योगेंद्र प्रसाद की विधानसभा की सदस्यता खत्म होने के बाद अब विधानसभा में झामुमो के 18 विधायक ही रह गये....
रांची से विशद कुमार की रिपोर्ट
रांची। झारखंड के रामगढ़ के व्यवहार न्यायालय की एसडीजीएम आरती माला की अदालत ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के गोमिया विधायक योगेंद्र प्रसाद एवं उनके छोटे भाई चित्रगुप्त महतो सहित अन्य तीन लोगों को कोयला चोरी के मामले में तीन—तीन साल की कैद एवं पांच—पांच हजार रुपए की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा है कि जुर्माना नहीं भर पाने की स्थिति में दोषियों को तीन माह की अतिरिक्त साधारण कैद की सजा भुगतनी होगी।
मामले में सजा सुनाये जाने के बाद योगेंद्र प्रसाद की विधानसभा की सदस्यता स्वत: समाप्त हो गयी, वे अगले 10 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकते। जो राज्य में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है।
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार किसी भी मामले में दो साल या इससे अधिक की सजा मिलने पर सांसदों व विधायकों की सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाती है़ और सजायफ्ता सांसद या विधायक अगले 10 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकता है।
मामला रजरप्पा थाना क्षेत्र का है। मुरुबंदा में विधायक के भाई चित्रगुप्त महतो का शुभम एवं शिवम हार्ड कोक प्लांट था। पुलिस ने 2010 में छापेमारी कर यहां से अवैध कोयला पकड़ा था। योगेंद्र प्रसाद (उस वक्त कोयला के धंधेबाज) सहित सभी पर फैक्ट्री में अवैध कोयला जमा कर हार्ड कोक बनाकर कारोबार करने का आरोप लगा था। तत्कालीन थाना प्रभारी चंद्रिका प्रसाद ने इन सभी के खिलाफ कांड संख्या 53/10 के तहत धारा 414, 120 बी, 467, 468, 471 का मामला दर्ज किया था।
सजा सुनाने के बाद विधायक सहित सभी को तुरंत पुलिस हिरासत में ले लिया गया। बाद में उसी कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की गई और सभी को जमानत मिल गई।
दो विधायकों की पहले जा चुकी है सदस्यता
आजसू के लोहरदगा से विधायक रहे कमल किशोर भगत व राजधनवार से झाविमो विधायक निजामुद्दीन अंसारी की सदस्यता दो वर्ष से अधिक की सजा सुनाये जाने के बाद खत्म हो चुकी है। कमल किशोर को डॉक्टर केके सिन्हा के साथ मारपीट करने का दोषी पाया गया था। निजामुद्दीन को गिरिडीह में प्रदर्शन के दौरान उपद्रव फैलाने को लेकर सजा दी गयी थी। निजामुद्दीन के मामले में सजा की जानकारी विधानसभा को नहीं थी। तथ्य छुपाये गये थे। इस कारण एक वर्ष बाद तक वेतन लेते रहे। इसकी वसूली बाद में की गयी।
अब झामुमो के 18 विधायक
सजा सुनाये जाने और योगेंद्र प्रसाद की विधानसभा की सदस्यता खत्म होने के बाद अब विधानसभा में झामुमो के 18 विधायक ही रह गये। वहीं सदन में अब 80 विधायक ही रह गये।दिसंबर 2014 के विधानसभा चुनाव में विधानसभा क्षेत्र संख्या (34), गोमिया से योगेन्द्र प्रसाद (झामुमो) भाजपा के माधव लाल सिंह को 37514 मतों से हराया था।
उल्लेखनीय है कि आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो जातीय समीकरण के आधार पर योगेन्द्र प्रसाद को अपनी पार्टी में इसलिए लाए थे कि उनकी नजर गोमिया विधानसभा की सीट पर थी और योगेंद्र प्रसाद के पास कोयले के धंधे से मनी पावर काफी मजबूत था। दूसरी तरफ योगेंद्र प्रसाद को भी अपने धंधे को निर्बाध जमाए रखने के लिए एक राजनीतिक सहारे की जरूरत थी।
बताते चलें कि गोमिया विधान सभा सीट जब से अस्तित्व में आया, तब से उस पर भाजपा के छत्रूराम महतो और निर्दलीय माधवलाल सिंह का ही हमेशा वैकल्पिक कब्जा रहा। 2014 के विस के चुनाव में माधवलाल सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया और भाजपा ने छत्रूराम महतो को दरकिनार कर उन्हें टिकट इसलिए दे दिया कि वे निवर्तमान विधायक थे।
चूंकि यह क्षेत्र कुर्मी बहुल क्षेत्र है और योगेन्द्र प्रसाद ने आजसू में रहकर क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित कर ली थी, मगर एनडीए का घटक होने के नाते चुनावी तालमेल के तहत सुदेश महतो ने अपना उम्मीदवार यहां से खड़ा नहीं किया जिसका लाभ योगेन्द्र प्रसाद को मिलता, इसलिए योगेन्द्र प्रसाद ने तुरंत पाला बदला और झामुमो से जा मिले। झामुमो ने उन्हें टिकट दे दिया और वे भाजपा के माधव लाल सिंह को 37514 मतों से पराजित कर जीत हासिल की जो इस क्षेत्र के इतिहास का उल्लेखनीय घटना माना गया।
अब जब तक उपरी अदालत द्वारा मामले पर योगेंद्र प्रसाद को बरी नहीं कर दिया जाता तब तक इस क्षेत्र में विरोधियों का बल्ले बल्ले है।