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जांच टीम को नहीं मिला गांव में कोई रोगी, जबकि रोज अस्पताल पहुंच रहे मलेरिया मरीज

Janjwar Team
20 Jun 2017 10:19 AM GMT
जांच टीम को नहीं मिला गांव में कोई रोगी, जबकि रोज अस्पताल पहुंच रहे मलेरिया मरीज
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उत्तराखंड, हल्द्वानी। भीमताल ब्लॉक के रौसिला व भौरसा गांव में मलेरिया का प्रकोप बरकरार है। स्वास्थ्य महकमे की टीम ने दावा किया था कि यहां किसी मरीज में भी मलेरिया के लक्षण नहीं हैं। इसके बावजूद यहां से मलेरिया रोगियों का हल्द्वानी के अस्पतालों में आना जारी है। इससे स्वास्थ्य विभाग की टीम का गांव में मलेरिया न फैलने का दावा झूठा साबित हो रहा है।

रौसिला व भौरसा गांव में पिछले दिनों मलेरिया के मरीजों होने की बात सामने आयी थी। हल्द्वानी के सरकारी व निजी अस्पतालों में यहां से कई लोग इलाज कराने पहुंचे। इसके बाद स्वास्थ्य महकमे की टीम गयी थी। टीम ने 52 रोगियों के ब्लड सैंपल लिये थे। जिला मलेरिया रोग अधिकारी अर्जुन सिंह राणा ने उच्चाधिकारियों को सौंपी रिपोर्ट में कहा था कि उक्त 52 रोगियों में से किसी में भी मलेरिया के लक्षण नहीं पाये गये हैं, जबकि रौसिला व भौरसा गांव से मलेरिया रोगियों का उपचार कराने के लिए यहां के अस्पतालों में आना जारी है।

जगदीश पांडे, मंजू पलडिय़ा, देवकी गोस्वामी, भवानी देवी साल का भी इलाज हल्द्वानी के सोबन सिंह जीना अस्पताल में चला। यह सभी मलेरिया से पीडि़त हैं। इससे पहले रौसिला गांव के कुछ मरीजों में पिछले दिनों में मलेरिया होने की पुष्टि हो गयी है। ऐसे में स्वास्थ्य महकमे की टीम द्वारा मलेरिया को लेकर इन गांवों में किये गये सर्वे की रिपोर्ट संदिग्ध नजर आती है, वहीं नैनीताल जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी ने कहा है कि रौसिला गांव क्षेत्र में स्वास्थ्य महकमे की टीम ने सर्वे किया था।

रिपोर्ट में कहा गया था कि लोगों को बुखार आने की बड़ी वजह वायरल है। अगर यहां से अभी भी मलेरिया रोगियों का अस्पताल आना जारी है तो मामले की जांच करवायी जायेगी।देखा जाये तो स्वास्थ्य महकमे की टीम ने अपनी नौकरी बचाने के लिये सर्वे रिपोर्ट को तोड़ मरोड़ के ही पेश किया है।

रौसिला-भौरसा गांव जमरानी क्षेत्र के आसपास हैं। यहां जमरानी बांध बनाया जाना प्रस्तावित है। फिलहाल तो यहां अवैध खनन का काम जोरों पर होता है। गांव वालों का कहना है कि खनन करके गौला नदी में बड़े बड़े गड्ढे बना दिये जाते हैं। हल्की बारिश में इन गड्ढों में पानी भर जाता है जिससे यहां बीमारी पनपती है। इसके अलावा खनन कार्य में लगने वाले मजदूरों के शौच की भी कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिये वह नदी किनारे खुले में ही शौच करते हैं।

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