्यमी राजीव बजाज ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए राष्ट्रव्यापी बंद ने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। इससे कोविड-19 की बजाय जीडीपी कर्व (जीडीपी को कागज पर दर्शाते वाली घुमावदार रेखा) ही सपाट हो गया है। बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज ने गुरुवार को पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के साथ एक संवाद के दौरान यह बात कही। यह राहुल गांधी की चौथी बातचीत है, जो व्यापार जगत के उन लोगों के साथ है, जो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तीखी आलोचना कर रहे हैं।

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राष्ट्रव्यापी बंद के अर्थव्यवस्था एवं संक्रमण पर पड़े प्रभाव और इसके खुलने पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बोलते हुए उद्योगपति राजीव बजाज ने जापान और स्वीडन का जिक्र किया, जिन्होंने अपना व्यवसाय बंद नहीं किया, लेकिन क्लस्टर नियंत्रण पद्धति का प्रचार करने की कोशिश की। इस प्रणाली में सामाजिक दूरी को प्रोत्साहित किया गया, लेकिन दुकानें और रेस्तरां खुले रहे। कुछ छात्रों ने स्कूल जाना जारी रखा और यूरोपीय आगंतुकों के लिए सीमाएं खुली रहीं। इसने अर्थव्यवस्था को कई अन्य राष्ट्रों के विपरीत, पहली तिमाही में विकसित करने में मदद की।

गांधी ने इस संवाद के दौरान कहा कि कोरोना संकट से निपटने के लिए शुरुआत में राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं जिला अधिकारियों को शक्ति देने की जरूरत थी और केंद्र सहयोग का काम करता।

यह भी कहा कि इस मुश्किल समय में मजदूरों, गरीबों, श्रमिकों, एमएसएमई और बड़े उद्योगों को भी मदद की जरूरत है। राहुल के राष्ट्रव्यापी बंद से जुड़े सवाल पर बजाज ने कहा, "मैं यह नहीं समझ पाता कि एशियाई देश होने के बावजूद हमने पूर्व की तरफ ध्यान कैसे नहीं दिया। हमने इटली, फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका को देखा।"

जाज के मुताबिक, हमने एक कठिन बंद को लागू करने की कोशिश की जिसमें कमियां थीं। उन्होंने कहा, 'कठोर और खामियों वाला लॉकडाउन यह सुनिश्चित करता है कि वायरस अभी भी मौजूद रहेगा। यानी आपने वायरस की समस्या को हल नहीं किया, लेकिन निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया। संक्रमण को समतल करने के बजाय जीडीपी के कर्व को सपाट कर दिया।'

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गौरतलब है कि राहुल गांधी कोरोना संकट के बीच लगातार आर्थिक विशेषज्ञों से बात कर रहे हैं। राहुल ने अपने इस सिलसिले की शुरुआत भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से की थी, जिसके बाद उन्होंने नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से भी चर्चा की। इसके अलावा राहुल गांधी हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर आशीष झा और स्वीडिश महामारी विशेषज्ञ जोहान गिसेके से लेकर प्रवासी मजदूरों से भी चर्चा कर चुके हैं।

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